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रियेलिटी शो बच्चों को बिगाड़ रहे हैं: परवीन
1976 में महज़ तेईस साल की उम्र में पद्मश्री पाने वाली परवीन सुल्ताना पहली है जिन्हें सबसे कम उम्र में इस सम्मान से नवाज़ा गया. इस पुरस्कार के साथ परवीन 1972 में क्लिओपात्रा ऑफ म्यूज़िक, 1980 में गंधर्व कला नीधि, 1986 में मियां तानसेन पुरस्कार तथा 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ कई और पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी परवीन सुल्ताना की आवाज़ आज भी सदाबहार बनी हुई है. संगीत को अपनी जान मानने वाली परवीन सुल्ताना असम को अपनी जन्मभूमि और मुंबई को अपनी कर्मभूमि का दर्ज़ा देती हैं.
हमें
तुमसे
प्यार
कितना
1980
में
बनी
फिल्म
“कुदरत"
के
गीत
“हमें
तुमसे
प्यार
कितना"
को
गाकर
अपनी
गायकी
का
दीवाना
बना
चुकी
परवीन
ने
अभी
हाल
ही
में
अनिल
शर्मा
की
फिल्म
“गदर"
में
एक
ठुमरी
गाई
थी.
चुनिंदा
फिल्मों
में
अपनी
दिलकश
आवाज़
का
जादू
बिखेरने
वाली
बेगम
परवीन
सुल्ताना
ने
विक्रम
भट्ट
की
आगामी
फिल्म
“1920"
में
एक
खूबसूरत
प्रेम
गीत
गाया
है.
इस
गीत
में
क्लासिकल
के
साथ
प्लेबैक
सिंगिंग
का
बेजोड
संगम
है.
क्लासिकल सिंगर संगीत मार्तंड दिलशाद खान साहब से गायकी के क्षेत्र में शिक्षा ले चुकी परवीन ने 1975 में दिलशाद खान साहब से शादी की. आसाम की वादियों में पली बढी परवीन आसाम को जन्मभूमि और मुंबई को अपना कर्मभूमि मानती है. काफी फिल्मों में गा चुकी परवीन इन दिनों अपने पति दिलशाद के साथ मिलकर सारे विश्व में कई कॉंसर्ट का हिस्सा बन चुकी है. यूं तो गायकी की शुरूआत संगीत सम्राज्ञी परवीन नें महज़ पांच वर्ष की उम्र से की मगर फिल्मों में गायकी की शुरूआत फिल्म “पाकिजा" से की. सोलह वर्ष की उम्र में परवीन मुंबई आईं और इत्तेफाक से मशहूर संगीतकार नौशाद साहब ने फिल्म “पाकिजा" के बैकग्राउंड के लिए थोडा सा गाने की दरख्वास्त की. नौशाद साहब ने परवीन की गायकी को एक शो में देख लिया था उसी से प्रभावित होकर उन्होंने परवीन को एक खूबसूरत मौका दिया.
मदन
मोहन
भी
फैन
थे
परवीन
बताती
है
“नौशाद
साहब
के
इस
ऑफर
ने
फिल्मों
में
मेरी
गायकी
के
दरवाज़े
खोल
दिए.
फिल्म
“पाकिजा"
के
बैकग्राउंड
के
लिए
हम
सबने
ठुमरी,
मिश्र
पिलु,
खमाज
इन
रागों
में
थोडा
थोडा
गाया।
फिल्म
“पाकिजा"
के
संगीत
के
हिट
होने
के
बाद
मदन
मोहन
ने
फिल्म
“परवाना"
के
लिए
एक
गीत
को
गानें
का
ऑफर
दिया.
नौशाद
साहब
की
तरह
मदन
मोहन
भी
मेरे
फैन
थे.“
परवीन
सुल्ताना
ने
नौशाद,
मदन
मोहन
के
अलावा
लक्ष्मीकांत
प्यारेलाल,
शंकर
जयकिशन
तथा
आर.
डी.
बर्मन
के
लिए
भी
गाया
है.
परवीन
की
गायकी
के
मुरीद
हैं
अदनान
परवीन
बताती
है
“आर.
डी.
बर्मन
और
मेरे
पति
एक
दूसरे
के
क्लासमेट
रह
चुके
हैं.
दोनों
ने
कलकत्ता
के
सेंट
ज़ेवियर्स
में
पढ़ाई
की
थी.
