twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    अगर चुनने का मौका मिला तो मैं हिन्दुस्तान को चुनूंगाः अमानत

    By Super Admin
    |

    पाकिस्तान की सरहद को पार करके हिन्दुस्तान आए अमानत सा-रे-गा-मा-पा के माध्यम से विश्व की आवाज़ बनने के लिए काफी प्रयत्नशील हैं. देखना यह है कि पाकिस्तान के एकमात्र बचे यह प्रतियोगी विश्व की आवाज़ बनते हैं या नहीं.

    अमानत आप पाकिस्तान के एकमात्र प्रतियोगी बचे हैं. कैसा लग रहा है ?
    बहुत अच्छा लग रहा है. पाकिस्तान का मैं एकमात्र प्रतियोगी हूं सो मुझ पर ज़िम्मेदारियां भी काफी बढ गई हैं. मैं हिंदुस्तान से हूं या पाकिस्तान से, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पडता. मुझे इस बात की खुशी है कि मैं टॉप फोर में पहुंच गया हूं. अब मुझे और अधिक मेहनत करना है.

    आपको अच्छा लग रहा है कि आपके साथ आए हुए सभी लोग चले गए। उनके एलिमिनेशन का दुख नहीं है ?
    प्रतियोगी चाहे भारत के हों या पाकिस्तान के, उनके एलिमिनेट होने पर मुझे काफी बुरा लगा है.

    अभी आपने ये भी कहा था कि अपेक्षाएं बढ चुकी हैं, अपने उपर कितना दबाव महसूस कर रहे हैं ?
    दबाव तो काफी महसूस कर रहा हूं. मेरे गुरू इस्माइल दरबार जी कहते हैं, "बेटा, जैसे जैसे इस प्रतियोगिता में तुम आगे बढ रहे हो मेरी अपेक्षाएं तुमसे बढ़ती जा रही हैं. अब तुम्हें पहले से भी बेहतर गाना है." अपने गुरू इस्माइल जी की बातों से मैंने स्वयं पर यह दबाव बनाया है कि चाहे जैसे भी हो मुझे उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है.

    आपको भारत आए हुए काफी दिन हो गए हैं घर की याद तो बहुत आती होगी ?
    घर की याद तो बहुत आती है लेकिन जनता का प्यार देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि हम अपने घर से दूर हैं. लोगों का प्यार देखकर अपने घर वालों को काफी याद करता हूं, सोचता हूं कि काश वो भी मेरे साथ यहां होते और देखते कि मुझे कितना प्यार मिल रहा है.

    भारत की जनता ने अब तक आपको बचाए रखा है क्या कहना चाहेंगे ?
    इसके लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूं. मैं अच्छा गाकर अपना फर्ज़ पूरा कर रहा हूं बाकि सब उनके हाथों में हैं. मेरी तो यही तमन्ना है कि वह मेरी गायकी को सराहें और मुझे आगे लेकर जाएं.

    पाकिस्तान से भारत पहली बार आए हैं, कैसा लग रहा है ?
    मैंने पहले भी आपसे कहा मुझे दोनों में कोई खास फर्क नज़र नहीं आता, सिर्फ सरहद ही है जो दो देशों को अलग करती है वर्ना सारी चीज़ें वही हैं. वही सडकें, वही बिल्डिंग्स, लोगों का प्यार. भारत की मेज़बानीं लाजवाब है. अपने देश में भी हमारी गायकी को उतना सराहा नहीं गया जितना यहां के लोगों ने सराहा.

    अब तक भारत में कहां कहां घूमें हैं ? पसंदीदा जगह और खाने के बारे में बताइए ?
    शूटिंग के सिलसिले में मैं सातारा, लखनऊ, इलाहाबाद, अहमदाबाद, दिल्ली तथा अन्य जगहों पर भी गए हैं। अब तक मैं पूरी मुंबई घुम चुका हूं. सातारा और मुंबई ने मुझे काफी आकर्षित किया. खाने में मुझे नॉन वेज खाना पसंद है. खुशी है कि मुंबई में भी वह आसानी से मिल जाता है. भारतीय खानों में मुझे सेव पुरी, पानी पुरी, भेल पुरी तथा वडा पाव बहुत पसंद है. पानी पुरी को हमारे यहां गोलगप्पे कहते हैं मगर वह कुछ अलग तरीके से मिलते हैं. वहां पुरी और पानी अलग से दिया जाता है. खुद ही पुरी को पानी में डुबोकर खाना पडता है. वहां एक प्लेट में बारह पुरियां मिलती हैं. दोनों का अपना मज़ा है मगर ज़्यादा अच्छी मुझे यहां की पानी पुरी लगती है.

    पाकिस्तान का संगीत भारत में ज़्यादा बिकता है। स्वयं के लिए यहां कितना स्कोप दिखाई देता है ?
    मैं खुश हूं कि पाकिस्तान के गायकों को भारत में काफी पहचान मिली है. जैसे आतिफ असलम, शौकत अमानता अली, राहत फतेह अली, गुलाम अली, नुसरत फतेह अली और अदनान सामी सभी को लोगों ने पसंद किया. उनका एक अलग स्टाइल था जिसे उन्होंने विकसित किया. इंशा अल्लाह मेरी कोशिश है कि मैं भी अपनी अलग स्टाइल बनाऊं. इस प्रतियोगिता के बाद मैं अपना एल्बम लॉच करने वाला हूं जिसमें आप मेरी स्टाइल से रु-ब-रु होंगे. मुझे यकीन है दर्शकों को वह काफी पसंद आएगा और मुझे अच्छा एक्सपोज़र मिलेगा.

    पाकिस्तान के दूसरे गायकों की तरह क्या आप भी भारत में ही बस जाएंगे ?
    देखिए किस्मत तो आजमा चुका हूं और उसमें कामयाब भी हो चुका हूं. जहां तक बसने की बात है तो कसम से कहना चाहूंगा कि यहां से जाने को जी नहीं चाहता. मैं पाकिस्तान से आया हूं सो जाना तो पडेगा क्योंकि सब कुछ वही हैं. मगर मैंने सोच रखा है कि यहां से जाने के बाद भी भारत आता-जाता रहूंगा. साल में दस महीनें यहां गुज़ारूंगा और दो महीनें पाकिस्तान में...

    यदि दोनों में से किसी एक को चुनना पडे तो किसे चुनेंगे ?
    यदि ऐसा हुआ तो मैं हिंदुस्तान को चुनूंगा.

    कहते हैं संगीत पाकिस्तान की सभ्यता है... कितनी सच्चाई है इस बात में ?
    संगीत जैसा यहां है वैसा वहां भी है, वहां पर नूरजहां, नुसरत फतेह अली खां, गुलाम अली तथा मेहंदी हसन साहब हैं तो यहां पर लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मन्ना डे जी और रफी साहब... संगीत को दोनों जगह एक समान इज़्ज़त दी जाती है. जैसे यहां पर कुछ कहावतें हैं उसी तरह वहां भी मिसाल दी जाती है कि "ज़मीन से जो भी ईंट उठाओ नीचे से एक गवैया मिलेगा". यहां पर प्ले बैक सिंगिंग को काफी महत्व दिया जाता है. यहां हर नया गायक सोनू जी को अपना आदर्श मानता है. वहां ऐसा नहीं है, वहां सिंग़िंग की शुरुआत में कोई पॉप को अपना लेता है तो कोई गज़ल को चुन लेता है. कोई सूफी संगीत में चला जाता है और कोई फोक में रच बस जाता है...


    ;

    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X