Just In
- just now टीवी की पहली नागिन, रातों-रात हुईं पॉपुलर, स्टारडम बना घातक, बेचना पड़ा गाड़ी-बंगला
- 6 min ago 11वी क्लास की सहेली के साथ रवि किशन ने लिए थे फेरे, जानिए कौन है रियल वाइफ प्रीति शुक्ला
- 49 min ago डबल मर्डर, दो सस्पेक्ट, सच-झूठ में उलझा देगी इस फ़िल्म की कहानी, क्लाइमेक्स देख हर किसी का घुमा सिर
- 59 min ago Jennifer Mistry बहन की हुई मौत, प्राइवेट अस्पताल से निकाल कर सरकारी में करवाया एडमिट और फिर...
Don't Miss!
- News Prayagraj News: तो इस वजह से हुई थी दोनों सिपाहियों की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
- Technology गूगल ला रहा है "Quarantine Apps" फीचर, स्पैम ऐप की खैर नहीं
- Finance Google LayOff News: कर्मचारियों को निकालकर AI में निवेश कर रहा है गूगल
- Education PSEB 10th Result 2024 पंजाब बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट स्कोरकार्ड कब और कहां देख सकते हैं? लिंक यहां
- Lifestyle Delhi Bus Viral Video: DTC बस में ब्रा और अंडरवियर में चढ़ गई महिला, इसके बाद जो हुआ, वीडियो में देखें
- Automobiles Bigg Boss फेम आयशा खान ने खरीदी MG की ये धांसू कार, जानें क्या है खासियत?
- Travel सऊदी अरब ने बदला उमराह Visa Rule, अब 90 दिनों तक वीजा रहेगा वैध, Details
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
'खेले हम....':रहमान की कमी खलने नहीं देते सोहेल सेन
बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
'खेलें हम जी जान से' में सोहेल सेन का संगीत है. इस दौर की सबसे महत्वपूर्ण फ़िल्मों के निर्देशक आशुतोष गोवारीकर अब लेकर आए हैं 'खेले हम जी जान से".
संगीत आशुतोष की सभी फ़िल्मों का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है और 'खेलें हम जी जान" से भी इसका अपवाद नहीं है. 'लगान", 'स्वदेस" और 'जोधा अकबर" में ए आर रहमान का संगीत काफ़ी लोकप्रिय रहा था. 'खेलें हम जी जान से" के संगीत की ज़िम्मेदारी आशुतोष ने दी है युवा संगीतकार सोहेल सेन को.
वैसे आशुतोष की पिछली फ़िल्म 'व्हाट्स योर राशि" में सोहेल सेन का प्रयोगात्मक संगीत बहुत सफ़ल नहीं रहा था. बॉलीवुड में सोहेल के आगमन और लम्बे भविष्य के बारे मे अभी अनुमान लगाना मुश्किल है. लेकिन 'खेलें हम जी जान से" में वो ए आर रहमान के स्थान को भरने में पूरी तरह से कामयाब रहे हैं और उनकी कमी नहीं खलने देते.
ऐताहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित ये फ़िल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के चट्टगांव अध्याय पर आधारित है. सोहेल सेन का साथ देने के लिये फिर से गीतकार जावेद अख़्तर हैं जो आशुतोष की फ़िल्मों के स्थायी स्तम्भ रहे हैं.
एलबम की शुरुआत होती है सोहेल सेन के गाये गीत "ये देश है मेरा" से. देश के लिये कुछ करने की कामना लिये युवाओं की भावनाओं को जावेद साहब ने ख़ूबसूरती से शब्दों में ढाला है.
सोहेल के संगीत संयोजन और गायकी ने गीत को गरिमा प्रदान की है और गीत सुनने लायक बन पड़ा है. अगला गीत 'नैन तेरे झुके झुके" में एलबम के सबसे मधुर गीतों में से है. बंगाल के बाउल लोक संगीत पर आधारित इस रचना में आंचलिक संगीत की मिठास बहुत ख़ूबसूरती से उभर कर आती है.
