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INTERVIEW: 'पैन इंडिया स्टार' ऐसा कोई महान खिताब नहीं है, जिसे मैं पाना चाहता हूं - किच्चा सुदीप
"सक्सेस ने मुझे कुछ नहीं सिखाया है, सीखा मैंने गिरने से ही है.. और क्या जबरदस्त सीखा है", फिल्म इंडस्ट्री में अपने सफर को लेकर बात करते हुए अभिनेता किच्चा सुदीप कहते हैं। सुदीप 28 जुलाई को अनूप भंडारी द्वारा निर्देशित एक्शन एडवेंचर मिस्ट्री थ्रिलर 3डी फिल्म 'विक्रांत रोणा' से सिनेमाघरों में दस्तक देने वाले हैं। इस फिल्म को सुदीप अपनी सबसे बड़ी फिल्म मानते हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में दो दशक से भी ज्यादा का वक्त गुजार चुके किच्चा सुदीप ने बतौर अभिनेता ही नहीं, बल्कि निर्देशक, निर्माता, स्क्रीनराइटर, टीवी होस्ट और सिंगर के तौर पर भी काम किया है। सुदीप ने कन्नड़ फिल्में ही ज्यादा की हैं, लेकिन तमिल, तेलुगु और हिंदी फिल्मों में भी उनका काम दिखा है। हिंदी में उन्होंने रामगोपाल वर्मा की 'फूंक', 'फूंक 2' समेत रन, रक्तचरित्र (भाग एक और दो) और दबंग 3 में भी काम किया है।
फिल्म 'विक्रांत रोणा' की रिलीज से पहले अभिनेता किच्चा सुदीप ने फिल्मीबीट से बातचीत की, जहां उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने 25 वर्षों के सफर से लेकर अजय देवगन के साथ हुए भाषा विवाद, सलमान खान के साथ अपनी दोस्ती और पैन इंडिया स्टारडम पर खुलकर बातें की। सुदीप कहते हैं, "पैन इंडिया स्टार कोई ऐसा महान खिताब नहीं है, जिसे मैं पाना चाहता हूं।"
यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-

Q. फिल्म इंडस्ट्री में आपने दो दशक से भी ज्यादा का वक्त गुजारा है। एक कलाकार के तौर पर इस सफर को कैसे देखते हैं?
मुझे सिनेमा से हमेशा से प्यार रहा है.. इसी प्यार ने मुझे इस इंडस्ट्री से जोड़ दिया। मुझे फिल्मों से जुड़ी हर बात अच्छी लगती है, इसीलिए मैं लगातार काम करता रहा हूं। अब मुझे एहसास होता है कि सिनेमा भी मुझे वापस प्यार करने लगा है। मैं इतने सालों तक यहां बना रहा हूं यह सिनेमा के प्रति मेरे प्यार की वजह से ही हो पाया है। स्टारडम तो आता- जाता रहेगा, उस पर मैं फोकस ही नहीं करता हूं। सिनेमा ने ही मुझे सब कुछ दिया है।
Q. सिनेमा की किन बातों से आप आकर्षित हुए थे?
जब स्क्रीन पर हीरो की एंट्री होती है और भीड़ जैसे तालियां बजाती है, सीटी बजाती है, उन्हें जो प्यार मिलता है.. वो मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे भी वो पॉपुलैरिटी चाहिए थी। मैं भी लोगों का प्यार ढूढ़ते हुए इंडस्ट्री में आया। लेकिन पहली हाउसफुल फिल्म देने में ही बहुत साल लग गए। जब मैं यहां आया तो मेरे लिए चैलेंज कुछ और बन गया.. पॉपुलैरिटी छोड़िए, मैं सिर्फ एक हिट फिल्म देना चाहता था। उसके बिना मैं वापस घर जाने वाला नहीं था। लेकिन वो एक हिट मिलने में ही 7- 8 साल लग गए। शुरुआत में बतौर हीरो मुझे हर जगह से रिजेक्शन मिल रही थी, तो मैंने सर्पोटिंग रोल किये। वहां से मैं कुछ समय के लिए टेलीविजन में भी गया। फिर टीवी से फिल्मों में आया और सर्पोटिंग रोल करने लगा.. उसके बाद कहीं जाकर मुझे लीड रोल का मौका मिला।

