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EXCLUSIVE INTERVIEW: करियर की शुरुआत में अच्छे लोग मिले, अच्छी फिल्में मिली, लकी महसूस करती हूं- तृप्ति डिमरी
लैला मजनू, बुलबुल और कला (Qala) जैसी फिल्मों के साथ अभिनेत्री तृप्ति डिमरी ने दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है। करियर के शुरुआत में ही तृप्ति अपनी फिल्मों के चुनाव को लेकर काफी सतर्क दिखती हैं। अन्विता दत्त निर्देशित हालिया रिलीज हुई कला में तृप्ति ने टाइटल रोल निभाया था, जिसमें अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए उन्हें खूब सराहना मिली।
फिल्म को मिली तारीफ पर तृप्ति कहती हैं, "बहुत अच्छा लगता है जब ऑडियंस फिल्म के सभी पक्ष के बारे में बात करती है, चाहे वो डायरेक्शन हो, सिनेमेटोग्राफी हो, परफॉमेंस हो या सेट डिजाइन हो। आप महसूस करते हैं कि दर्शक बहुत ध्यान से फिल्म देख रहे हैं। रूम में क्या पर्दे लगे हैं, क्या सामान रखे हैं, कॉस्ट्यूम कैसी है.. सोशल मीडिया पर लोग इन सब चीजों पर बातें कर रहे हैं। बतौर कलाकार मुझे बहुत खुशी है कि 'कला' लोगों को पसंद आई है। इस तरह के प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर गर्व महसूस होता है।"
साल 2022 में 'कला' जैसी यादगार किरदार देने के बाद, फिल्मीबीट से खास बातचीत में तृप्ति डिमरी ने अपने अब तक के करियर में मिली सफलता और संघर्ष पर खुलकर बातें की हैं। उन्होंने कंगना रनौत से मिली तारीफ और बाबिल खान के डेब्यू पर भी टिप्पणी दी है।
यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-
Q. लैला मजनू हो या बुलबुल और अब कला, दर्शकों ने आपके काम को हमेशा पसंद किया है। बतौर कलाकार तारीफों को किस तरह से लेती हैं?
A. बतौर एक्टर बहुत कॉफिडेंस मिलता है। मुझे याद है जब लैला मजनू आई थी, उस वक्त मैं कॉफिडेंट नहीं थी क्योंकि मैंने एक्टिंग की कोई खास वर्कशॉप्स नहीं की है। लेकिन लोगों को मेरा काम पसंद आया, तो उससे थोड़ा कॉफिडेंस आया। फिर जब बुलबुल की तारीफ हुई, तो थोड़ा और विश्वास आया। बुलबुल के भी सेट पर मैं खुद की तरफ से कोई सलाह नहीं देती थी, ना कोई सवाल करती थी। लेकिन फिर कला में काम करने के दौरान मुझे महसूस हुआ कि लोगों ने इतना प्यार दिया है तो मुझे भी खुद पर विश्वास करना सीखना चाहिए। उससे आपके परफॉमेंस पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जब आप एक एक्टर की तरह सोचना शुरु करते हैं, तो देखते हैं कि आप किरदार को क्या क्या दे सकते हैं।
Q. बुलबुल और कला जैसी किरदारों को अपनाना कितना आसान या मुश्किल था क्योंकि दोनों ही किरदार डार्क हैं?
A. डायरेक्टर्स से बहुत मदद मिली। अन्विता बहुत ही सेंसिटिव हैं, बहुत ही प्यार से काम करने में विश्वास रखती हैं। उनको भी कहीं ना कहीं पता है कि इतने डार्क किरदार को निभाने के लिए आपको मानसिक तौर पर कहां तक जाना पड़ता है। यदि मैं कभी रोने वाले सीन करती हूं, तो मुझे अपनी निजी जिंदगी की किसी अनुभव से उसे लेना पड़ता है। कभी कभी आप किरदारों की दुनिया में इतने खो जाते हो कि आप उन्हीं की तरह सोचने लग जाते हो। ऐसे किरदार को निभाना व्यक्तिगत तौर पर आप पर प्रभाव तो डालता है। उस लम्हे में यदि कोई आपके सामने खड़ा होकर ये कहता है कि मैं यहां हूं तुम्हारे लिए.. ये सिर्फ एक सीन है.. तो आपको एक अलग लेवल का कॉफिडेंस मिलता है। अन्विता मुझे बहुत कंफर्टबेल महसूस कराती हैं।
