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दोबारा रिलीज होगी आमिर की 'राख'
आगामी 12 जून को ऑडिसिटी इंटरनेशनल की ओर से आमिर खान की 20 साल पहले आई फिल्म राख को दोबारा 200 प्रिंटो में रिलीज किया जा रहा है। यह उस दौर की फिल्म है जब आमिर खान न तो सुपर स्टार थे और न ही मिस्टर परफेक्शनिस्ट। न ही संतोष सिवन या आदित्य भट्टाचार्य को कोई जानता था। यह बात है 1989 की। जब तीस बरस से भी कम उम्र के कुछ युवाओं ने मिलकर एक ऐसी फिल्म बनाई जो अपने समय से कहीं आगे की फिल्म थी।
यह फिल्म थी राख। यानि आमिर खान की पहली फिल्म। भले ही यह फिल्म कयामत से कयामत तक के बाद रिलीज हुई हो, ज्यादातर लोग इस तथ्य से वाकिफ हैं कि आमिर की पहली फिलम दरअसल राख ही थी। उनकी चॉकलेट ब्वाय वाली इमेज के बिल्कुल विपरीत आमिर ने डार्क शेड की इस फिल्म में काम करके जिस साहस का परिचय दिया था उसके लिए आज भी वे तारीफ के काबिल हैं। खुद आमिर इस फिल्म के बारे में कहते हैं, 'मैंने इस फिल्म के लिए बहुत कड़ी मेहनत की थी, मैंने खुद को लगभग इस फिल्म में झोंक दिया था... इस फिल्म के निर्माण के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा भी...'
तब उनकी उम्र थी महज 24 बरस। फिल्म के निर्देशक आदित्य भट्टाचार्य थे 23 साल के। इस फिल्म से सिनेमा में आज के कई दिग्गजों ने कदम रखा। जैसे कि असाधारण प्रतिभा वाले छायाकार और निर्देशक संतोष सिवन तथा राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले संपादक श्रीकर भट्टाचार्य और तमाम विज्ञापन फिल्मों में अपने संगीत के लिए पहचाने जाने वाले रंजीत बारोट। पंकज कपूर ने सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पाया था। आदित्य को भी बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से बेस्ट डायरेक्टोरियल डेब्यू का अवार्ड मिला।
गौर करें तो यह अपने समय से आगे की फिल्म थी। यह इंडिपेंडेंट सिनेमा के क्षेत्र में अनूठा प्रयास था। यह प्रयास आज हमें देव-डी, गुलाल, मनोरमा सिक्स फीट अंडर और लक्की ओए, ओए लक्की जैसी फिल्मों में दिखता है। फिल्म की इसी प्रासंगिकता को देखते हुए ऑडेसिटी इंटरनेशनल और पालाडोर पिक्चर्स के संस्थापकों ने इस फिल्म की पुर्नप्रस्तुति का मन बनाया।
पालाडोर पिक्चर्स के एमडी और संस्थापक गौतम शिकनिस कहते हैं, 'किसी जमाने में इस फिल्म में मेरे युवा मन पर बहुत गहरा असर छोड़ा था, हाल में जब मैनें यह फिल्म दोबारा देखी, तब तक मैंने कई क्लासिक फिल्में देख डाली थीं और यह देखकर हतप्रभ था कि यह किसी भी मार्डन क्लासिक से कम नहीं बैठती है।'