Q. इतने लंबे सफर के बाद, अब फिल्मों के चुनाव के दौरान आप किन बातों का ख्याल रखते हैं?
मुझे लगता है कि इस मामले में अभी तक हम बच्चे हैं। मैं अभी भी चांस ही ले रहा हूं, कुछ नया ढूंढ़ता रहता हूं। मुझे लगता है कि यदि आप मैच्योर हो गए तो सिनेमा को पसंद नहीं करेंगे। हम सबमें कहीं ना कहीं एक बच्चा छिपा है इसीलिए हम अभी भी एक्शन देखना, एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग पर कूदना .. ये सब देखना पसंद करते हैं। मैं कभी भी स्क्रिप्ट को लेकर टू द प्वॉइंट नहीं होता हूं कि मुझे यही चाहिए। मैं खाली पन्ने की तरह बैठता हूं, सुनता हूं और यदि कहानी ने मुझे बांध लिया तो मैं हां कर देता हूं। फिर मैं वहां खुद से सवाल नहीं करता हूं किस बात ने मुझे आकर्षित किया और साथ ही किसी कहानी से जुड़ने के लिए मैं खुद फोर्स भी नहीं करता हूं।
Q. आपने बतौर निर्देशक भी कई फिल्में बनाई हैं। इस दिशा में अगला कदम बढ़ाने की कोई प्लानिंग है?
एक समय था जब बड़ी हिट फिल्मों के बाद भी मैं कई लोगों के रिजेक्शन का विकल्प हुआ करता था। बहुत से लोगों द्वारा स्क्रिप्ट्स को अस्वीकार करने के बाद ही वे स्क्रिप्ट मेरे पास आती थीं। हालांकि मेकर्स कहते थे कि मैं ही उनकी पहली पसंद हूं। और उस वक्त मैं कोई सवाल भी नहीं करता था क्योंकि डर था कि जो फिल्म आई है, वो भी चली जाएगी। तो ऐसे दिन देखे हैं मैंने। उस वक्त इंडस्ट्री में बने रहने के लिए मैंने निर्देशन शुरु किया था। 6 फिल्मों का निर्देशन किया, उससे खुद को मैंने वापस बनाया है। तब एक चीज मेरे समझ में आई कि एक फ्लॉप फिल्म किसी एक्टर को खत्म नहीं करती है.. बल्कि एक एक्टर उस वक्त खत्म होता है, जिस दिन कोई आपके लिए रोल लिखना बंद कर दे। हर सुबह जब आप उठते हैं और आपको पता चलता है कि कोई आपके लिए नहीं लिख रहा है, वो अहसास सबसे दर्द भरा होता है। आज मैं देखता हूं कि मेरे लिए इतने रोल लिखे जा रहे हैं, तो ऐसा लगता है जैसे बहुत सारे पेंटर्स हैं जो एक पेंटिंग बनाना चाहते हैं और मैं उनकी पेटिंग का एक रंग हूं। आज जो लेखक और निर्देशक मेरे साथ फिल्में बनाते हैं, मैं उन्हें अपना सौ प्रतिशत देना चाहता हूं। और यदि एक बार फिर वो डूबने वाला वक्त देखने को मिला तो शायद मैं फिर लिखना शुरु करूंगा, फिल्में डायरेक्ट करूंगा। कोशिश करूंगा कि एक और हिट दे दूं।

Q. पीछे मुड़कर देखते हैं तो अपने काम से खुद को कितना संतुष्ट पाते हैं?
मैं पीछे मुड़कर देखना पसंद नहीं करता हूं। जो कोई मेरे साथ आए थे, वो सभी पास में ही हैं तो मुड़कर देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी। अगर ज़िंदगी है.. तो वो सामने है। और मुझे लगता है कि जिंदगी में अब तक मिली सीख से ही मैं आगे की जिंदगी अच्छे से हैंडल कर पा रहा हूं। भूलता मैं कुछ नहीं हूं। मेरा मानना है कि सफलताओं ने मुझे कुछ नहीं सिखाया है, सीखा मैंने गिरने से ही है.. और जबरदस्त सीखा है (हंसते हुए)..
