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    INTERVIEW: शाबाश मिट्ठू, बॉक्स ऑफिस और फिल्मों में संघर्ष पर तापसी पन्नू- 'यहां कोई मेरा चीयरलीडर नहीं है'

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    हर फिल्म के साथ अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली अभिनेत्री तापसी पन्नू लगभग ढ़ाई सालों के बाद फिल्म 'शाबाश मिट्ठू' के साथ बड़ी स्क्रीन पर दस्तक देने वाली हैं। सृजित मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में तापसी भारतीय महिला क्रिकेट की पूर्व कप्तान मिताली राज की भूमिका निभाते दिखाई देंगी। फिल्म को लेकर उत्साह जताते हुए तापसी कहती हैं, ये मेरी आज तक की सबसे रिस्की फिल्म है। मुझे उम्मीद है कि लोग इसे पसंद करेंगे।

    शाबाश मिट्ठू 15 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। तापसी कहती हैं, "मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि ये कोई क्रिकेट फिल्म नहीं है, बल्कि क्रिकेट खेलने वाली एक लड़की की कहानी है।" फिल्म में मिताली राज की निजी जिंदगी के कुछ खास पहलू और क्रिकेट करियर में उनके संघर्षों और सफलताओं को दिखाया जाएगा।

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    शाबाश मिट्ठू की रिलीज से पहले तापसी पन्नू फिल्मीबीट से रूबरू हुईं, जहां उन्होंने इस क्रिकेट फिल्म के लिए अपनी तैयारी, बॉक्स ऑफिस के प्रेशर और अपने करियर में आए संघर्षों पर खुलकर बातें की। फिल्मों में सफर पर बात करते हुए तापसी कहती हैं, "किस स्केल की फिल्में ऑफर हो रही हैं, उससे अब समझ जाती हूं कि इंडस्ट्री में मेरा लेवल क्या है।"

    यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-

    Q. ढ़ाई सालों के बाद आप बड़ी स्क्रीन पर नजर आने वाली हैं। बॉक्स ऑफिस का कितना प्रेशर महसूस कर रही हैं?

    Q. ढ़ाई सालों के बाद आप बड़ी स्क्रीन पर नजर आने वाली हैं। बॉक्स ऑफिस का कितना प्रेशर महसूस कर रही हैं?

    बॉक्स ऑफिस का प्रेशर तो होता ही है और हर एक्टर को होता है। जिस भी कलाकार को फिल्म अपने कंधे पर उठाने का शौक होता है, उनको ये प्रेशर सहना पड़ता है। वहीं, जो सोचते हैं कि अपना काम करो और आगे बढ़ो, शायद उनको नहीं होता होगा। फिल्म पूरी तरह से एक जुआ होता है। मुझे नहीं पता कितने लोग फिल्म देखने आएंगे.. और किसी को नहीं पता होता है। जो लोग कहते भी थे ना कि उन्हें दर्शकों का गणित पता है, सबका अंदाजा गलत प्रूव होता जा रहा है।

    Q. इस साल कई हिंदी फिल्में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं। आप कहां कमी देखती हैं?

    सच कहूं तो मुझे नहीं लगता ऐसी कोई बात है कि इस साल ज्यादा फिल्में फ्लॉप हो रही हैं या अच्छा नहीं कर रही हैं। कई बड़ी फिल्में तो पहले भी फ्लॉप होती थीं। कोई ऐसा दौर नहीं रहा है, जब सभी फिल्में हिट हो रही थी। और जहां तक कमाई और नुकसान की बात है, तो आजकल थियेट्रिकल कमाई के अलावा भी कई और रास्ते हैं रेवेन्यू कमाने के, जो पहले नहीं थे।

    Q. फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने का आपका भी लंबा संघर्ष रहा है। मिताली राज के सफर से कितनी समानता पाती हैं?

    Q. फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने का आपका भी लंबा संघर्ष रहा है। मिताली राज के सफर से कितनी समानता पाती हैं?

    क्रिकेट और फिल्में.. ये दोनों ही हमारे देश में धर्म की तरह माने जाते हैं। हर कोई खुद को क्रिकेट लवर या मूवी लवर कहते हैं। लेकिन दोनों में एक समानता ये है कि क्रिकेट हो या फिल्में, लोग ज्यादा पुरूषों को देखने ही जाते हैं। मेन्स क्रिकेट टीम हो या पुरुष प्रधान फिल्में.. चर्चा में यही रहते हैं। जबकि यदि आप क्रिकेट लवर हो तो आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए ना कि बल्ला किसके हाथ में है और गेंद किसके हाथ में। या फिल्म में हीरो कौन है- महिला या पुरुष। तो ये वाला जो संघर्ष है, ये हम दोनों का समान है। हम दोनों अपने क्षेत्र में बराबरी का मौका चाहते हैं। फिल्म अच्छी है, आपको पसंद आ रही है.. लेकिन हीरोइन है तो आप रिव्यू का इंतजार करते हो और हीरो है तो जाकर एडवांस बुकिंग कर लेते हो.. तो ये जो भेद भाव है, ये नहीं होना चाहिए।