फ़िल्म का परिवेश और पृष्ठभूमि बंगाल की है और सोहेल सेन ने इसी आंचलिक परिवेश पर पामेला जैन और रंजना जोस के स्वर माधुर्य के साथ रचा है और सुनने वालों के लिये एक उम्दा रचना प्रस्तुत की है. 'खेलें हम जी जान से" फ़िल्म का शीर्षक गीत है जो फ़िल्म के मुख्य और सहायक किरदारों पर फ़िल्माया गया है.
लड़कपन के जोश, मज़बूत इरादों और आज़ादी की कामना लिये युवाओं की टोली का ये गीत बेहतरीन कोरस संयोजन और वाद्यों के प्रयोग से प्रभाव छोड़ने में सफल रहा है और फ़िल्म में इस गीत का प्रभाव और उभर कर आयेगा इसमें शक की गुंजाइश कम है।
जावेद अख़्तर के सीधे मगर असरदार बोल गीत को और प्रभावी बनाते हैं. "सपन सलोने" एक सुरीला सॉफ़्ट रोमांटिक गीत है और एल्बम को एक और आयाम देता है. गीत मे सोहेल सेन का साथ दिया है पामेला जैन ने. फ़िल्म के मुख्य किरदारों के स्वन्त्रता संघर्ष के साथ साथ आपसी प्रेम के द्वन्द और उनकी प्राथमिकताओं को गीत की शक्ल दी है आशुतोष ने.
साउंडट्रैक में कालजयी गीत वंदेमातरम का एक नया संस्करण पेश किया गया है जिसमें गीत के हिन्दी अनुवाद के रूप में प्रस्तुत किया है. मूल गीत क्लिष्ट संस्कृत में होने के बावजूद जन मानस के हृदय में विशिष्ट स्थान रखता है, मगर उसका हिन्दी अनुवाद असर छोड़ने में नाकाम रहा है.
जब तक इस हिन्दी अनुवाद की फ़िल्म की स्क्रिप्ट में बहुत उपयोगिता ना हो, केवल कुछ नया करने के लिये ये प्रयोग बेतुका सा लगता है. संगीत आशुतोष गोवारीकर की सभी फ़िल्मों का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है
आजकल शोरशराबे और धूमधड़ाके से भरे संगीत एल्बमों में रीमिक्स बहुत जरूरी हिस्सा माना जाता है मगर सुरीले गीतों के शौकीनों के लिये ये राहत की बात है कि एल्म्ब में रीमिक्स वर्ज़न की जगह पार्श्वसंगीत के टुकड़ों को समाहित किया है.
आशुतोष गोवारीकर की फ़िल्मों में पार्श्व संगीत बह्त असरदार तरीके से पेश किया जाता है. इस एल्बम के ये टुकड़े भी ये उम्मीद जगाते हैं कि फ़िल्म में पार्श्वसंगीत बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करेगा, ख़ास तौर पर 'लाँग लिव चिटगांग" और 'टीनेजर व्हिसल".
पूरे तौर पर देखें तो एल्बम ना सिर्फ़ फ़िल्म की स्क्रिप्ट के साथ न्याय करता है बल्कि सुनने वालों को एक सुरीली राहत प्रदान करता है. नंबरों के लिहाज़ से पांच में से साढ़े तीन इस एलबम के लिए.
-
प्यार या मारपीट... कैसे हैं ये निशान, वीडियो में खुली पोल तो Seema Haider ने बताया- 'मैं इन्हें रोज रात को...'
-
'मिस्टर इंडिया' की ये क्यूट बच्ची अब 37 साल में हुईं ग्लैमरस, एक्टिंग छोड़ मार्केटिंग फील्ड में मचा रहीं धमाल
-
''मुझे चम्मच से मारा, मेरे जूते में पेशाब की..'' जब इस डायरेक्टर पर आपा खो बैठे थे सलमान खान