Q. हीरोइज़्म की परिभाषा आपके लिए क्या है? और फिल्मों में इसे कितना अहम मानते हैं?
हीरोइज्म मेरे लिए वो है, जो इंसानियत को समझे। जहां तक फिल्मों का सवाल है कि हां हीरोइज्म जरूरी है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है अच्छी कहानी का होना.. अच्छे डायलॉग्स, अच्छे गानों का होना। हां, हीरोइज्म को थोड़ा ग्लोरिफाई किया जाता है, लेकिन वो भी एक जरूरत है। ग्लोरिफिकेशन के हिसाब से ही आप केक भी ऑर्डर करते हो। ग्लोरिफिकेशन की ही कीमत होती है, उसे के पैसे आप देते हो, कहानी तो हर फिल्म में आधे घंटे की होती है।

Q. फिल्मों में अभिनय के अलावा आपके फिटनेस की भी काफी चर्चा रहती है। फिटनेस का कितना ख्याल रखते हैं?
फिटनेस के बारे में तो मैं सोचता ही नहीं था। मैं जिम भी नहीं जाता था। मैंने घर में भी एक बड़ा जिम सेट कर रखा है क्योंकि किसी ने कहा था कि एक्टर के घर में जिम होना चाहिए। फिर भी मैं नहीं करता था। लेकिन फिर एक रोल के लिए जरूरत थी, तो मैंने इसे बतौर चैलेंज लिया। और एक बार मैं फिटनेस पर ध्यान देने लगा तो मुझे समझ आया कि ये कितना महत्वपूर्ण है। इससे मुझे हल्का महसूस होना लगा। मुझे खुशी मिलती है। मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी शर्टलेस सीन करूंगा, वो भी दबंग 3 में सलमान खान के सामने। अगर वो दो- तीन साल पहले दबंग 3 ऑफर करते तो सिर्फ शर्टलेस सीन के लिए मैं शायद फिल्म को रिजेक्ट कर देता। लेकिन जब दबंग 3 आई तो मैं अपने बॉडी को लेकर काफी कॉफिडेंट हो चुका था। मुझे शर्ट उतारने के लिए सोचना नहीं पड़ा। तो हां, मुझे लगता है कि फिटनेस बहुत मायने रखती है.. और सिर्फ स्क्रीन के लिए नहीं, बल्कि आम जिंदगी के लिए भी।

Q. सलमान खान 'विक्रांत रोणा' से भी जुड़े हैं। आप दोनों को फिर से स्क्रीन पर साथ देखने का मौका कब मिलेगा?
स्क्रीन का तो पता नहीं, लेकिन हमारी मुलाकात होती रहती है। दबंग 3 के लंबे समय बाद जब उन्होंने विक्रांत रोणा की क्लिपिंग्स देखीं तो उन्होंने मुझसे पूछा था, 'क्या मैं कुछ कर सकता हूं?' और उनकी ओर से ये सवाल मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। और फिर वो एक प्रस्तुतकर्ता के रूप में फिल्म से जुड़े। उम्मीद है कि स्क्रीन पर हम जब दोबारा साथ आएंगे जो वही जादू क्रिएट होगा, जैसा दबंग 3 के वक्त हुआ।
Q. विक्रांत रोणा कई भाषाओं में रिलीज हो रही है। पैन इंडिया फिल्म कही जा रही है। आप 'पैन इंडिया स्टार' टर्म को किस तरह देखते हैं?