फिल्म
“कुदरत"
के
एक
गीत
“हमें
तुमसे
प्यार
कितना"
के
लिए
बर्मन
साहब
ने
मेरे
पति
से
कहा
कि
वह
मुझसे
बात
करें
क्योंकि
उन्हें
डर
था
कि
अगर
मैंने
ना
कर
दी
तो.
मगर
जब
मेरे
पति
ने
उन्हें
बताया
कि
मैं
उनकी
फैन
हूं
तब
कहीं
जाकर
उन्होंने
मुझसे
बात
की.
“
इस
गीत
के
लिए
1981
के
सर्वश्रेष्ठ
गायिका
का
फिल्मफेयर
अवार्ड
जीता.
आवाज़
की
धनी
परवीन
को
काफी
फिल्मों
में
गाने
के
ऑफर
मिले
मगर
अपनी
आवाज़
के
साथ
किसी
भी
तरह
का
कोई
समझौता
करने
को
तैयार
नहीं
थी.
यूं
परवीन
सुल्ताना
के
कई
चाहने
वाले
रहें
जिनमें
काफी
संगीतकार
भी
शामिल
हैं.
आजकल
के
संगीतकारों
में
अदनान
सामी
परवीन
के
प्रशंसकों
में
से
एक
हैं.
अदनान
के
पास
परवीन
सुल्ताना
की
सारी
फिल्म
तथा
कॉंसर्ट
में
गाए
गए
गीतों
का
संग्रह
है.
फिल्म
“गदर"
के
एक
ठुमरी
गीत,
जिसे
परवीन
ने
अपनी
आवाज़
से
नवाज़ा
है,
ने
अदनान
को
परवीन
का
दीवाना
बना
दिया.
अदनान
सामी
की
वर्षों
की
तमन्ना
उस
वक़्त
पूरी
हुई
जब
उन्होंने
अपने
संगीत
निर्देशन
में
परवीन
की
गायकी
को
परखा.
न
सिर्फ
संगीत,
गीत
भी
बेहतरीन
हो
परवेन
उन
गानों
को
अपनी
आवाज़
देना
पसंद
करती
है
जिनमें
न
सिर्फ
संगीत
बल्कि
गीत
भी
बेहतरीन
हो.
परवीन
का
मानना
है
“मेरा
क्या
काम
है,
गाने
वाले
तो
बहुत
हैं,
अगर
आप
मुझसे
गवाना
चाहते
हैं
तो
उसमें
कुछ
ऐसा
हो
जिससे
मुझे
भी
संतुष्टि
मिले
और
श्रोता
भी
खुश
हों.“
फिल्म
“1920"
के
गीत
“वादा
तेरा
वादा"
के
बारे
में
परवीन
सुल्ताना
ने
बताया
कि
इस
गाने
की
दो
लाइनें
सुनकर
ही
उन्होंने
इसे
गाने
का
मन
बना
लिया.
यह
गीत
महज़
पौने
दो
घंटे
में
रिकॉर्ड
हुआ.
फिल्म
“1920"
सन
1920
की
कहानी
है.
उसी
परिवेश
में
घटी
घटनाओं
पर
आधारित
इस
गीत
का
संगीत
भी
उसी
दौर
का
लगता
है.
1920
से
लेकर
2007
के
वर्षों
को
अपने
में
समेटती
इस
फिल्म
में
न
सिर्फ
87
वर्षों
का
परिचय
हैं
बल्कि
उसे
काफी
खूबसूरती
से
फिल्म
के
ज़रिए
तीन
घंटे
में
पिरोने
की
बेजोड
कोशिश
है.
“यदि गाना ऐसा मिले तो रोज़ गाएं. बीच में संगीत इंडस्ट्री का बहुत बुरा और था मगर अब इस क्षेत्र में काफी नए नए परिवर्तन हो रहे हैं. अब फ्यूज़न के साथ ट्रेडिशनल गाने भी अपनाए जा रहे हैं. मुझे लगता है संगीतकार काफी कुछ करना चाहते हैं मगर उन्हें स्कोप तो मिले. मेरा मानना है अच्छे स्कोप के लिए अच्छे निर्माता निर्देशक होने चाहिए जो अपनी फिल्म में इस तरह के गीतों को तवज्जो दें.“ परवीन सुल्ताना ने कहा. सभी की तरह परवीन का भी मानना है कि आज के गानों में मेलोडी की कमी है यही वजह है इनकी उम्र दो महीने से अधिक नहीं होती. आज की युवा पीढी भी आज के एक जैसे संगीत से ऊब चुकी है. शास्त्रीय संगीत में स्वर्ग दिखाने का माद्दा है बस ज़रुरत है एक इशारे की.
