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    मैंने तो घाट घाट का पानी पिया है

    By Super
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    टेलीविजन के बाद बहुत ही कम फिल्मों में अनोखे किरदारों के माध्यम से रणवीर शौरी ने काफी निर्देशकों के दिल में अपनी खास जगह बना ली है. फिलहाल अपने दोस्त और निर्देशक रजत कपूर की फिल्म 'मिथ्या" में अपने किरदार के लिए वह काफी उत्साहित हैं. उनके अनुसार इस तरह का कॉम्प्लेक्स किरदार उन्होंने न पहले कभी निभाया है और न निभाएंगे.

    'मिथ्या" के बारे में बताइए ?

    'मिथ्या" एक संघर्षशील नायक की कहानी है जो एक छोटे कस्बे से मुंबई आता है. इस सपनों के शहर में सितारों की चकाचौंध उसे ले तो आती है मगर उसकी किस्मत उसे कहीं और ही ले जाती है. यही है 'मिथ्या". 'मिथ्या" में मेरा किरदार मेरे अब तक की सारी फिल्मों के किरदार से बेहतरीन है और इसका पूरा श्रेय जाता है मेरे दोस्त और निर्देशक रजत कपूर को जिन्होंने मुझे इतना अच्छा किरदार दिया. उनके साथ मेरी यह तीसरी फिल्म है और इसके अलावा उनके साथ मैं दो प्ले भी कर चुका हूं.

    आपको ऐसा क्यों लगता है कि रजत ही आपको अच्छा किरदार देते हैं हालांकि फिल्म 'ट्रैफिक सिग्नल" में आपके चरसी किरदार को भी काफी सराहा गया था ?

    आप अगर यह फिल्म देखेंगी तो जानेंगी कि इसमें उससे भी अच्छा किरदार मैंनें निभाया है.

    'मिथ्या" में नसीरुद्दीन शाह के साथ पहली बार काम करना कैसा लगा ?

    इससे पहले मैंने उनकी फिल्म 'वैसा भी होता है" में एक छोटा सा कैमियो किया था. हां यह सच है कि इस फिल्म में पहली बार हम एक साथ नज़र आने वाले हैं. नसीर भाई को मैं जब से जानता हूं वह मेरे साथ काफी अच्छे रहे हैं. 'मिथ्या" के वक़्त एक बात मैंने गौर की थी. नसीर भाई से जब मैं सेट पर मिलता था तो काफी अच्छे से हमारी बात होती थी क्योंकि हम काफी पहले से एक दूसरे को जानते हैं. मगर जैसे ही कैमरा ऑन होता था और वह अपने किरदार में जाते तो एक अलग इंसान हो जाते थे. यह मेरे लिए एक चमत्कार जैसा था. अभी भी बोलते वक़्त मेरे रोंगटे खडॆ हो रहे हैं.

    क्या उन्होंने आपको कभी कोई अभिनय की टिप दी हालांकि आप भी एक बेहतरीन कलाकार है ?

    नसीर भाई तो ज्ञान की दुकान है. जहां तक टिप देने की बात है उन्होंने कभी बैठकर उपदेश नहीं दिया हां शॉट के दौरान वह ज़रूर मुझे अभिनय की बारीकियां सीखाया करते थे. अभी उन बातों का ज़िक्र कर पाना मेरे लिए काफी मुश्किल है क्योंकि वह उस परिस्थिती पर काफी सटिक बैठती थी.

    क्या वजह है कि अर्थपूर्ण फिल्मों में आप नायक के तौर पर नज़र आने के बावजूद कमर्शियल फिल्मों में किरदार रोल ही निभा रहे हैं ?

    इसकी वजह यह है कि कौन मुझे कमर्शियल फिल्म में हीरो का रोल देगा. कमर्शियल फिल्म का अर्थ होता है कि आप कितने दर्शकों को सिनेमाघर तक खिंचकर लाते हैं. मैं प्रीतिश नंदी की फिल्म 'अगली और पगली" में मुख्य भूमिका में मल्लिका शेरावत के साथ नज़र आने वाला हूं. इसे मैं संपूर्ण रूप से कमर्शियल फिल्म नहीं कहूंगा. हालांकि इसमें भी प्रेम कहानी है मगर यह प्रेम कहानी हमारी आम हिंदी फिल्मों की प्रेम कहानियों की तरह नहीं है. मुझे यकीन है ऐसी प्रेम कहानी दर्शक फिल्म में पहली बार देखेंगे.