Q. बैक टू बैक अन्विता दत्त की दुनिया का हिस्सा बनना कितना दिलचस्प रहा?
A. मैजिकल.. जब आप उनके साथ काम कर रहे होते हो ना तो आपको लगता है कि आपको बाहर की दुनिया से कोई लेना देना ही नहीं है। मैं हमेशा वही महसूस करती हूं। जब मैं उनके साथ काम कर रही थी तो मैं बाकी दुनिया से पूरी कट सी गई थी। मेरी किसी और से बात करने की भी इच्छा नहीं होती थी.. क्योंकि आप सिर्फ किरदार के बारे में सोचते हो, उस दुनिया के बारे में सोचते हो। मीनल अग्रवाल, हमारी जो सेट डिजाइनर थी, उन्होंने पूरा सेट इस तरह से डिजाइन किया था कि जैसे ही हम सेट पर कदम रखते थे, लगता था वही हमारी दुनिया है। वो एक बहुत खास अनुभव होता है।
Q. आपको लगता है कि बतौर एक्टर आपको आपकी क्षमता दिखाने का पूरा मौका मिल रहा है?
A. बिल्कुल.. कला की बात करें तो, मुझे खुद भी नहीं पता था कि मैं ये कर पाऊंगी। जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी थी तो मैं खुद भी बहुत डर गई थी। मुझे लगता था कि ये कैसे होगा क्योंकि यहां सब कुछ आंतरिक है.. डायलॉग्स बहुत कम हैं। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं अपनी बात दर्शकों तक पहुंचा पाऊंगी या नहीं। लेकिन अन्विता को मुझ पर पूरा विश्वास था। उनके विश्वास से मुझे विश्वास दिया। हमने इस किरदार और उसकी दुनिया के बारे में काफी बातें की थीं। अन्विता में ये खूबी है कि उन्हें बहुत अच्छी तरह से पता है कि एक एक्टर से किस तरह से काम निकलवाना है।
Q. किरदार में डूबने की आपकी कोई खास तैयारी होती है या सहज रूप से हो जाता है?
A. निर्भर करता है। कभी कभी स्विच ऑन- स्विच ऑफ वाली चीज हो जाती है, लेकिन कभी कभी बहुत ज्यादा फोकस करना पड़ता है। उस वक्त मैं अकेले बैठना पसंद करती हूं। सीन का जैसा मूड होता है, मैं उस तरह का म्यूजिक सुनती हूं। कहीं ना कहीं वो मेरे लिए काफी काम करता है। फिर मैं ज्यादा किसी से बात नहीं करती हूं।
Q. इम्तियाज अली और अन्विता दत्त, दोनों ही संगीत के काफी करीब हैं। इस मामले में आपकी उनसे बॉण्डिंग बनी?
A. बिल्कुल, बिल्कुल.. मुझे लगता है कि मैं बहुत लकी हूं म्यूजिक को लेकर। लैला- मजनू का एल्बम भी काफी हिट रहा था। सारे गानों को बहुत प्यार मिला था। अभी कला के साथ भी ऐसा ही है। इस फिल्म में पांच गाने हैं और पांचों गीतकार उनके दोस्त हैं.. और मुझे इस बार काफी नजदीक से इस बार ये प्रोसेस देखने और समझने का मौका मिला। फिल्म में मैं सिंगर का रोल निभा रही हूं और उसमें ऐसे सीन्स हैं जहां मैं गीतकारों के साथ बैठकर धुन बनाने की कोशिश कर रही हूं। अन्विता चाहती थीं कि मैं असलियत में भी देखूं कि ये सब कैसे होता है। तो पहली बार मैंने किसी गाने को शुरुआत से बनते हुए देखा था। ये मेरे लिए काफी दिलचस्प अनुभव रहा। और सबसे खास बात मुझे ये लगी कि इन सभी लोगों में तिनके भर का कंपिटिशन नहीं था। सभी एक दूसरे के साथ मिलकर इतनी खूबसूरती के साथ काम कर थे।