    Q. आज आप एक सफल अभिनेत्री हैं, ऐसे में किस तरह के संघर्ष से जूझना पड़ता है?

    Q. आज आप एक सफल अभिनेत्री हैं, ऐसे में किस तरह के संघर्ष से जूझना पड़ता है?

    अभी संघर्ष है कि मेरी फिल्मों को बजट अच्छा मिलना चाहिए.. क्योंकि पहली लाइन ही सबकी यही होती है कि महिला प्रधान फिल्म है तो इतना बजट नहीं हो सकता। फिर यदि सीमित बजट के अंदर फिल्म बन भी जाए, तो उसे उतनी स्क्रीन नहीं मिलती, जितनी किसी मेल हीरो की फिल्म को मिलती है। शोज अच्छे नहीं मिलते हैं। तो हां, करियर के हर लेवल पर संघर्ष अलग तरह का होता है.. और वो चलता रहेगा।

    Q. मिताली राज की किस खूबी ने आपको उनकी बायोपिक के लिए आकर्षित किया?

    एक पुरुष प्रधान गेम के अंदर उसने एक पत्रकार को एक बात बोली थी.. कि "क्या कभी आपने किसी मेल क्रिकेटर से पूछा है कि उनकी फेवरिट फीमेल क्रिकेटर कौन है! नहीं ना, तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे हैं?" जब मिताली ने ये जवाब दिया था ना तब मुझे पता चला था कि मिताली राज कौन है। फिर मुझे पता चला कि हमारी वुमैन क्रिकेट टीम है। तो मुझे खुद भी इस बात का खेद है कि मुझे नहीं पता था उनके बारे में। तो अपनी उसी गलती को मैं इस फिल्म के जरीए सुधारने की कोशिश कर रही हूं।

    Q. फिक्शनल कहानियों में अभिनय को लेकर कोई दवाब नहीं होता। लेकिन बायोपिक में अभिनय करने के दौरान किन बातों का ख्याल रखती हैं क्योंकि फिल्म में मिमिक्री भी नहीं जा सकती?

    Q. फिक्शनल कहानियों में अभिनय को लेकर कोई दवाब नहीं होता। लेकिन बायोपिक में अभिनय करने के दौरान किन बातों का ख्याल रखती हैं क्योंकि फिल्म में मिमिक्री भी नहीं जा सकती?

    सही कहा, फिल्म में मैं मिमिक नहीं कर सकती। लेकिन मुझे पता होना चाहिए कि इस लड़की को किस चीज की खुशी होती है, इसे क्या गम है, इसे कौन सी बात बुरी लगती है, किस बात को वो सेलिब्रेट करेगी और किस चीज पर हार मानेगी। तो उसके कैरेक्टर के ये प्वॉइंट्स मुझे पता होने चाहिए। बाकी आप कैसे दिखते हो, कौन सी भाषा बोल रहे हो.. ये सब ऊपरी बातें हैं। उदाहरण के तौर पर मिताली 100 रन बनाए, 200 रन बनाए.. वो कभी उछल कूद कर उस मोमेंट को सेलिब्रेट नहीं करती है। वो ज्यादा से ज्यादा एक स्माइल करती है। तो मुझे बस इसी बात का अंदाजा लगाना था कि वो खुशी मनाती है तो किस तरीके से, कितनी खुशी मनाती है। मैं वहां अपने तरीके से खुशी नहीं मना सकती। बता दूं, जब वो वर्ल्ड कप हार के आई थी, तो भी वो रोई नहीं थी। तो फिल्म में भी मुझे वही भाव दिखाना था। मैं वहां रो नहीं सकती जबरदस्ती.. कि ड्रामा दिखाना है तो मैंने आसूंओं के पुल बांध दिये।

    Q. निर्देशक सृजित मुखर्जी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

    Q. निर्देशक सृजित मुखर्जी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

    उनके साथ काम करने में मुझे सबसे पॉजिटिव बात ये लगी कि वो एक डायरेक्टर से पहले, एक क्रिकेट प्रेमी हैं। क्रिकेट उनका पहला प्यार है, फिर फिल्में हैं। तो जब आप अपने आपको ऐसे इंसान के हाथों में सौंपते हो तो पता होता है कि.. कुछ भी हो जाए, यहां क्रिकेट गलत नहीं होगा। मुझे सबसे ज्यादा डर इसी बात का था क्योंकि मैंने क्रिकेट कभी खेला नहीं था। मैं नहीं चाहती थी कि कल को कोई फिल्म देखकर बोले कि लड़की है ना, तो इसने क्रिकेट ठीक से नहीं खेला। इसीलिए सृजित मुखर्जी के साथ काम करने में मैं बहुत सहज रही। बाकी तो वो नेशनल अवार्ड विनिंग निर्देशक हैं, तो आपको पता ही है कि वो काम में कितने बेहतरीन हैं। हम दोनों 2016 से ही एक दूसरे के संपर्क में हैं और साथ काम करना चाह रहे थे। मुझे खुशी है कि आखिरकार इस फिल्म के साथ हम जुड़ पाए हैं। वैसे ये मेरी आज तक की सबसे रिस्की फिल्म है.. बजट की वजह से।