    यानी कि अगर बडे बैनर की फिल्म में आपको कॉमेडियन की भूमिका मिलें तो आप निभाएंगे ?

    क्यों मैंने निभाया नहीं है. मैंने तो घाट घाट का पानी पिया है. मैंने 'खोंसला का घोंसला", 'प्यार के साइड एफेक्ट्स" में कॉमेडी की है. अभी अक्षय कुमार के साथ विपुल शाह की 'सिंह इज़ किंग" मैं कर रहा हूं, जो कंप्लिट कमर्शियल फिल्म है. मैं कभी यह नहीं देखता कि फिल्म में मैं मुख्य भूमिका में हूं या सपोर्टिव भूमिका में. मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि फिल्म की कहानी में मेरा किरदार कितना सशक्त है. अब देखिए 'ट्रैफिक सिग्नल" से पहले मैंने कोई मेन स्ट्रीम फिल्म नहीं की थी मगर इस फिल्म में मुझे मेरा किरदार पसंद आया और मैंने उसे अपना लिया. 'प्यार के साइड इफेक्ट्स" के साथ भी ऐसा ही था. उसकी कहानी, निर्देशक और किरदार मुझे इतना पसंद था कि मैंने उसे भी निभा लिया. 'सिंह इज़ किंग" में बहुत बडी स्टार कास्ट है मगर मुझे बडे स्टार कास्ट का हिस्सा बनने में कोई आपत्ति नहीं थी सो मैंने हां कर दिया. हर किरदार को निभाने का अलग अलग कारण है. मगर जहां तक 'मिथ्या" में मेरे किरदार की बात है यह मैं डंके की चोट पर कह सकता हूं कि इससे अच्छा और कॉम्प्लेक्स रोल मैंने न कभी किया है और न कभी करुंगा.

    फिल्म में अपना किरदार कैसे चुनते हैं आप ?

    साधारण तौर पर अपने किरदार को चुनते वक़्त मैं तीन बातों का ख्याल रखता हूं - कहानी, निर्देशक और किरदार. मगर इनमें भी कुछ ऐसी फिल्में है जिन्हें मैंने रजत, विनय, सौरभ और सागर बेलारी के कारण की है.

    रजत कपूर की फिल्म चुनते वक़्त आप उन्हें बतौर निर्देशक देखते हैं या बतौर दोस्त ?

    अब तक तो दोस्त पहले रहा है. मैं उसे उन दिनों से जानता हूं जब मैं मुंबई आया था. उन दिनों हम सब अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. तब से लेकर अब तक कभी न मैंने रजत से पूछा कि वह मुझे क्या किरदार देगा और न उसने मुझसे पूछा कि मुझे कैसा किरदार चाहिए. मुझे उनके साथ काम करना सिर्फ इसलिए नहीं पसंद है क्योंकि हम दोस्त है बल्कि इसलिए क्योंकि सभी काफी बेहतरीन इंसान है. सौरभ, रजत और विनय सभी ज़बर्दस्त टैलेंटेड लोग हैं. उनके साथ काम करना मेरे लिए फायदे का सौदा है. यही कारण है कि उनके साथ काम करना मैं अपना सौभाग्य समझता हूं.

    बॉलीवुड में आप अपनी पहचान एक एक्टर, एक साइड एक्टर या कॉमेडियन के तौर पर बनाना चाहेंगे ?

    एक एक्टर के तौर पर.

    आप काफी बडी बडी हीरोइन जैसे मल्लिका शेरावत, कैटरीना कैफ, कोंकणा सेन शर्मा और माधुरी दीक्षित के साथ नज़र आ चुके हैं. कैसा लगता है ?
    मुझे लगता है मैं काफी सौभाग्यशाली हूं. वैसे आपने नेहा धूपिया का नाम नहीं लिया हालांकि आप मिथ्या के बारे में बात कर रही हैं. अगर नेहा को पता चला तो आपका मुझे नहीं पता मगर मेरे सिर पर वह एक बाल भी नहीं छोडेगी. ऐसा करने के लिए वह काफी समर्थ है.

    अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में बताइए ?

