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मैं सिर्फ रोमांटिक हीरो बनकर नहीं रहना चाहता हूं -आशिम गुलाटी
तुम बिन 2 से हीरो के रूप में एंट्री करने जा रहे आशिम गुलाटी का पढ़िए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।
आशिम गुलाटी का नाम आपने पहले सुना ही होगा। उन्हें सबसे पहले अटेंशन और पॉपुलैरिटी यू ट्यूब पर शो गुलमोहर ग्रैंड से मिली।ये शो स्टार प्लस पर भी आया। इसके पहले ये चेहरा एड वर्ल्ड में भी काफी नाम कमा चुका है। अब आशिम पूरी तरह से बॉलीवुड में एंट्री के लिए तैयार हैं।
आशिम गुलाटी के साथ खास बातचीत में उन्होंने बताया कि ये फिल्म उन्हें कैसे मिली, उनके संघर्ष के दिन और क्यों वो सिर्फ रोमांटिक हीरो बनकर नहीं रहना चाहते। पढ़िए और भी बहुत कुछ।
जैसा की सभी जानते हैं कि तुम बिन 2 एक सीक्वल हैं, ये आपके लिए कितना आसान या मुश्किल था कि जिस रोल को आप निभा रहे हैं जिन आप पर्दे पर देख चुके हैं।
सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि तुम बिन 2 सीक्वल नहीं है। ये एक फ्रेंचाइजी है और हां एक ऐसी फिल्म जिसने कई कीर्तिमान बनाए हो उसे करना बिल्कुल भी आसान नहीं था। ये अपने आप में बहुत अलग तरह की फिल्म है। हम लोग नए एक्टर हैं और हमसे उम्मीदें ज्यादा होती हैं। मेरी तो यह पहली फिल्म है इसलिए उम्मीदें बिल्कुल आसमान छू रही हैं। ये हमारे लिए काफी एक्साइटिंग था क्योंकि इससे हमें अपनी मेहनत का अंदाजा मिला। इससे हमें काफी प्रेरण भी मिली क्योंकि हमें उस फिल्म के लेवल तक खुद को मैच करना था। इसकी हम तुम बिन से तुलना नहीं कर सकते क्योंकि दोनों की कहानी भी बिल्कुल अलग है।ये कोशिश जरूर की गई है कि तुम बिन का जो फ्लेवर था उसे तुम बिन 2 में भी बरकरार रखा जाए।
क्या आप पहले शॉट के पहले नर्वस थे?
नहीं, बिलुकल भी नहीं। मुझे लगा था कि कहीं मैं नर्वस ना हो जाऊं लेकिन हमलोग बहुत ही अच्छी तरह तैयार थे और इसका सारा क्रेडिट डायरेक्टर अनुभव सिन्हा को जाता है। हमलोग इतने तैयार था कि पहले दिन शूटिंग के बाद भी हीं एहसास हो रहा था कि आज मेरा पहला शॉट था। मैं एक बाद एक सीन देता गया। हमलोगों ने किसी भी सीन के लिए ज्यादा टेक भी नहीं लिए। शूटिंग के पहले वर्कशॉप पर भी जाना काफी फायदेमंद था। हमलोग बिल्कुल अपने कैरेक्टर में रम चुके थे और फिल्म की शूटिंग से पहले ही कैरेक्टर में घुस चुके थे और इससे हमारा काम और भी आसान हो गया था।
आदित्य सील भी फिल्म में हैं। वो पहले भी दो फिल्में कर चुके हैं तो ऐसा कोई डर कि वो लाइम लाइट ले जाएंगे, उन्हें लीड रोल मिल जाएगा या आप दोनों ने आपस में अच्छी बॉन्डिंग कर ली?
