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Exclusive Interview: 'फुकरे' के बाद मेरी जिंदगी ऑडिशन से नेरेशन पर पहुंच गई- मनजोत सिंह
हिंदी सिनेमा में हमेशा से ही सिख किरदार कम लिखे जाते हैं। अगर आपने कभी सिख कलाकार देखेंगे भी होंगे तो उनकी स्क्रीन पर जगह केवल भीड़ में से एक रही है। हालांकि 'ओए लकी लकी ओए', 'फुकरे 3' के साथ 'ड्रीम गर्ल ' में दिखने वाले लोकप्रिय अभिनेता मनजोत सिंह सिनेमा की इस प्रथा को अपनी दमदार अदायगी से तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
एक फिल्म में दो हीरो की कास्टिंग कई बार इस सवाल पर आकर थम जाती है कि स्क्रीन पर किस किरदार का कद बड़ा है? ऐसे में हीरो के दोस्त और भाई के किरदार में लंबे समय से ऐसे कलाकारों को कास्ट किया जा रहा है जो सिनेमा में अपनी जगह बनाने के लिए हीरो बनने पर अधिक फोकस नहीं करते हैं।
मनजोत सिंह भी इस मौके का बड़ा उदाहरण हैं। 'चुट्जपाह' उनका नया शो है। फिल्मीबीट हिंदी से हुई खास बातचीत में मनजोत सिंह ने ये बताया है कि कैसे हिंदी सिनेमा में सिख किरदारों के लिए बदली सोच का फायदा उन्हें लगातार मिलता चला जा रहा है। 'फुकरे 3' और 'ड्रीम गर्ल' के बाद उनकी जिंदगी में यू-टर्न आया। खुद मनजोत सिंह की जुबानी पढ़िए ये दिलचस्प इंटरव्यू।
मैंने हमेशा युवा वर्ग को टारगेट किया है
चुट्जपाह इंटरनेट, सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स को लेकर आज के युवाओं पर जो इसका प्रभाव हो रहा है। इसके संबंध में हैं। मेरे किरदार ऋषि की भी कहानी इसी के ईद-गिर्द घूमती रहती है। मैंने सतत युवा वर्ग को टारगेट करती हुईं फिल्में की हैं।मेरी सोच हमेशा से यही रही है कि युवा पीढ़ी के लिए सिनेमा में अपने किरदार के जरिए कुछ दिलचस्प लेकर आऊं।
एक फोन से पता चल जाता है कौन सी फिल्म करनी है
फुकरे, ओए लकी लकी ओए , ड्रीम गर्ल जैसी फिल्मों से आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि मेरी भूमिका आज के युवा वर्ग को प्रस्तुत करती है। ये मेरी खुशकिस्मती रही है कि मुझे ओए लकी लकी ओए के बाद लगातार फिल्में मिलती गई हैं। पता नहीं कैसे, लेकिन सिर्फ एक फोन कॉल पर नेरेशन सुनकर इस बात का अंदाजा हो जाता है कि मुझे फिल्म साइन करनी हैं या नहीं।ये दूसरी बात है कि मुझे वह काम मिले या न मिले।
एक्टर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है
एक्टर बनना मेरी किस्मत में लिखा था।। सच कहूं तो मुझे इस काम में कोई दिलचस्पी नहीं थी। जब मैंने ओए लकी लकी ओए के लिए ऑडिशन दिया था, तो अनुमान था कि फिल्म मुझे नहीं मिलेगी। मैंने कभी कोई एक्टिंग नहीं की थी, ना ही मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड रहा है। मैंने ऐसे ही दिल्ली में ऑडिशन दिया था। ऑडिशन के कई राउंड हुए थे।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड और ऑफ गॉड फादर किया मुझे भी कोई मौका देगा। मेरा परिचय स्क्रीन पर कराया जाएगा। ओए लकी लकी ओए का ऑडिशन देखने के बाद दिबाकर बनर्जी ने मुझे मौका दिया। इसके बाद मेरा सफर चल पड़ा। मुझे काम के लिए फोन आना शुरू हो गया। मेरे लिए अपने आप ही बॉलीवुड में जगह बनती चली गई। आज तक सिलसिला कायम है।
सिर्फ हीरो का दोस्त क्यों? मैं ये नहीं सोचता
मेरे लिए एक्टर बनना सपने के सच होने जैसा था मैं अपना करियर देखूं तो धीरे-धीरे मैंने अच्छा ही काम किया है। जिस तरह पहले सिख किरदारों को प्रस्तुत किया जाता था, फिल्मों में अब वैसा नहीं है। मैं बहुत खुश हूं कि फिल्मों में सिख किरदारों को लिया जाता है। उन्हें बकायदा उचित रोल दिए जाते हैं। सिख किरदार को गंभीर भी लिया जा रहा है। धीरे-धीरे जैसे मेरी और भी फिल्में आएंगी, मैं बतौर एक्टर परिपक्व होता जाऊंगा। सिर्फ हीरो के दोस्त का ही रोल क्यों? मैं टाइपकास्ट हो रहा हूं या नहीं? इस पर मेरा केंद्र नहीं है। मैं इतनी गहराई से नहीं सोचता कि आगे का क्या होगा? मैं टाइपकास्ट हो गया तो?
अभी लीड रोल करने के लिए तैयार नहीं हूं
सच कहूं तो मुझे काफी लीड रोल भी ऑफर हुए हैं। मैं खुद को अभी वक्त देना चाहता हूं। पंजाबी फिल्मों में मुझे काफी ऑफर आए हैं। किरदार का नेरेशन सुनने के बाद वह किरदार पर्दे पर जाकर क्या बनेगा? क्या दिखेगा? तो ये सोचकर मैं कई दफा काम को टाल देता हूं। मुझे किसी तरह की जल्दबाजी नहीं है कि आगे क्या होगा? या मुझे अभी सब कुछ कर लेना चाहिए। मैं वैसा नहीं हूं। धीरे-धीरे कदम उठाते हुए आगे बढ़ना है।
अच्छा कंटेंट है तो कोई रोक नहीं सकता
मैं खुश हूं कि जब से ओटीटी प्लेटफॉर्म आए हैं, दर्शक भी होशियार हो गए हैं। हर चौथे घर में एक क्रिटिक बैठा हुआ है।अगर आप दर्शकों को अच्छा कंटेंट नहीं देंगे, फिर चाहे वह बड़ा स्टार क्यों ना हो, सभी को दर्शक देखना चाहते हैं। एक अच्छे कंटेंट के साथ। अगर आपका कंटेंट सही है तो कोई रोक नहीं सकता। मेरे गॉडफादर मेरे बाबा जी हैं। मेरी मां कहती है अगर कुछ नहीं मिलता है तो सब्र करना फिर उससे बेहतर कुछ आएगा।
मुझे ऑडिशन के लिए कॅाल नहीं आता अब
फुकरे के बाद मेरी जिंदगी एक ऑडिशन से नेरेशन पर आ पहुंची है। अब सीधे मुझे नेरेशन के लिए फोन आता है। मुझे पता है कि जहां पर मैं हूं वहां पर कितने एक्टर्स आना चाहते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई गुरु नहीं है। लेकिन मेरे जो निर्देशक रहे हैं विक्रमादित्य मोटवानी ,दिबाकर बनर्जी , फुकरे के निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा। इन सब ने मेरा मार्गदर्शन किया है। इंडस्ट्री में यही मेरे गुरु है। बाकी अक्षय कुमार और रणबीर कपूर को देख कर मुझे ऐसा लगता है कि मैं बस उन्हीं को फॉलो करना चाहता हूं।