हमारी जो कोशिश है, जो पैशन है, वो ये है कि हम जो कहानी बताना चाहते हैं वो हर भाषा में रिलीज करें ताकि हर तरह के दर्शक देख सकें। 'पैन इंडिया स्टार' कोई ऐसा महान खिताब नहीं है, जिसे मैं पाना चाहता हूं। अब वक्त ऐसा आ गया है कि आप एक कहानी बनाते हो, बड़ी फिल्म बनाते हो तो बजट तो लगता ही है, तो कोशिश रहती है कि हर भाषा में आप अपनी फिल्म दिखाएं। जितना संभव हो सके अपनी फिल्म का व्यापक प्रचार कर सकें। आज फिल्में अपना सफर खुद तय कर रही हैं।

Q. फैंस के बीच आपकी एक खास इमेज है। फिल्मों के चुनाव के वक्त उस इमेज का कितना ख्याल रखते हैं?
(हंसते हुए) जब भूख लगती है तो मैं जो सामने रहता है, वो खा लेता हूं। फिर मैं ये नहीं देखता कि और क्या क्या है। मेरे फैन मेरी जिंदगी में फिल्मों की वजह से ही आए, इसीलिए मेरा फोकस सिर्फ मेरी फिल्मों पर रहता है, ना कि इमेज पर। मुझे खुद भी नहीं पता कि मेरी इमेज क्या है। हर फिल्म में मैं खुद को बदलता रहता हूं। उससे अलग मैं जैसे बात करता हूं, जैसे रहता हूं, जैसे बिग बॉस होस्ट करता हूं या मेरी जो सोच है.. उस वजह से मेरे फैंस का एक अलग वर्ग है। लेकिन फिल्मों के समय में मैं ये नहीं सोचता। अपनी इमेज को सोचकर मैं फिल्में करूंगा तो कुछ नया कैसे कर पाउंगा। मेरी जिंदगी में जो हर अच्छी चीज हुई है, वो फिल्मों की वजह से हुई है। मुझे लगता है, बतौर अभिनेता मैं फिल्म को हां करने के बाद सिर्फ स्क्रिप्ट की जरूरत को पूरा करता हूं। आप जब 'विक्रांत रोणा' देखेंगे.. यहां मेरा कोई एक्शन भरा इंट्रो सीन नहीं है, या हर एक्शन सीन के बाद एक गाना नहीं है। इस फिल्म में हर किरदार धीरे धीरे उभरते हैं। मेरा किरदार एक आम इंसान की तरह आता है और धीरे धीरे वो आप पर हावी होगा.. इंटरवल तक आप उस किरदार के बारे में सोचने लगेंगे और क्लाईमैक्स तक वो आपको सिर्फ एक विकल्प के साथ छोड़ता है कि आपको उस किरदार से प्यार हो जाएगा। मुझे सिनेमा के प्रोसेस से प्यार है और मैं उसके प्रति पूरी सच्चाई के साथ काम करता हूं।

Q. हाल ही में आप भाषा संबंधी विवादों में आ गए थे। उस पर क्या कहना चाहते हैं?
मुझे नहीं लगता विवाद मेरी वजह से हुआ। मेरी ट्विटर पर अपने बड़े भाई (अजय देवगन) के साथ बातचीत हुई और वो उसी वक्त खत्म हो गया। बाद में नेताओं ने जो किया, वो विवाद था। मैं मानता हूं कि अजय देवगन सर एक जैंटलमेन हैं। वो कभी किसी कंट्रोवर्सी में नहीं आते हैं। और एक बड़ा भाई होने के हिसाब से, एक सीनियर होने के हिसाब से जब उन्हें लगा कि उनके छोटे भाई ने स्टेज पर कुछ ऐसा कहा कि उन्हें पूछना चाहिए तो उन्होंने मुझे ट्विट किया और मैंने सफाई भी दे दी। लेकिन हां, वहां एक छोटी सी बात थी जो मैं पूछना चाहता था कि मैं हिंदी जितना जानता हूं, क्या आप कन्नड़ को उतना ही समझते हैं। बस इतना ही, और यह गरिमा के अंतर्गत आता है, विवाद नहीं। उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसके लिए ना मैं जिम्मेदार हूं और ना ही वो जिम्मेदार हैं.. इसीलिए शायद प्रधानमंत्री जी को बीच में आना पड़ा और उन्होंने सभी को एक बयान से शांत कर दिया। मैं इसी वजह से उनकी बहुत इज्जत करता हूं। हर भाषा की इज्जत की जानी चाहिए। हिंदी को तो हम बचपन से ही प्यार करते आ रहे हैं ना.. इसमें बताने वाली क्या बात है। मैं हमेशा से किशोर कुमार के गाने और अमिताभ बच्चन की फिल्मों का फैन रहा हूं।