Q. बतौर एक्टर आप कंपिटिटिव हैं?
A. एक वक्त होता है सबकी लाइफ में.. जब आप नए नए इस इंडस्ट्री में आते हो और आपको दिखता है कि लोग आपसे अच्छा कर रहे हैं, तो कहीं ना कहीं वो कंपिटिशन वाली भावना आ जाती है। मैं ये नहीं कहूंगी कि मेरे अंदर ये भावना कभी नहीं थी। लेकिन धीरे धीरे आपको ये अहसास होने लगता है कि ये भावना आपको किसी भी तरह से फायदा नहीं पहुंचा रही है। बल्कि इस इंडस्ट्री में आपके लिए निगेटिव रूप में भी काम करेगी। लिहाजा, जिस तरह की मैंने फिल्में कीं, उससे मेरा मेरे क्रॉफ्ट पर विश्वास बढ़ता गया। आज मैं उस मोड़ पर हूं जहां मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे लगता है कि मैं अपना काम पूरी शिद्दत से साथ करूं। बाकी जो जिसका है, वो उसका मिलेगा। लैला- मजनू , बुलबुल, कला मेरी थी, इसीलिए मुझसे वो कोई भी नहीं छीन सकता था। यही चीज दूसरों पर भी काम करती है।
Q. खास बात है कि तीनों ही फिल्मों में आपने टाइटल रोल निभाया है..
A. (हंसते हुए) ये बहुत ही दिलचस्प बात है क्योंकि सब मुझे यही बोलते हैं कि तुम सिर्फ टाइटल रोल वाली फिल्में ही करती हो। मैंने सुना था कि बहुत लड़ना झगड़ना पड़ता है और बहुत वक्त के बाद टाइटल रोल्स मिलते हैं। लेकिन मेरी तो तीन फिल्में आई और तीनों में टाइटल रोल मिले.. तो ये एक ऐसी चीज है, जिसका मैं शो ऑफ कर सकती हूं।
Q. अपने अभी तक के सफर को लेकर कैसा महसूस करती हैं?
A. मैं बहुत संतुष्ट हूं और बहुत लकी फील करती हूं कि मुझे जिस तरह का काम करना था, वो मुझे मिल रहा है। मुझे जो चीजें सीखनी थी, वो मैं सीख रही हूं। सही लोग मिल रहे हैं, जो मुझे आगे बढ़ते देखना चाहते हैं, जो मेरे साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। खासकर इसीलिए भी.. क्योंकि ये अभी मेरी शुरुआत है। शुरुआत में ही यदि आपको अच्छा काम करने को मिल जाए तो काफी मोटिवेशन मिलता है। अच्छे लोग मिल जाएं तो एक बहुत बड़ा स्ट्रेस खत्म हो जाता है.. बाकी हिट, फ्लॉप तो करियर का हिस्सा है, वो तो होगा ही।
Q. ओटीटी रिलीज में बॉक्स ऑफिस का प्रेशर नहीं होता है। एक्टर के तौर पर इससे राहत महसूस होती है?
A. नंबर्स का प्रेशर तो मैंने अभी तक फील ही नहीं किया है। मेरी सिर्फ एक फिल्म थियेट्रिकल रिलीज हुई थी.. और उस वक्त मुझे कुछ समझ ही नहीं थी। बाकी दोनों फिल्में ओटीटी पर ही आई हैं। लेकिन फिर भी मेरा यही मानना है कि मेरा काम एक्टिंग के बाद खत्म हो जाता है.. उसके बाद जो भी होता है वो मेरे हाथ नहीं है। मुझे मेरा काम पसंद है, लेकिन एक्टिंग मेरी जिंदगी का सिर्फ एक हिस्सा है, मेरी जिंदगी नहीं है।
