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    EXCLUSIVE INTERVIEW: "अहान बहुत ही अनुशासित और सेंसिबल है, वो बॉलीवुड में लंबा रास्ता तय करेगा"- मिलन लूथरिया

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    अहान शेट्टी और तारा सुतारिया अभिनीत फिल्म 'तड़प' 3 दिसंबर 2021 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। फिल्म के निर्माता हैं साजिद नाडियाडवाला और निर्देशन किया है मिलन लूथरिया ने। तेलुगु फिल्म RX 100 की इस आधिकारिक रीमेक पर बात करते हुए निर्देशक ने कहा, "हमने स्क्रीनप्ले में थोड़ा बहुत बदलाव किया है लेकिन जो बेसिक कहानी और किरदार हैं उनको हमने नहीं छेड़ा है।"

    साथ ही उन्होंने अहान की तारीफ करते हुए कहा कि, "वो बहुत ही अनुशासित और सेंसिबल है, मुझे लगता है कि वो बॉलीवुड में लंबा रास्ता तय करेगा।"

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    साल 1999 में फिल्म 'कच्चे धागे' के साथ निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने वाले मिलन लूथरिया ने 'वन्स ऑपन ए टाइम इन मुंबई', 'द डर्टी पिक्चर', 'टैक्सी नंबर 9211' जैसी शानदर फिल्में दी हैं, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। सिनेमा और ओटीटी पर बात करते हुए निर्देशक ने कहा, "ये बहुत अच्छा दौर है। अब ये जरूरी नहीं है कि आपको एक बड़े स्टार को ही खींचकर लाना है तो ही प्रोड्यूसर आपको पैसे देंगे। आप किसी भी टैलेंटेड एक्टर के साथ काम कर सकते हैं। जब हमने काम शुरु किया था तो बहुत जरूरी था कि कोई ना कोई स्टार आपकी फिल्म में होना चाहिए, वर्ना फिल्म बनेगी ही नहीं।"

    फिल्म 'तड़प' की रिलीज से पहले निर्देशक मिलन लूथरिया ने फिल्मीबीट से खास बातचीत की, जहां उन्होंने अहान शेट्टी की डेब्यू फिल्म के साथ साथ अपनी फिल्मों के म्यूजिक, रीमेक और एक्शन थ्रिलर फिल्मों को लेकर खुलकर बातें कीं।

    यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-

    तड़प की शुरुआत कैसे हुई?

    तड़प की शुरुआत कैसे हुई?

    मुझे साजिद नाडियाडवाला के ऑफिस से कॉल आया था कि उन्हें मुझसे मिलना है। हमारी दोस्ती काफी पुरानी रही है, मिलते जुलते रहे हैं सालों से। खास तौर पर सलमान के घर पर मुलाकात होती थी। तो मैं गया उनके ऑफिस, उन्होंने बताया कि मैंने ये लड़का साइन किया है, लेकिन मुझे कुछ संतोषजनक मिल नहीं रहा है जो मैं इसके साथ शुरू कर सकूं। कोई अच्छी कहानी नहीं मिल रही है। क्या आप कुछ प्लान करना चाहेंगे? तो मैंने कहा कि, सर अभी तक मैंने सोचा तो नहीं था कि एक लॉन्च फिल्म करूंगा। लेकिन ये कुछ नया होगा, तो चलिए करते हैं। आप मिलाइए मुझे अहान से। तो फिर मैं अहान से मिला और मुझे उसका व्यक्तित्व बहुत अच्छा लगा। एक मासूमियत है उसमें, एक इमोशनल ताकत है उसमें, एक शराफत है। फिर भी मैं उसका टेस्ट लेना चाह रहा था, सिर्फ ये देखने के लिए कि वो किस तरह की फिल्म के लिए सही होगा। मैंने उससे भी बात की.. कि क्या लगता है कि तुम किस किस्म के एक्टर बनना चाहते हो? तुम्हारी सोच क्या है। तो उसने कहा कि, "सर मुझे आपकी फिल्में बहुत पसंद आती हैं क्योंकि उसके पीछे जो सोच होती है, जो भाव होते हैं.. मैं उससे जुड़ाव महसूस करता हूं। मैं उसी तरह के रोल करना चाहता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे आपके साथ काम करने का मौका मिल रहा है क्योंकि मुझे पता है कि आप उसी तरह की फिल्म करोगे मेरे साथ।" हमारे पास इस बीच कई कहानियां आईं, लेकिन कुछ खास नहीं जंची। इसके बाद एक दिन हमारे राइटर रजत अरोड़ा ने कहा कि आप RX100 देखिए। फिर एक दिन मैंने, साजिद भाई और अहान ने अलग अलग अपने अपने घरों में ये फिल्म देखी और तीनों को फिल्म बहुत ज्यादा पसंद आई। हमने तुरंत ही फाइनल कर लिया कि ये फिल्म हिंदी में करते हैं और 24 घंटों के अंदर साजिद भाई ने राइट्स खरीद ली। फिर हमने पैन इंडिया दर्शकों को ध्यान में रखते हुए कहानी में कुछ बदलाव किये और अहान के साथ वर्कशॉप शुरु कर दिये। उसको दो-तीन कोच दिये, थोड़ी एक्शन ट्रेनिंग दी.. लेकिन वो पहले से ही काफी ट्रेन होकर आया था इसीलिए हमें कुछ परेशानी नहीं हुई। हमारे बीच जल्द ही अच्छी समझ हो गई। फिर हमने तारा सुतारिया को कास्ट किया। उनका भी हमने ऑडिशन लिया था। 'द डर्टी पिक्चर' का एक सीन हमने इन दोनों को दिया था। सच कहूं तो मुझे एक सेकेंड के लिए भी ऐसा नहीं लगा था कि मैं किसी नए कलाकार का ऑडिशन ले रहा हूं, इतना अच्छा स्क्रीन टेस्ट हुआ। मैंने साजिद भाई को भी दिखाया, वो बहुत खुश हुए.. और फिर हमने फिल्म शुरु कर दिया।

