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आपको करण जौहर की फिल्म ही करनी है तो खड़े रहिए - सुशांत सिंह राजपूत पर बहस पर बोले अनुराग कश्यप
अनुराग कश्यप ने एनडीटीवी के रोहित खिलनानी से बात की और इस समय बॉलीवुड में चल रही बहस पर बात की। रोहित ने अनुराग से पूछा कि इस समय मीडिया में और बॉलीवुड में केवल लड़ाई हो रही है। लोग केवल आपस में लड़ रहे हैं। आपको कैसा लग रहा है।
मैं जिन भी लोगों से बहस कर रहा हूं वो सारे लोग एक समय में मेरे बेहद करीबी दोस्त थे। रणवीर शौरी मेरा इतना अच्छा दोस्त था लेकिन अब हम बहस कर रहे हैं। कंगना मेरी हर फिल्म के प्रीमियर पर मेरा हौसला बढ़ाने आती थी। बॉम्बे वेलवेट के दौरान वो आई, उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि खुद पर हमेशा भरोसा रखना।
इस समय बाहरी एक्टर्स के पास ज़्यादा संभावनाएं हैं, इतनी 10 साल पहले नहीं थीं। उनके पास ज़्यादा ऑफर हैं। उस समय सोशल मीडिया नहीं था। आज है। आज दर्शकों के पास पावर है आपको बनाने और बिगाड़ने की। वो एक बाहरी की फिल्म का टिकट खरीद कर उसे बना सकते हैं। आप स्टार बनाते हैं।
आप तैमूर के पीछे भागते हैं। आपको उसकी फोटो चाहिए। नेपोटिज़्म हमारे DNA में है। आपने आज से तैमूर को स्टार बनाना शुरू कर दिया है। हमारा देश ही ऐसा है। ये सब जगह होता है। इस इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने करण जौहर और आदित्य चोपड़ा पर लगे आरोपों के बारे में भी बात की -

बहुत लंबी लाइन है
अनुराग कश्यप का कहना है - करण जौहर किसी का करियर बना सकता है। वो किसी को बड़ी फिल्म में लॉन्च कर सकता है। लेकिन वो किसी का करियर बिगाड़ नहीं सकता है। उसके पास वो पावर ही नहीं है। अगर आपको केवल धर्मा और यशराज से ही ब्रेक चाहिए तो फिर बहुत लंबी लाइन है। वो भी साल में चार पांच फिल्में ही करेंगे ना।

बड़ा स्टूडियो, बड़े स्टार के साथ काम करेगा
धर्मा और यशराज ऐसे स्टूडियो हैं जो अपनी फिल्मों पर काफी पैसा लगाते हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि वो स्टार्स के साथ फिल्में करना पसंद करेंगे। आप क्यों नहीं हंसल मेहता के ऑफिस के बाहर जाकर लाइन लगा रहे हैं? मैं नए लोगों के साथ काम करता हूं। ऐसे बहुत से लोग नए लोगों के साथ काम करते हैं। आप लाइन ही गलत जगह लगा रहे हैं। बड़े स्टूडियो सबसे पहले बड़े स्टार के साथ काम करेंगे।

गलत जगह लाइन लगी है
ऐसे बहुत लोग हैं जो नए लोगों के साथ लगातार काम कर रहे हैं। क्योंकि वो नए टैलेंट को सामने लाना चाहते हैं। मैं इस इंडस्ट्री में तब आया था जब इंडस्ट्री केवल फिल्मी परिवार चला रहे थे और स्टूडियो सिस्टम नहीं था। मैं 90 के दशक से संघर्ष करते करते यहां तक पहुंचा हूं। और इस बीच चीज़ें बहुत बदली हैं। अब ये इतना मुश्किल नहीं है।

वो आपके साथ काम करे ना करे, उनकी मर्ज़ी
ऐसा बिल्कुल नहीं होता कि लोग किसी का करियर बना सकते हैं या बिगाड़ सकते हैं। कोई आपका करियर क्यों बिगाड़ेगा। वो आपके साथ काम नहीं करना चाहते हैं ये उनकी पसंद या नापसंद है, उनका चुनाव है। या फिर अगर कोई उनसे सुझाव मांग रहा है तो वो आपका नाम नहीं सुझाएंगे।

करण जौहर की क्या गलती
अगर मैं करण जौहर को फोन करके पूछूंगा कि बताओ मैं विनीत कुमार सिंह के साथ मुक्काबाज़ बनाऊं या नहीं तो ज़ाहिर सी बात है कि करण जौहर बोलेगा, मत बनाओ। नया एक्टर है, पता नहीं। वो बिज़नेस के सेंस में अपना सुझाव देगा। मैं डायरेक्टर हूं, फिल्ममेकर हूं, मेरा चयन होगा कि मैं किसके साथ फिल्म बनाऊं। मुझे उससे सुझाव लेने क्यों जाऊं। उसे इतनी पावर क्यों दूं।