Q. कंगना रनौत ने कला देखने के बाद आपके लिए खास पोस्ट डाला था। व्यक्तिगत तौर पर आपकी उनसे कुछ बात हुई?
A. जब उन्होंने पोस्ट डाला था.. तो मैंने उन्हें वापस मैसेज भेजा था। मुझे बहुत ही स्वीट लगा उनका मैसेज। मैंने उनका काम देखा है और मुझे वो बहुत पसंद हैं। वो काफी बेहतरीन एक्ट्रेस हैं.. और जब किसी ऐसे कलाकार से आपको तारीफ मिलती है.. तो खुशी तो होती है। उम्मीद करती हूं कि ये प्यार मुझे सभी से मिलता रहेगा।
Q. हमेशा से आप एक्टर ही बनना चाहती थीं?
A. मैं पढ़ने में कभी अच्छी नहीं थी। तो मुझे पता था कि मुझे कुछ और करना है, लेकिन ये नहीं सोचा था कि क्या करना है। धीरे धीरे मेरे लिए रास्ता खुद ही बनता गया। मेरे भाई का दोस्त है, जो फोटोग्राफर है। उन्होंने एक दिन यूं ही कहा कि टेस्ट शूट करते हैं.. तो हमने वो किया। उसने ही मेरी तस्वीरें कहीं भेजी। फिर वहां से मुझे प्रिंट शूट्स मिलने शुरु हुए। वहां से उन्होंने तस्वीरें कहीं और भेजी.. फिर ऑडिशन के कॉल आने शुरु हुए। तो शुरुआत ऐसे हुई। धीरे धीरे मुझे अभिनय के प्रोसेस से प्यार हो गया.. और फिर मैं महसूस किया कि मैं यही करना चाहती हूं।
Q. सफर के शुरुआती दौर में संघर्ष करना पड़ा?
A. शुरुआत थोड़ी मुश्किल थी। लैला -मजनू की रिलीज के बाद भी थोड़ा संघर्ष था। दो साल तक कोई काम नहीं मिला था। कुछ दिन होते थे, जब सोचती थी कि अब आगे क्या, कैसे करना है.. लेकिन कोई आइडिया नहीं था। मेरे अंदर काफी सवाल थे क्योंकि मैं भी समझने की कोशिश कर रही थी कि मुझे अपने करियर से क्या चाहिए। उस वक्त वो स्पष्टता नहीं थी। आज वो है। उस वक्त इंडस्ट्री नई थी मेरे लिए, लोगों को नहीं जानती थी। लेकिन धीरे धीरे मैं उस डर से बाहर निकलती गई।
Q. कला में आपके साथ बाबिल खान ने डेब्यू किया है। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
A. हम दोनों ने बहुत मजे किये हैं साथ में। हम जब पहली बार मिले थे , उसी दिन से हम काफी अच्छे दोस्त बन गए। वो बहुत स्वीट है और उसमें सीखने की बहुत इच्छा है। वो अभिनय के प्रोसेस को समझना चाहता है.. कि कहां वो किरदार को लेकर ईमानदार है, कहां नहीं है। एक न्यूकमर में ये देखना काफी स्पेशल है। मैं जानती हूं कि वो इस क्षेत्र में बहुत आगे जाएगा। वो बहुत ज्यादा टैलेंटेड है, बहुत ग्राउंडेड है और बहुत रियल है।
Q. आने वाली फिल्मों के बारे में कुछ बताना चाहेंगी?
A. अभी तीन प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें से कुछ 2023 में आएंगे.. लेकिन मैं इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकती हूं क्योंकि उनकी अनाउंसमेंट अभी होनी है। एक की शूटिंग खत्म हो चुकी है.. और एक की शुरु होने वाली है।
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