आपने सही कहा कि अनुभव मायने रखता है लेकिन मुझे कभी भी इन्सिकयोरिटी जैसा कुछ नहीं लगा कि वो लाइमलाइट ले जाएगा। ये मेरी पहली फिल्म है और मैं जो जितना जानता हूं बस उतना हीं जानता हूं लेकिन मेरा मानना है कि इनसिक्योरिटी होने से दिमाग में भी बस यही बात घूमते रहती है, इसलिए फिर आपका बेस्ट आ ही नहीं पाता। हमारी एक दूसरे के साथ बॉन्डिंग काफी अच्छी थी। हम लोग काफी दोस्त भी बन गए वो भी पहले ही दिन से। इन्सिक्योरिटी जैसी कोई चीज नहीं थी इसलिए ही हमारी बॉन्डिंग अच्छे से हो पाई। हम लोग एक दूसरे के सीन भी मॉनिटर पर देखा करते थे। मुझे लगता है एक दूसरे के बारे में पीछे बातें बनाने से ज्यादा अच्छा तो यही है।
आपको ये रोल कैसे मिला?
मैं दिल्ली में था जब मुझे कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़िया का कॉल आया। मुझे ऑडिशन भी दिल्ली में ही देना था और दूसरा मुंबई में। वहां 4 से 5 ऑडिशन हुए और फाइनल ऑडिशन अनुभव सर के ऑफिस में था। उन्होंने मुझे बुलाया लेकिन मैं शूटिंग कर रहा था इसलिए लेट भी था और मुझे कहीं से भी इस बात की खुशी नहीं था। फाइनल ऑडिशन के लिए आने वाला मैं आखिरी इंसान था और आदित्य पहला। मैं तो उन दिन अपनी लाइन भी नहीं याद कर पा रहा था क्योंकि काफी बदलाव किए गए थे। मैनें बस उनसे दो मिनट लाइन पढ़ने के लिए मांगा। मुझे पता था कि वो गुस्सा हैं (हंसते हुए) लेकिन ऑडिशन के बाद वो खुद आए और बोले कि अगर इतनी ही ईमानदारी के साथ अपने सीन करोगे तो मुझे नहीं लगता कि मुझे कुछ और बोलने की जरूरत है। उस समय मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन बाद में जब कॉल आया तब सब समझ गया।
आपने टीवी सीरिज गुलमोहर ग्रैंड किया, आगे आप टेलीविजन या फिल्में क्या ज्यादा करना पसंद करेंगे?
मैं अपने आपको बांधकर नहीं रखना चाहता। अगर टीवी के अच्छे ऑफर आएंगे तो मैं करूंगा। मैंने ये फिल्म काफी उम्मीदों के साथ की है कि आगे भी मुझे ऑफर मिलेंगे। कुछ पाइपलाइन में भी हैं। मैं जितना ज्यादा हो सके उतना काम करना चाहुंगा । (हंसते हुए)
आपका एक एक्टर बनने का सपना देखना और फिर एक्टर बनने तक का सफर कैसा रहा?
इस रास्ते में सिर्फ संघर्ष नहीं था। ये एक बस प्रक्रिया था और असली सफर तो अब शुरू हुआ है। मैनें काफी स्ट्रगल किया और एक एक दिन मैनें स्ट्रगल किया क्योंकि मेरा कोई गॉडफादर नहीं था। मेरा मुंबई में रहने तक के लिए भी कोई गॉडफादर नहीं थे। सबकुछ मुझे खुद ही देखना था इसलिए मैं हर कदम सोच समझकर उठाता था। मैंने अपने बोर्डिंग स्कूल से ही थियेटर की शुरूआत की थी और मेरा पैशन एक्टिंग के लिए तभी से है। मैनें अपना पहला प्ले छठी क्लास में किया था। मेरे पैरेंट्स शुरू से मेरे पैशन को जानते थे और मैं भी जानता था कि मैं एक्टर ही बनना चाहता हूं। मैं पढ़ाई के लिए मुंबई आया और पढ़ाई पूरी की, कुछ एड कॉर्मिशियल की, एक्टिंग वर्कशॉप भी किया, टीवी शो किया और अब ये फिल्म। मैनें इतने दिनों में काफी कुछ सीखा और मुझे भी विश्वास हो गया कि मुंबई आने का मेरा निर्णय गलत नहीं था।