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    जब फिल्मफेयर अवार्ड ना मिलने पर झगड़ पड़ीं थीं लता मंगेशकर, गुस्से में किया था परफॉर्म करने से मना

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    लता मंगेशकर को हर कोई उनके सौम्य और सीधे स्वभाव के लिए जानता है। लेकिन इन सबसे अलग भी एक लता मंगेशकर थीं जो अपने हक की लड़ाई लड़ना जानती थीं। यूं कहिए कि केवल अपने हक की नहीं बल्कि सबके हक की लड़ाई। बात तब की है जब फिल्मफेयर अवार्ड्स ने आते ही अपना सिक्का जमा लिया था।

    उस दौर में बेस्ट प्लेबैक सिंगर की कोई कैटेगरी नहीं होती थी। अगर अवार्ड दिया जाता था तो केवल म्यूज़िक डायरेक्टर को। लता जी को ये बात नागवार गुज़री थी। दरअसल, फिल्मफेयर अवार्ड्स की शुरूआत हुई 1954 में। और शुरू में केवल बेस्ट म्यूज़िक का अवार्ड दिया जाता था।

    lata-mangeshkar-fought-with-filmfare-for-not-giving-best-playback-singer-award-refused-to-perform

    1954 में इसे नौशाद को दिया गया बैजू बावरा के गाने तू गंगा की मौज के लिए। इस गाने को गाया था मोहम्मद रफी ने जिनका ज़िक्र भी अवार्ड्स में नहीं हुआ। ऐसा ही हुआ 1955 में जब एस डी बर्मन को फिल्म टैक्सी ड्राईवर के गाने जाएं तो जाएं कहां के लिए बेस्ट म्यूज़िक का अवार्ड मिला। इस गीत को गाया था तलत महमूद ने। इसके बाद 1956 और 57 में हेमंत कुमार को नागिन के लिए और शंकर जयकिशन को बेस्ट म्यूज़िक का अवार्ड दिया गया।

    1957 में शंकर जयकिशन को फिल्म चोरी चोरी के लिए बेस्ट म्यूज़िक का अवार्ड मिलना था। जयकिशन ने लता जी को आकर बताया कि हमें बेस्ट म्यूज़िक का अवार्ड मिल रहा है और आपको रसिक बलमा गाने को स्टेज पर परफॉर्म करना है। लेकिन लता मंगेशकर अड़ गईं। उनका कहना था अवार्ड आपको मिल रहा है - बेस्ट म्यूज़िक का। ना गीतकार को अवार्ड दिया जा रहा है और ना ही सिंगर को। तो फिर आप अपना ऑर्केस्ट्रा लेकर स्टेज पर जाईए और बिना किसी बोल के और बिना किसी गायक के केवल धुन बजा दीजिए।

    रखी थी अनोखी शर्त

    रखी थी अनोखी शर्त

    इसके बाद लता मंगेशकर और जयकिशन में बड़ी बहस हुई। उन्होंने शर्त सामने रखी कि जब तक फिल्मफेयर प्लेबैक सिंगर और गीतकारों के लिए अवार्ड नहीं बनाता है तब तक वो परफॉर्म नहीं करेंगी। लता जी की बात का मान रखते हुए 1959 में फिल्मफेयर ने बेस्ट लिरिक्स और प्लेबैक सिंगर की कैटेगरी भी शामिल की। हालांकि तब भी केवल बेस्ट प्लेबैक सिंगर की ही कैटेगरी मौजूद थी। इसे Male और Female में 1967 में बांटा गया। यहां देखिए लता मंगेशकर के अवार्ड्स की लिस्ट।

    फिल्मफेयर अवार्ड्स

    फिल्मफेयर अवार्ड्स

    लता मंगेशकर ने जब एक बार फिल्मफेयर अवार्ड्स में प्लेबैक सिंगर्स के हक के लिए लड़ाई लड़ ली उसके बाद 1959 से 1967 तक कई अवार्ड्स जीते। लता मंगेशकर ने अपना पहला फिल्मफेयर अवार्ड जीता 1959 में फिल्म मधुमति के गाने आजा रे परदेसी के लिए। इसके बाद 1963 में उन्हें अवार्ड मिला बीस साल बाद के गीत कहीं दीप जले कहीं दिल। 1966 में उन्हें खानदान के गीत तुम्हीं मेरे मंदिर के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 1970 में लता मंगेशकर ने अपना आखिरी फिल्मफेयर अवार्ड जीता फिल्म जीने की राह के गीत आप मुझे अच्छे लगने लगे के लिए।