    आपने कहा 'लॉन्च फिल्म' करने की नहीं सोची थी। एक फिल्ममेकर के तौर पर किसी एक्टर की डेब्यू फिल्म निर्देशित करने के दौरान क्या चुनौतियां सामने आती हैं? साथ ही अहान एक स्टारकिड हैं, तो लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा हैं।

    आपने कहा 'लॉन्च फिल्म' करने की नहीं सोची थी। एक फिल्ममेकर के तौर पर किसी एक्टर की डेब्यू फिल्म निर्देशित करने के दौरान क्या चुनौतियां सामने आती हैं? साथ ही अहान एक स्टारकिड हैं, तो लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा हैं।

    जो आउटसाइड एक्सपेक्टेशंस हैं, वो मैंने फिल्म बनाने के दौरान अपने दिमाग में रखा ही नहीं था। मैंने सिर्फ सोचा था कि अहान को एक हीरो की तरह दिखना है, हीरो की तरह परफॉर्म करना है और साथ ही उसे किरदार की सभी जरूरतों को पूरा करना चाहिए। फिल्ममेकिंग के भी कुछ ट्रिक्स होते हैं, जो हम एक- दूसरे से सीखते आए हैं। जैसे मैंने अजय देवगन के साथ काम किया है, अमित जी (अमिताभ) के साथ किया या अक्षय के साथ किया है; तो कुछ चीजें सीखने को मिलती हैं, कुछ उन्होंने भी मुझसे सीखी हैं। वो चीजें मैंने अहान को सीखाने की कोशिश की है कि कैसे अपनी उपस्थिति बनानी है, कैसी बॉडी लैग्वेंज रखनी है, म्यूजिक में कैसे आपको परफॉर्म करना है, इमोशनल सीन्स में आपको कितनी एनर्जी देनी है। तड़प एक इंटेंस फिल्म है। कई बार तो ऐसा हुआ कि हमने सुबह 4-5 बजे तक शूट किया है और वो बुरी तरह थक चुका होता था। तो मैंने उसे समझाया कि घर जाओ, आराम करो.. फिर हम दूसरी सीन करेंगे। अपने अनुभव के आधार पर मैंने थोड़ा गाइड किया उसे.. बस। उसकी एक अपनी खूबसूरती होती है.. यदि आप अपना तजुर्बा किसी के साथ बांट सकते हो। वो मैंने पहली बार अनुभव किया कि कोई और मुझसे सीख रहा है। मुझे ये बहुत अच्छा लगा। अहान ने भी इस रिलेशनशिप को बहुत अच्छी तरह से अप्रोच किया है। बहुत ही शांत है वो, चुप रहता है, जैसा बोलो बिल्कुल वैसा ही करता है, कभी मॉनिटर के पास नहीं आया, कभी अपना शॉट नहीं देखा, कभी कोई बेतुका सवाल नहीं पूछा, कभी शूटिंग पर लेट नहीं आया.. बहुत ही अनुशासित, बहुत ही सेंसिबल लड़का है। और सुनता बहुत ध्यान से है। मुझे लगता है कि जो एक्टर्स सुनते हैं, वो हमेशा अच्छा परफॉर्म करते हैं क्योंकि एक निर्देशक फिल्म के ज्यादा करीब होता है, एक एक्टर की तुलना में। एक्टर आता है शूटिंग पर, जबकि निर्देशक उससे एक साल पहले से काम शुरु करता है। तो एक्टर को उनसे वो अनुभव खींचना चाहिए.. और वो अहान ने किया है। मुझे उस पर बहुत गर्व है। मुझे लगता है कि वो काफी दूर जाएगा।