Q. विवादों में आने से प्रभावित होते हैं?
नहीं, मैं प्रभावित नहीं होता हूं। मुझे लगता है कि जिस दिन मैं कानूनी तौर पर कुछ गलत करूंगा, पुलिस मेरे घर आएगी। जब तक पुलिस मेरे दरवाजे पर नहीं आती, मैं ठीक हूं।

Q. इस साल कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ कमाई की है। आप बॉक्स ऑफिस का कितना प्रेशर लेते हैं?
जब शोले रिलीज हुई थी तो क्या किसी को अंदाज़ा था कि ये इतनी चर्चित रहेगी! क्या RRR और केजीएफ 2 के मेकर्स को किसी ने बताया था कि फिल्म कितनी कमाई करेगी! मुझे लगता है कि ये सब तो रिलीज होने के बाद की बात होती है। मैं बॉक्स ऑफिस की चिंता में क्यों फिल्म के प्रति अपने विश्वास को कमजोर होने दूं। मेरी सोच है कि मैंने एक फिल्म बनाई है, बहुत प्यार से बनाई है.. उसे जितना हो सके प्रमोट करो और फिर ऑडियंस के ऊपर छोड़ दो। यदि फिल्म अच्छी है तो भी आगे काम करेंगे.. यदि दर्शकों को अच्छी नहीं लगी तो भी आगे फिल्म बनाएंगे। किसी और से तुलना करके क्यों अपनी नींद को खराब करना है। RRR की बात करें तो उस फिल्म से राजामौली जैसे नाम जुड़े थे, जो खुद एक ब्राण्ड हैं। यदि उस फिल्म से राजामौली का नाम हटा लिया जाए, तो क्या सबकी यही प्रतिक्रिया रहती? केजीएफ 2 अपनी पहली फिल्म की सफलता के ब्राण्ड के साथ आई। पहली केजीएफ के मुकाबले दूसरे पार्ट की कमाई इतनी ज्यादा क्यों रही! क्योंकि लॉकडाउन के दिनों में ओटीटी पर उस फिल्म को बहुत पॉपुलैरिटी मिली। और मैं उनकी पूरी टीम की तारीफ करना चाहूंगा कि उन्होंने जिस तरह से केजीएफ को प्रमोट किया, वो शानदार था। उन्होंने पार्ट 2 के लिए जबरदस्त हाईप क्रिएट किया। तो अब उन जैसे ब्राण्ड के साथ खुद की या किसी भी फिल्म की तुलना करना तो गलत ही होगा। उन फिल्मों ने जैसा बिजनेस किया, वो उसके काबिल थे। यदि हम उसके काबिल होंगे तो हम भी सफल होंगे।
Q. विक्रांत रोणा की भी सीक्वल की कोई प्लानिंग है?
नहीं, फिलहाल तो इस बारे में कोई प्लानिंग नहीं है। लेकिन यदि हम बनाएंगे भी तो भी उम्मीद है कि वो भी विषय प्रधान होगी, ना कि सिर्फ इसीलिए क्योंकि इस फिल्म ने अच्छा बिजनेस किया। यदि विक्रांत रोणा अच्छा बिजनेस करती है और फिर वो देखकर कोई आगे की स्क्रिप्ट लिखी जाती है तो मैं उसे सही नहीं मानता हूं। लेकिन कहानी में खास होगा तो जरूर पार्ट 2 भी लाना चाहूंगा.. क्यों नहीं।