    Q. बायोपिक फिल्मों में काफी क्रिएटिव लिबर्टी ली जाती है। अपनी फिल्म के बारे में क्या बोलना चाहेंगी?

    लिबर्टी को हमने भी ली है, लेकिन मुझे लगता है कि वो कहानी की जरूरत है। यदि किसी इंसान की 9 साल से लेकर 36 साल तक की जर्नी मुझे ढ़ाई घंटे में दिखानी है, तो थोड़ी क्रिएटिव लिबर्टी तो लेनी ही पड़ेगी। जैसे कि हमें उसकी जिंदगी के चार- पांच खास लम्हों को बांधकर एक सीन में डालना पड़ा, ताकि लोगों को पता चल सके कि क्या क्या हुआ है उसकी लाइफ में। तो बस इतनी ही लिबर्टी ली है हमने.. वर्ना वेब सीरीज बनाना पड़ जाता।

    Q. एक इंटरव्यू में आपने कहा कि एक समय था जब किसी को आपसे कोई खास उम्मीद नहीं थी। जानना चाहते हैं कि वहां से आज तक का सफर आप कैसे देखती हैं, जब आपके पास फिल्मों की लंबी लाइन लगी है?

    Q. एक इंटरव्यू में आपने कहा कि एक समय था जब किसी को आपसे कोई खास उम्मीद नहीं थी। जानना चाहते हैं कि वहां से आज तक का सफर आप कैसे देखती हैं, जब आपके पास फिल्मों की लंबी लाइन लगी है?

    मैंने लंबे रास्ते का चुनाव किया, जो थोड़ा थकान भरा हो सकता है। यहां ऐसा नहीं होता है कि एक हिट से आपकी जिंदगी बदल जाएगी, आपको लगातार अच्छी से अच्छी फिल्म करनी पड़ेगी। आपको फेल होने का मौका नहीं मिलेगा.. क्योंकि यदि आप फेल हो गए बीच में, तो आपको धक्का देकर और पीछे कर दिया जाएगा। इस रास्ते में आपके पास फेल होने की आजादी नहीं होती। मैंने हमेशा यही कोशिश की है कि मुझे किसी की मदद की जरूरत ना पड़े.. क्योंकि शुरुआत में कोई फिल्में देता नहीं था मुझे। खासकर किसी बड़े हीरो की फिल्म मुझे नहीं मिलती थी। इसीलिए मुझे अपना अलग रास्ता बनाना पड़ा। जो बात मेरे फेवर में रही, वो ये कि किसी ने मुझसे कोई उम्मीद नहीं रखी थी। इसीलिए धीरे धीरे करके अपना आगे बढ़ते गई।

    Q. इस दौरान इंडस्ट्री में अपने आस पास आपने कितना बदलाव महसूस किया?

    Q. इस दौरान इंडस्ट्री में अपने आस पास आपने कितना बदलाव महसूस किया?

    जब मेरे पास फिल्म आती है ना तो मैं देखती हूं कि ये कितनी बड़ी स्केल की फिल्म है कि जो इस प्रोड्यूसर ने मेरे पास लेकर आने की सोची। उससे मैं समझने की कोशिश करती हूं कि इंडस्ट्री में मेरा लेवल क्या है.. क्योंकि यदि अभी भी बड़े स्केल की फिल्म लेकर नहीं आ रहे मेरे पास, इसका मतलब ये कि अभी भी इन्हें मुझ पर ऐसा भरोसा नहीं है कि ये कोई बड़ी फिल्म निकाल सकती है। तो धीरे धीरे मैं नोटिस कर रही हूं कि अब लोग मेरे साथ भी थोड़ी बड़ी स्केल की फिल्में बनाना चाह रहे हैं, जिस वजह से मुझमें भी थोड़ा विश्वास आ रहा है कि निर्माता अब मुझ पर पैसा लगाने को तैयार हैं। बाकी मैं इंडस्ट्री में ज्यादा किसी के टच में नहीं हूं कि मुझे उनमें आए बदलाव समझ आए। यहां कोई मेरे चीयरलीडर्स नहीं हैं और मैंने इसी तरह यहां मेनटेन करके रखा है।

    Q. शाबाश मिट्ठू के बाद किन फिल्मों में व्यस्त हैं?

    मेरी तीन फिल्में रिलीज के लिए बिल्कुल तैयार है। इसके बाद और पांच- छह फिल्में मैंने साइन की हैं, जिनकी घोषणा अभी होनी है। फिर वो फ्लोर पर आएंगी। तो बस बैक टू बैक शूटिंग करनी है।

    English summary
    As film Shabaash Mithu is all set to release on 15th July in theatres. In an interview with Filmibeat, Taapsee Pannu speaks about her role in the film, box office pressure, about struggles in film industry and much more.
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