    सेट पर कभी सुनील शेट्टी का आना हुआ था?

    सेट पर कभी सुनील शेट्टी का आना हुआ था?

    पहले दिन वो आए थे। सभी को उन्होंने शुभकामनाएं दी थीं और उन्होंने मुझसे कहा कि वो बहुत इमोशनल थे कि उनके बेटे का शूट पर पहला दिन है। साथ ही उन्होंने बताया कि उनके फैमिली का जो पहला रेस्त्रां था, वो फिल्म के शूटिंग लोकेशन से जुड़ा था। सेंट्रल प्लाजा सिनेमा में हमने पहले दिन शूटिंग की थी। फिर एक दिन और वो और उनकी पत्नी सेट पर आए थे। बस, फिर उसके अलावा वो कभी नहीं आए सेट पर। साजिद (नाडियाडवाला) भाई भी पहले दिन ही आकर चले गए थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि आप फिल्म करो, जब पूरी हो जाएगी तो दोनों साथ बैठकर देंखेगे।

    फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग कोविड के दौरान हुई थी। वो समय कितना मुश्किल भरा रहा था?

    भाग्यवश, जो बड़ा शेड्यूल था हमारा वो निकल गया था हमारा प्री- कोविड। उसके बाद 6-8 महीने तो फिल्म अटक ही गई, फिर सेकेंड शेड्यूल के लिए हमें वापस मसूरी जाना पड़ा। वो समय बहुत चैलेंजिंग था। उस वक्त हम एक गाना शूट कर रहे थे, उस गाने में 150-200 लोग शामिल थे। डांसर्स थे, म्यूजिशियंस थे जिनको हमने गोवा से बुलाया था, दिल्ली से कुछ जूनियर आर्टिस्ट आए और इधर मुंबई से पूरा क्रू गया था। पता नहीं, कितनी बार टेस्टिंग हुई। सेट पर हमने सबकुछ उपलब्ध रखा गया। डॉक्टर्स थे, टेस्ट करने वाले काफी स्टॉफ थे। हमारी उनसे भी दोस्ती हो गई थी। मेकअप और कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट वालों को पीपीई किट पहनना पड़ा था पूरे- पूरे दिन। सच कहूं तो अजीब सा लग रहा था थोड़ा। पहले कुछ दिन तो लग रहा था कि कुछ भी हो सकता है क्योंकि इतने सारे लोग एक साथ थे। लेकिन हमने बहुत ज्यादा सावधानी बरती थी। पूरी शूटिंग के दौरान कोई भी पॉजिटिव केस सामने नहीं आया।

    कच्चे धागे से लेकर बादशाहो तक, आपकी फिल्मों की म्यूजिको काफी पसंद किया गया है। तड़प के म्यूजिक के संबंध में क्या बताना चाहेंगे? और फिल्म के संगीत में आपकी सहभागिता किस तरह की होती है?

    कच्चे धागे से लेकर बादशाहो तक, आपकी फिल्मों की म्यूजिको काफी पसंद किया गया है। तड़प के म्यूजिक के संबंध में क्या बताना चाहेंगे? और फिल्म के संगीत में आपकी सहभागिता किस तरह की होती है?