    मेरी आने वाली फिल्मों में 'आइ एम 24", 'तीसरी मंजिल", 'अगली और पगली", 'सिंह इज़ किंग", 'गुड लक", 'सिर्फ" और 'चांदनी चौक टू चाइना" है. अभी मैं 'अगली और पगली" की शूटिंग में व्यस्त हूं जो बहुत जल्द खत्म होने वाली है. इसके बाद मैं अक्षय कुमार के साथ 'चांदनी चौक टू चाइना" शुरु करुंगा. यह अक्षय के साथ मेरी दूसरी फिल्म होगी. आप चाहें तो कह सकती हैं अक्षय कुमार मेरे नए हीरो होंगे.

    इसके अलावा अतुल सभरवाल की 'जंक्शन" थी उसका क्या हुआ ?

    उसके बारे में तो मैं खुद नहीं जानता. दरअसल वह फिल्म अब बंद हो गई है. इस फिल्म का दुर्भाग्य है कि यह फिल्म तीन बार शुरू करने की कोशिश की गई और तीनों बार इस फिल्म के निर्माता के पैसे खत्म हो गए. मैं चाहूंगा कि मुझे अतुल सभरवाल के साथ काम करने का मौका मिले.

    'तीसरी मंजिल" में इरफान खान 'आइटम बॉय" बनकर स्टेज पर थिरकते नज़र आने वाले हैं. यदि आपको नाचने का मौका मिले तो ?

    मुझे भी तो 'अगली और पगली" में नचवा रहे हैं. नाचने के मामले में आप मुझे नया सन्नी देओल कह सकती हैं क्योंकि मैं भी बहुत बुरा नाचता हूं. वैसे नाचना मुझे पसंद है मगर फिल्मों में नहीं. अगर किसी पार्टी में नाचने को कहा जाए तो मैं अपने दोस्तों के साथ नाच सकता हूं मगर कोरियोग्राफर के तालों पर मैं नहीं नाच सकता.

    'आजा नचले" में माधुरी के साथ नाचने के बावजूद आपको नाचने में इतनी दिक्कत हो रही है ?

    वह नाच थोडे ही था. नाच से अधिक उसमें नाटकियता अधिक थी. उसमें सिर्फ घुम घुमकर तलवारबाजी करनी थी. उसके लिए भी मैंने डॆढ महिने की ट्रेनिंग ली थी. मगर इसमें न रिहर्सल है और न ट्रेनिंग है. सेट पर पहुंचते ही कहा जाता है 'चलो जी अब आपको नाचना है" कहकर शुरु कर देते हैं वन टू थ्री फोर चिल्लाना.

    आपको ऐसा नहीं लगता एक कंप्लिट एक्टर बनने के लिए नाचना आना भी ज़रुरी है. तो क्या इसके लिए ट्रेनिंग लेने की सोच रहे हैं ?

    हां यह मैंने ज़रुर सोचा है कि अगर हीरो बनना है तो नाचना सीखना पडेगा. इसके लिए मैं वाकई ट्रेनिंग लेने वाला हूं. मगर अभी मेरे लिए यह बहुत मुश्किल भरा काम है.

    खैर, क्या फिल्म के साथ टेलीविज़न को भी कंटिन्यू रखेंगे ?

    जी हां बिल्कुल. मैंने कभी ऐसा नहीं कहा कि अब मैं टेलीविज़न की दुनिया को छोडकर फिल्म की दुनिया में दाखिल हो चुका हूं.

    तो टेलीविज़न पर होस्टिंग करना पसंद करेंगे या कॉमेडी ?

    जो सबसे अधिक दिलचस्प हो. इन दिनों टेलीविज़न न करने का सबसे बडा कारण यही है कि हर कोई हमसे 'रणवीर विनय और कौन" जैसा शो करने को कह रहा है जिससे हम ऊब चुके हैं. जब मैं पक गया हूं तो ज़ाहिर सी बात है हमारे दर्शक भी पक गए होंगे. और मुझे यकीन है दर्शक भी पक गए हैं. अब जब तक कि कुछ नया न आ जाए न मैं अपना वक़्त बर्बाद करना चाहता हूं और न दूसरों का.

    व्यक्तिगत रूप में आप क्या सचमुच कॉमेडी पसंद करते हैं ?

    दरअसल बात मेरी पसंद या ना पसंद की नही है. आज दस में से आठ फिल्में मुझे कॉमेडी ही मिलती हैं. लोगों को लगता है मैं अधिकतर कॉमेडी फिल्में ही करता हूं. मगर ऐसा नहीं है मैं गंभीर किरदार निभाना भी पसंद करता हूं और मेरी कोशिश है कि मुझे कुछ गंभीर किरदार भी मिले.

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