Just In
- 15 min ago Tamannaah Bhatia पर पुलिस ने कसा शिकंजा, इस मामले में भेजा एक्ट्रेस को भेजा समन
- 25 min ago तीसरी शादी को लेकर आमिर खान ने दिया ऐसा रिएक्शन, बोले- मेरे बच्चे मेरी नहीं सुनते...
- 54 min ago कोरियोग्राफर ने करिश्मा कपूर के साथ की थी ऐसी हरकत? फूट फूटकर रोई हसीना, कैंसिल कर दी शूटिंग!
- 3 hrs ago 'डिंपल कपाड़िया के बच्चे आपके हैं या ऋषि कपूर के..?' जब राजेश खन्ना की बदतमीजी पर इस हसीना ने दिया जवाब..
Don't Miss!
- Lifestyle Boyfriend को दिनभर में करती थी 100 बार फोन, पता चला Love brain बीमारी से जूझ रही हैं गर्लफ्रेंड
- News Ground Report Purnia: चुनावी मैदान में पप्पू यादव, बीमा भारती और संतोष कुशवाहा, मतदाताओं ने बताया बेहतर कौन
- Technology Whatsapp में हुई PassKey फीचर की एंट्री, बिना पासवर्ड कर सकेंगे लॉग-इन
- Finance Gold Rate Today: आज फिर मुंह के बल गिरा सोना,10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत में 350 रुपये की दर्ज हुई गिरावट
- Automobiles Jeep Wrangler Facelift Review Video : जानें पहले से कितनी बदल गई नई ऑफ-रोडर SUV? डिजाइन में हुए ये अपडेट
- Education JEE Advanced 2024 के लिए 2.50 लाख छात्र हुए क्वालिफाई, देखें श्रेणी-वार उम्मीदवारों की सूची
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
बॉलीवुड में सूफी संगीत का गलत प्रयोग
पंजाब में जन्मे लोकप्रिय गायक हंस राज हंस ऐसी जमीन से ताल्लुक रखते हैं जहां के किसान सूफी गीत गाते हैं। हंस का परिवार भी इन्हीं में से है। उनका कहना है कि सूफी संगीत इन दिनों नए रूप में लोगों तक पहुंच रहा है।
हंस ने कहा कि इन दिनों बॉलीवुड में सूफी संगीत की आत्मा बदले बिना नए प्रयोग हो रहे हैं और यह संगीत अलग रूप में लोगों तक पहुंच रहा है।
हंस ने कहा, "सूफी कलाम के शब्दों और भावों में कोई बदलाव नहीं है, केवल संगीत में परिवर्तन हुआ है। यह एक अच्छी बात है कि सूफीवाद और उसका संगीत लोगों तक पहुंच रहा है लेकिन इस संगीत को अपनी परंपरा से नहीं भटकना चाहिए।"
पाकिस्तानी गायक नुसरत फतेह अली खान के साथ प्रस्तुति दे चुके हंस का कहना है कि बॉलीवुड सूफी संगीत में आजादी बरत रहा है।
उनका सपना है कि वह सूफी संगीत के लिए एक आश्रम बनाएं ताकि शताब्दियों पुराना यह संगीत भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंच सके।
शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय कला उत्सव, दिल्ली में प्रस्तुति दे चुके इस सूफी संगीतकार का कहना है, "मैं बच्चों के लिए सूफी संगीत का एक आश्रम बनाना चाहता हूं।"
हंस ने कहा, "सूफी संगीत की राह बहुत कठिन है। ज्यादातर समकालीन संगीतकार रातभर में मशहूर हो जाना चाहते हैं। सूफी संगीत में त्वरित प्रसिद्धि नहीं पाई जा सकती। इसमें समय लगता है।"
एक किसान परिवार में जन्मे हंस कहते हैं, "मैंने पहली बार पांच-छह साल की उम्र में किसानों के समूह को उनके खेतों में सूफी लोकगीत गाते हुए सुना था। मेरा परिवार भी गाता था। मैंने उनका अनुसरण किया और गानों को सीखा।"
लगभग 20 वर्ष से अधिक समय से सूफी संगीत की सेवा कर रहे हंस को उनके संगीत में योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।