    तड़प के म्यूजिक को लेकर जब हमारी शुरुआती बातचीत हो रही थी तो मैंने कहा था कि यदि हम रोमांटिक गानों को शामिल कर रहे हैं, तो फिर प्रीतम बेस्ट हैं। प्रीतम उस वक्त बहुत बिजी थे, वो अन्य फिल्मों पर काम कर रहे थे। लेकिन हम दोस्त हैं, तो वो तड़प के लिए भी तैयार हो गए। हमारी प्लानिंग थी कि इस फिल्म के म्यूजिक को यंग रखते हुए भी किस तरह हम इमोशनल रख सकते हैं। हम गानों में एक मैच्युरिटी चाहते थे। क्या होता है कि फिल्म में कुछ हल्के फुल्के गाने होने से आप उससे इमोशनली कनेक्ट नहीं हो पाते हैं। आप उस पर डांस करोगे, पार्टी में बजाओगे, लेकिन इमोशनल कनेक्नट की कमी रहेगी। प्रीतम ने मुझसे पहले दिन ही कहा था कि मिलन जल्दबाजी मत करना, मैं 25-30 गाने सुनाउंगा, उसमें से चार गाने आप चुन लेना। मैं जानता हूं कि आपका टेस्ट बहुत अच्छा है। फिर हमने जब उनके स्टूडियो में सारे गानों की रिकॉडिंग की, तो उनकी टीम को भी इस फिल्म का म्यूजिक बहुत अच्छा लगा। इरशाद भाई ने बहुत अच्छे बोल लिखे हैं। हम वो रोमांटिक गानों का जमाना वापस लाना चाहते थे। फिल्म में चार गाने हैं और सभी रोमांटिक हैं।

    किसी फिल्म की रीमेक को बनाना कितना आसान या मुश्किल होता है? वो भी जब ओरिजनल फिल्म किसी और भाषा की हो।

    किसी फिल्म की रीमेक को बनाना कितना आसान या मुश्किल होता है? वो भी जब ओरिजनल फिल्म किसी और भाषा की हो।

    पहले तो ये समझना बहुत जरूरी होता है कि जो ओरिजनल फिल्म है उसे किस सोच के साथ बनाया गया है। उसका क्या मोटिव था। जिस कहानी को आप अडैप्ट कर रहे हो, उसके पीछे की सोच को पूरी तरह से समझना होता है, वर्ना आप उसे अपने ढ़ंग से भी पेश नहीं कर पाओगे। तो हमने 'आरएक्स 100' की बारीकियों को समझने की कोशिश की.. कि ये किरदार यहां पर ऐसा क्यों बोल रहा है? इसके पीछे की क्या वजह है? फिर हमने अपना स्क्रीनप्ले बनाया; थोड़ा बहुत बदलाव किया लेकिन जो बेसिक कहानी और किरदार हैं उनको हमने नहीं छेड़ा है। चूंकि अब फिल्म के कलाकार अलग हैं, निर्देशक अलग हैं, संगीत नया है, थोड़ा लैविश स्केल पर शूट किया है.. तो कहानी कहने का तरीका भी अलग तरह का है।

    लेखन की बात करें तो आपकी और रजत अरोड़ा की जोड़ी काफी लंबी रही है। इस पार्टनरशिप पर क्या कहेंगे?

    कभी कभी एक तालमेल हो जाता है। जैसे मेरा अजय देवगन के साथ भी है। उनके साथ 4 फिल्में हो गई हैं। रजत के साथ एक कनेक्शन है, हम एक- दूसरे को समझ लेते हैं। मैं उसकी कमजोरियां, उसके ताकत जानता हूं.. वो मेरी जानता है। और हम एक तरह की चीजें पसंद करते हैं। बहुत सारे राइटर्स और डायरेक्टर्स की पार्टनरशिप रही है जो बार बार साथ में काम करना पसंद करते हैं क्योंकि वो एक ही सोच वाले होते हैं, एक ही पेज पर होते हैं।

    आपकी ज्यादातर फिल्में एक्शन- थ्रिलर शैली की रही हैं। क्या आप इसी शैली को ही हमेशा से एक्सपोर करना चाहते थे?

    आपकी ज्यादातर फिल्में एक्शन- थ्रिलर शैली की रही हैं। क्या आप इसी शैली को ही हमेशा से एक्सपोर करना चाहते थे?

