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    'शोले' का लघु संस्करण 'आखरी गब्बर' दीवाली पर

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    sholay
    इस दीवाली पर लोकप्रिय फिल्म 'शोले' का लघु संस्करण 'आखरी गब्बर' प्रदर्शित होने जा रहा है। इसमें भी शोले की तरह ही डाकू गब्बर सिंह और उसके साथी कालिया व सांभा, जय और वीरू से लड़ते नजर आएंगे। 'शोले' का लघु संस्करण होने के बावजूद यह एक हास्य फिल्म है। 'आखरी गब्बर' के सभी डाकू बौने हैं और वे घोड़ों की नहीं गधों की सवारी करेंगे। फिल्म में बसंती की धन्नो के रूप में भी घोड़ी नहीं गधी होगी, जो केवल तभी चलेगी जब उसके पीछे पटाखे बांधकर चलाए जाएंगे। बसंती की मौसी भी केवल 3.2 फीट लंबी होगी।

    फिल्म के निर्माता व सह-निर्देशक रियाज शेख कहते हैं, "बिना किसी संशय के 'शोले' अपने प्रदर्शन के 35 साल बाद भी भारतीय सिनेमा के दर्शकों के मानस पर राज करती है। कई तरह से इस फिल्म के नए संस्करण पेश करने की कोशिशें की गईं लेकिन कोई भी मूल फिल्म जैसी अद्भुत नहीं थी। मुझे लगता है कि मेरी फिल्म इस मनहूसियत को तोड़ सकेगी।"

    शेख (5.5 फीट कद) कहते हैं कि जिस तरह से 'उमराव जान' और 'पाकीजा' एक ही विषय पर होने के बावजूद एक-दूसरे से अलग थीं उसी तरह 'आखरी गब्बर' भी 'शोले' से अलग है।उन्होंने बताया कि फिल्म की छवि पूरी तरह से बदलने के लिए उन्होंने मूल फिल्म के विपरीत इसमें सभी बौने कलाकारों को लेना तय किया। शेख के लिए इतने सारे बौनों को ढूंढ़ना बहुत मुश्किल था और उन्होंने देशभर में विज्ञापन अभियान के जरिए अपनी फिल्म के कलाकार ढूंढ़े।

    शेख को अपनी फिल्म के लिए केवल 75 कलाकारों की जरूरत थी लेकिन उन्हें इससे भी ज्यादा बौने कलाकार मिले। उन सभी का कद तीन या चार फीट था लेकिन सभी प्रतिभा सम्पन्न थे।सह निर्देशक राम यादव ने बताया कि फिल्म के 90 प्रतिशत हिस्से की शूटिंग हो गई है जबकि कुछ दृश्यों और एक गीत की शूटिंग बाकी है। उन्होंने बताया कि शोले के लोकप्रिय 'महबूबा, महबूबा.' गीत की जगह इसमें 'दिलरुबा, दिलरुबा.' गीत है। अगले सप्ताह रायगढ़ के पनवेल में इस गीत को फिल्माया जाएगा।

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