    छोड़ दिया अवार्ड्स पर हक

    छोड़ दिया अवार्ड्स पर हक

    1970 में लता मंगेशकर ने अवार्ड्स लेना छोड़ दिया। उन्होंने माना कि वो नए टैलेंट को आगे बढ़ते देखना चाहती हैं और इसलिए उन्होंने अवार्ड लेना छोड़ दिया। हालांकि, इसके बाद भी कई सालों तक उन्हें नॉमिनेट किया गया। 1993 में फिल्मफेयर ने उन्हें लाईफटाईम अचीवनमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं 1994 में फिल्म हम आपके हैं कौन के लिए उन्हें एक खास फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानति किया गया। 2004 में फिल्मफेयर के 50 साल पूरे होने की खुशी में भी लता जी को एक गोल्डन ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।

    नेशनल अवार्ड

    नेशनल अवार्ड

    लता जी को अपने करियर में तीन नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं। पहला नेशनल अवार्ड उन्हें मिला था 1972 में आई गुलज़ार की फिल्म परिचय के लिए। इस फिल्म में लता मंगेशकर के गाए गीत बीती ना बिताई रैना के लिए उन्हें पार्श्वगायिका का नेशनल अवार्ड मिला था। इस गीत को संगीतबद्ध किया था आर डी बर्मन ने और इसे लिखा था गुलज़ार साहब ने। इसके बाद लता जी को उनका दूसरा नेशनल अवार्ड मिला 1974 में फिल्म कोरा कागज़ के लिए। अनिल गांगुली की इस फिल्म में लता मंगेशकर के गीत रूठे रूठे पिया मनाऊं कैसे के लिए नेशनल अवार्ड दिया गया। इस गीत को संगीतबद्ध किया था कल्याणजी - आनंदजी ने और इसे लिखा था एम जी हशमत ने। लता मंगेशकर के करियर का तीसरा नेशनल अवार्ड उन्हें दिया गया 1990 की फिल्म लेकिन के गाने यारा सीली सीली के लए। इस गीत को लिखा था गुलज़ार साहब ने और इसे कंपोज़ किया था लता जी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने।

    राष्ट्रीय सम्मान

    राष्ट्रीय सम्मान

    साल 1969 में लता मंगेशकर को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके बाद भारत सरकार ने साल 1989 में उन्हें प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया। 1999 में उन्हें पद्म विभूषण का खिताब दिया गया और 2001 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि दी गई। आज़ादी के 60 साल पूरे होने पर लता जी को 2008 में भारत सरकार ने लाईफटाईम अचीवमेंट पुरस्कार दिया। इसी के साथ उन्हें राज्य सभा की सदस्यता भी दी गई।

    म्यूज़िक डायरेक्टर लता मंगेशकर

    म्यूज़िक डायरेक्टर लता मंगेशकर

    दिलचस्प है कि लता मंगेशकर को 1966 में एक मराठी फिल्म में बतौर म्यूज़िक डायरेक्टर बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर का अवार्ड मिला। इस मराठी फिल्म का नाम था आनंदघन जिसके गीत साधी मानस के लिए लता जी को ये अवार्ड दिया गया। 1997 में उन्हें महाराष्ट्र भूषण और 2001 में महाराष्ट्र रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

    गिनीज़ बुक में दर्ज है नाम

    गिनीज़ बुक में दर्ज है नाम

    1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज़्यादा गीत गाने वाले सिंगर के तौर पर दर्ज किया गया। माना जाता है कि अपने करियर में लता मंगेशकर ने 30 हज़ार से भी उपर गाने रिकॉर्ड किए हैं। साल 2020 में भी लता मंगेशकर TRA की Most Desired Personality की लिस्ट में 23वें नंबर पर थीं। 2010 में लता मंगेशकर ने एक भोजपुरी गीत के लिए भोजपुरी फिल्म अवार्ड स्वीकार किया था। उनके पास फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान Legion of Honor भी है।

    English summary
    Lata Mangeshkar fought for giving awards to playback singers. She even refused to perform at the filmfare awards.
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