    मुझे इन्टेन्सिटी पसंद है। एक्शन, थ्रिल, रफ्तार पसंद है। मुझे धीमी फिल्में या टिपिकल फैमिली ड्रामा फिल्में पसंद नहीं हैं। मुझे कहानियों में इन्टेन्सिटी और ड्रामा चाहिए, एक्शन तो सिर्फ एक एटिड्यूड है जो आपको बताती है कि फिल्म के अंदर एक आग है, जज्बा है। एक्शन मतलब वही फाइट सीन्स, ब्लास्ट, वही गोली चलाना होता है.. लेकिन जो जरूरी है वो ये कि आप उसे किस तरह से अपनी कहानी में शामिल करते हैं और किस तरह से वो एटिड्यूड ऑडियंस तक पहुंच रहा है।

    एक फिल्ममेकर के तौर पर ओटीटी और सिनेमा का भविष्य किस तरह से देखते हैं?

    मुझे तो लगता है कि दोनों ही माध्यम पर बहुत अच्छा काम हो रहा है। ओटीटी से बहुत सारे नए टैलेंट सामने आए हैं, जिनको शायद फिल्मों से मौका नहीं मिला होता। राइटर्स, डायरेक्टर्स, एक्टर्स, तकनीकशियन.. सभी को अपने काम दिखाने का मौका मिल रहा है। ये बहुत अच्छा दौर है। अब ये जरूरी नहीं है कि आपको एक बड़े स्टार को ही खींचकर लाना है तो ही प्रोड्यूसर आपको पैसे देगा। आप किसी भी टैलेंटेड एक्टर के साथ काम कर सकते हैं। जब हमने काम शुरु किया था तो बहुत जरूरी था कि कोई ना कोई स्टार आपकी फिल्म में होना चाहिए, वर्ना फिल्म बनेगी ही नहीं। अब प्रोडक्शन वैल्यू बदल गई है। मुझे लगता है कि ये दोनों इंडस्ट्री एक दूसरे को सपोर्ट करेगी। थोड़ा हमको उनसे सीखना है, थोड़ा उनको हमसे सीखना है।

    आपने अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार जैसे सितारों के साथ काम किया है, वहीं अब एक नए कलाकार को ला रहे हैं। कितना अलग अनुभव रहता है ये?

    आपने अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार जैसे सितारों के साथ काम किया है, वहीं अब एक नए कलाकार को ला रहे हैं। कितना अलग अनुभव रहता है ये?

    जब कोई बड़ा स्टार आता है तो डायरेक्टर पूरी तरह से on toes रहता है क्योंकि एक्टर का स्टारडम सेट पर महसूस हो जाता है। वहीं, जब नया एक्टर होता है तो भी डायरेक्टर पूरी तरह से समर्पित रहता है क्योंकि उसको पता है कि अगर गलती हो गई तो वो गलती डायरेक्टर की होगी, वो एक्टर की नहीं होगी। एक्टर नया है उसे एक मौका तो लोग देंगे। तो वो एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। वहीं, दूसरी चीज ये होती है कि नए कलाकार जो आते हैं, वो थोड़े दूर रहते हैं आपसे। एक सम्मान का भाव होता है, एक अदब होती है। मैंने अहान को कई बार कहा कि मुझे सीनियर की तरह ट्रीट मत करो, साथ खाते हैं, बातें करते हैं। मैं उसे सेम लेवल पर लाना चाह रहा था। लेकिन वो सीनियर- जूनियर वाले चीज रहती है बीच में। वहीं, अजय, अक्षय, जॉन के साथ काम करने के दौरान हम बहुत गप्पें मारते हैं, मस्ती करते हैं। वो अलग सा माहौल रहता है।

    कई निर्देशक अपनी फिल्मों के सीक्वल या रीमेक बना रहे हैं। आपकी कोई प्लानिंग है?

    अभी कुछ दिनों पहले ही मैं किसी से मिला था तो बात हो रही थी कि टैक्सी नंबर 9211 का सीक्वल क्यों ना बनाया जाए। तो सोचेंगे उसके बारे में। एक आइडिया में मेरे दिमाग में, लेकिन फिलहाल रीमेक या सीक्वल मेरी प्राथमिकता नहीं है। मैं फ्रेश कहानियों पर फिल्म बनाना चाहता हूं। लेकिन यदि कोई बहुत अच्छी कहानी मिल गई, तो सीक्वल जरूर करेंगे।

    English summary
    In an exclusive interview with Filmibeat, director Milan Luthria talked about his upcoming film Tadap, Ahan Shetty debut, his friendship with Ajay Devgn, his love for action- thriller films and much more.
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