उन्हें पैसे बनाने हैं, हमें सिनेमा
अगर मैं आदित्य चोपड़ा को ये शक्ति दे देता हूं कि मेरे लिए फैसले लो, जो कि मैं एक बार कर चुका हूं, तो वो मेरी दिक्कत है। मुझे ये नहीं करना है क्योंकि मुझे उनसे मान्यता नहीं चाहिए। उनके हिसाब से उन्हें पैसे बनाने हैं, मुझे सिनेमा बनाना है। मेरे काम का तरीका अलग है, मेरे संघर्ष अलग है और मैं उसके लिए काम करूंगा।

वो स्टार बनाते हैं
उनके पास आपको स्टार बनाने का पावर है। क्योंकि वो आप पर पैसा लगाएंगे। वो सब कुछ भव्य स्तर पर करेंगे। आप अपनी पहली फिल्म रिलीज़ होने से पहले स्टार बन जाएंगे। लेकिन वो आपका करियर खत्म नहीं कर सकते। वो आपको खत्म नहीं कर सकते। ये केवल आपके हाथ में होता है। और वो ये कर सकते हैं कि वो आपके साथ दोबारा काम नहीं करना चाहेंगे।

दर्शक हमेशा स्टार किड चुनता है
एक स्टार किड के पास अपने करियर के शुरुआत में फायदे होते हैं। कभी कभी उन्हें ज़्यादा मौके मिलते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है? क्योंकि दर्शक उन्हें देख रहे हैं। इस देश के सुपरहीरो अमिताभ बच्चन थे। तो जब अभिषेक आया तो हर कोई उसे देखना चाहता था। दर्शक चाहते थे कि वो सफल हो। वो उसकी फिल्में देखने जाते रहे। और वो किसी तरह के जादू का इंतज़ार करते रहे। केवल प्रोड्यूसर और डायरेक्टर आपको नहीं चुनते हैं, दर्शक भी चुनते हैं।

बाहरी आदमी सफलता हैंडल नहीं कर पाता
इस देश में बहुत ज़्यादा टैलेंट हैं। आलिया बहुत अच्छी है, रणबीर शानदार है लेकिन टैलेंट उससे भी ज़्यादा है। भरा हुआ है। एक स्टार किड और एक बाहरी के बीच बस एक ही अंतर होता है - स्टार किड को पता है कि अपनी सफलता और असफलता को कैसे लेना है। जब वो असफल होता है तो उसके पास सपोर्ट सिस्टम है। एक बाहरी को सफलता हैंडल करना नहीं आता है। ये सबके साथ होता है। मनोज बाजपेयी से लेकर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी तक और आगे आने वाले बाहरी तक।

स्टार किड्स अपने मां बाप से असफल होना सीखते हैं
बाहरी एक्टर के पास सपोर्ट सिस्टम नहीं होता है। एक स्टार किड ने अपने मां बाप को सफल - असफल होते हुए देखा है। मेरी नो स्मोकिंग बिल्कुल नहीं चली थी। इसलिए जब देव डी आई मैं सिनेमाहॉल के बाहर डरा हुआ खड़ा था कि पता नहीं लोगों को इस बार फिल्म कैसी लगेगी। मेरी बेटी उस समय मेरे साथ शूट पर जाती थी। तो वो अब इन चीज़ों के लिए तैयार है। उसने देखा है कि मैंने कितनी असफलता देखी है और उससे कैसे लड़ा हूं।

मैं भी करता हूं favoritism
जब मुझे एक्टर्स की ज़रूरत होती है तो मैं ज़्यादातर एक्टर्स यूपी, एमपी, बिहार के लेता हूं। ये भी तो एक तरह का favoritism है ना। क्योंकि मुझे लगता है कि मैं हिंदी फिल्म बना रहा हूं। जिसे हिंदी बोलना नहीं आता, उसको हिंदी फिल्म में क्यों डालूं।

और भी मुद्दे हैं
इस समय हम लॉकडाउन में हैं। हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। कोरोना की स्थिति हाथ से बाहर है। असम में बाढ़ है। दो देशों से हम सीमा पर बुरी तरह से लड़ रहे हैं। और हमारी सरकार किसी और जगह सरकार बनाने में जुटी हैं। लेकिन लोगों का ध्यान इन सब बातों से हटाकर केवल फिल्म इंडस्ट्री पर लगा दिया है।