Just In
- 7 min ago सूर्या शिवकुमार कांगुआ ने हिला डाली साउथ फिल्म इंडस्ट्री, बजट जानकर हिल जाएगा दिमाग
- 43 min ago Video- मीरा राजपूत के साथ थे शाहिद कपूर, हुआ कुछ ऐसा की पैपराजी पर भड़क गए अभिनेता
- 49 min ago पैसों के लिए इन टीवी हसीनाओं ने खाए थप्पड़ पर थप्पड़, खुद की ही इज़्ज़त का बना लिया था फालूदा
- 51 min ago LSD 2 के फ्लॉप होने के बाद डायरेक्टर Dibakar Banerjee का आया बयान, कहा- 'Ekta Kapoor ने मुझे जबरदस्ती...'
Don't Miss!
- Technology Airtel ने लॉन्च किया इंटरनेशनल रोमिंग पैक, विदेश घूमने जाने वाले यूजर्स की मौज
- News Indore News: मतदान केंद्रों पर रहेगी 5 स्टार होटल जैसी व्यवस्था, क्या कुछ रहेगा खास, जानिए
- Lifestyle मूंछों की वजह से 10वीं टॉपर का बना मजाक, इस बीमारी से लड़कियों के फेस उगते है बाल
- Education UPSC CDS 2 Final Result 2023 OUT: यूपीएससी सीडीएस 2 रिजल्ट घोषित, कुल 197 अभ्यर्थियों का चयन, सीधा लिंक
- Finance Bharti Airtel Shares: देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी बनी Airtel, शेयर्स ने तोड़ दिए गए रिकॉर्ड
- Travel पर्यटकों के लिए खुलने वाला है मुंबई का 128 साल पुराना BMC मुख्यालय, क्यों है Must Visit!
- Automobiles पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से हैं परेशान, तो आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं ये इलेक्ट्रिक कार, कीमत सिर्फ इतनी!
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
मैं काजोल बनना चाहती हूं
पद्मा के साथ इस फिल्म में बतौर नायक नज़र आएंगे 'रंग दे बसंती" के करन यानी कि सिद्धार्थ. दक्षिण भारतीय फिल्मों का जाना माना नाम सिद्धार्थ की 'रंग दे बसंती" के बाद हिंदी में यह दूसरी फिल्म है. सिद्धार्थ के साथ काम करने के अपने अनुभव से पद्मा काफी खुश हैं. उनका कहना है कि दोनों एक इंडस्ट्री से होने के बावजूद उन्हें कभी एक दूसरे के साथ काम करने का मौका नहीं मिला. उनके साथ इस फिल्म में केमिस्ट्री बहुत अच्छी रही क्योंकि दोनों न सिर्फ हम उम्र थे बल्कि उनका क्षेत्र भी एक था. इस फिल्म में जहां सिद्धार्थ कैरम चैम्पियन बने हैं वहीं पद्मा बार मालकिन बनी है. यह फिल्म मुंबई की असली कहानी पर आधारित है. इस फिल्म में उनके साथ सीमा बिस्वास, अनुपम खेर तथा विद्या मालवडे भी हैं.
दक्षिण भारतीय फिल्मों का जाना माना नाम और जाना पहचाना चेहरा पद्मा की खासियत यह है कि वह दक्षिण भारतीय नहीं बल्कि उत्तर भारतीय हैं. मूलत: पंजाब की पद्मा प्रिया का पूरा परिवार यूं तो हैदराबाद में बसा है मगर आज भी हिंदी के लिए उनका दिल धडकता है.
तीन सालों में लगभग बाइस फिल्म करने का दावा करने वाली पद्मा प्रिया, बॉलीवुड में सभी के साथ काम करने के लिए तैयार हैं. उनके अनुसार हिंदी फिल्मों में काम करने के लिए कुछ भी बदलने की ज़रुरत नहीं है और अगर कहीं कुछ बदलना भी पडे तो वह तैयार हैं क्योंकि हिंदी फिल्मों में काम करना उनका बचपन से ख्वाब रहा है.
अर्थशास्त्र में एम बी ए कर चुकी पद्मा एक्टिंग के अलावा इंवायरमेंट लॉ का कोर्स कर रही हैं. आखिर वह एक साथ यह सब कैसे कर लेती हैं ? इस सवाल के जवाब में पद्मा मुस्कुराते हुए कहती हैं “मैं एक साथ सौ काम कर सकती हूं. मुझे मृदंग बजाने तथा नाचने का भी बहुत शौक है. हैदराबाद में मैंने एक नृत्यशाला भी खोली है. अभी भी वह जारी है.“आर्मी ऑफिसर पिता तथा स्कूल टिचर मां के अलावा पद्मा के एक बडॆ भाई भी हैं. पापा के आर्मी में होने के कारण पद्मा को कई बार एक साल में तीन स्कूल बदलने पडे हैं. यही वजह है कि पद्मा को घूमने फिरने का भी खासा शौक है.
दक्षिण फिल्मों से आई होने के बावजूद पद्मा वहां की नायिकाओं की बजाय काजोल से प्रभावित हैं. हालांकि कई नायिकाएं है जिन्होंने दक्षिण फिल्मों से आकर हिंदी फिल्मों में अपना परचम लहराया है. वैसे बड़े फिल्मकारों के साथ काम करना कौन नहीं चाहता. मणि रत्नम उन्हीं फिल्मकारों में से एक है जिन्होंने कई बेहतरीन फिल्में बनाई है. मणि रत्नम के संदर्भ में पद्मा का कहना है “मैं जब सातवी में थी तब मैंने इनकी 'रोज़ा" देखी थी. तब से लेकर आज तक मैं उन्हें एक बेहतरीन फिल्मकार के रूप में देखती है. उनके साथ काम करना मेरे सपनों का साकार होना होगा.“ बॉलीवुड से पद्मा की अपेक्षाएं काफी है.
इस संदर्भ में जब हमनें उनसे बात की तो उन्होंने कहा “मैं काफी लालची हूं. मैं तो चाहती हूं मैं हर किसी के साथ काम करूं और सारी भूमिकाएं निभाऊं.“ इन सवालों के बाद हमने उनसे पूछा कि वह दोनों अर्थात दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ हिंदी फिल्म भी कर चुकी हैं दोनों में उन्हें कितना अंतर नज़र आया ?
“हिंदी मेरी मातृ भाषा रही है सो मेरे लिए हिंदी फिल्मों में काम करना अपनी मां के पास लौटने जैसा है. जब मैंने मलयालम तथा तमिल फिल्मों में काम कर लिया तो मुझे कोई फर्क मायने नहीं रखता. प्रोफेशनलिज़्म की यदि बात की जाए तो मलयालम फिल्म और तमिल फिल्मों में ही काफी फर्क है हालांकि दोनों दक्षिण भारतीय फिल्मों से संबंधित है. तमिल फिल्म को बनाने में एक साल लगते हैं वही मलयालम फिल्में तीन से चार महीनों में बन जाती हैं. जहां तक हिंदी फिल्मों में बदलाव की बात है इसमें भाषा और सभ्यता बदलती है बाकी सारी चीज़ें वही रहती हैं.“ मुस्कुराते हुए पद्मा ने अपनी बात खत्म की.