कुछ
भी
सीखने
के
लिए
शॉर्टकट
नहीं
है
आज
के
रिएलिटी
शो
तथा
गायकों
पर
टिप्पणी
करते
हुए
परवीन
सुल्ताना
ने
कहा
“बिना
शास्त्रीय
संगीत
के
संगीत
सीखना
बिना
व्याकरण
के
अंग्रेज़ी
बोलने
के
बराबर
है.
असली
गायक
वह
है
जो
अपनी
या
अपने
गुरु
की
रचना
को
गाए
जिससे
यह
पता
चल
सके
कि
आप
कितने
पानी
में
हो.
कुछ
भी
सीखने
के
लिए
शॉर्टकट
नहीं
है.
आज
के
गायक
रियाज़
के
बिना
दूसरों
की
गायकी
को
सिर्फ
रटते
हैं.“
प्रसिद्दी
और
पैसे
को
लेकर
आज
युवा
तथा
उनके
माता
पिता
में
जो
होड
मची
हुई
है
उस
पर
परवीन
नाराज़
है.
आज
हर
माता
पिता
चाहता
है
कि
उसका
बेटा
या
बेटी
टेलीविजन
पर
दिखाई
दे
तो
उसे
अच्छी
नौकरी
मिल
जाए,
उसकी
अच्छी
जगह
शादी
हो
जाए.
किसी
भी
क्षेत्र
में
धीरे
धीरे
आगे
बढना
चाहिए
जिससे
आप
अपने
आपको
बुलंदी
पर
ले
जाएं
और
देखने
वाले
दांतो
तले
उंगली
दबा
लें.
रिएलिटी शो के मामले में परवीन का यह भी कहना है कि दरअसल बच्चों को बिगाडा जा रहा है. उनके भविष्य पर आघात है. जिन्होंने सीखा नहीं है वह भी चिल्ला रहे हैं. परवीन का यह भी मानना है कि बच्चों की आवाज़ बदलती है सो उसे बदलने का वक़्त दिया जाए, मगर अफसोस माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चें टेलीविज़न पर दिखाई दे. जिन बच्चों में संभावना नज़र आती है उन्हें सीखाया जाए. उनके माता पिता से दरख्वास्त है कि अपने बच्चों की प्रतिभा को पहचानें और उसके साथ न्याय करें.
परवीन
फिल्मी
गानों
को
फास्ट
फूड
कहती
हैं
अपने
श्रोताओं
को
आहत
नहीं
करने
का
सपना
देखने
वाली
परवीन
सिर्फ
आवाज़
के
बल
पर
नाम
कमाने
में
विश्वास
नहीं
करती.
यही
कारण
है
कि
आज
भी
क्लासिकल
को
उन्होंने
अपनी
पहचान
बना
रखा
है।
नकली
चीज़ें
कभी
कभी
चल
जाती
हैं
मगर
असली
के
साथ
नो
चांस.
क्लासिकल
और
प्लेबैक
सिंगिंग
में
क्या
फर्क
है
?
पूछने
पर
परवीन
ने
हमें
बताया
“यूं
तो
क्लासिकल
और
प्लेबैक
सिंगिंग
में
कोई
फर्क
नहीं
है.
क्लासिकल
सिंगर
और
प्लेबैक
सिंगर
की
वॉइस
टेक्नीक
दोनों
में
काफी
फर्क
होता
है.“
मज़े
की
बात
यह
है
कि
काफी
फिल्मों
में
गा
चुकी
परवीन
फिल्मी
गानों
को
फास्ट
फूड
कहती
हैं.
आजकल के संगीतकारों में अदनान सामी, उत्तम सिंह, इल्लै राजा और ए. आर. रहमान परवीन को काफी प्रभावित करते हैं. परवीन के अनुसार बदलते संगीत का खूबसूरती के साथ इस्तेमाल यह लोग कर रहे हैं. यही कारण है कि एक बार नहीं अनेक बार वह इनके साथ काम करने को तत्पर हैं.
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