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Bithday-क्यों सोशल-पॉलिटिकल मुद्दें प्रकाश झा की फिल्मों पर हावी- ऐसे मिली कला में दिलचस्पी
'मृत्युदंड', 'गंगाजल', 'अपहरण', 'राजनीती' और 'चक्रव्यूह' जैसी फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा की फिल्मों की लिस्ट देखें तो उनमें सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों की झलक देखने को मिलती हैं। देश, कानून, सत्ता और सरकार के दबदबे से लेकर राजनीतिक गतिविधियों को लेकर प्रकाश झा खूब संजीदगी से फिल्म बनाते हैं। कहा जाए तो इंडस्ट्री के इकलौती फिल्मकार हैं जिन्होंने एक के बाद एक फिल्म देश की पॉलटिक्स के इर्द गिर्द फिल्में बनाईं।
श्रीदेवी की मौत और जिंदगी की अनसुलझी गुत्थियां
प्रकाश झा एक ऐसे फिल्मनिर्माता हैं जो 100 करोड़ कमाने के लालच में किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते। साथ ही अपनी तरह का सिनेमा बनाते रहना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि उनसे पहले किसी ने राजनीति व सामाजिक विषयों से जुड़ी फिल्में नहीं बनाई हैं। रामगोपाल वर्मा की 'सरकार' हो या अनिल कपूर की 'नायक', इन फिल्मों में बखूबी सामाजिक मुद्दों को उठाया गया व दर्शकों को एंटरटेन भी किया गया।

कैसी फिल्मों का निर्माण करना है पसंद
प्रकाश झा कहते हैं कि वह इन मुद्दों के साथ साथ युवाओं की इच्छओं और परेशानियों को समेटने की कोशिश करते हैं। अखबारों की हैडलाइन से लेकर सामाजिक परिवर्तन पर वह फिल्में बनाने पर विश्वास रखते हैं।

हिंदी सिनेमा की ताकत
फिल्मकार, एक्टर और प्रोड्यूसर प्रकाश झा ने हिंदी सिनेमा में करीब 4 दशक गुजार दिए हैं। सैफ अली खान, मनोज बाजपेयी, कैटरीना कैफ, रणबीर कपूर, अमिताभ बच्चन, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, अजय देवगन और अर्जुन रामपाल सहित मशहूर अभिनेताओं को लेकर उन्होंने फिल्मों का निर्माण किया है। आज वह हिंदी सिनेमा की ताकत का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करते हुए समाज के विषयों को बखूबी अपनी फिल्मों में उठाते हैं।

टेलीविजन
अपने करियर की शुरुआत में डॉक्यूमेंट्रियों और शॉर्ट फिल्मों का निर्माण भी उन्होंने किया। तमाम सम्मान से नवाजे जा चुके हैं प्रकाश झा ने फिल्मों के अलावा टेलीविजन के लिए भी कई प्रोडक्शन किए हैं जिनमें 'मुंगेली लाल के हसीन सपने' मील का पत्थर साबित हुआ।

कला में ऐसे आई दिलचस्पी
पंडित परिवार से आने वाले प्रकाश झा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से फिजिक में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने दिल्ली के मंडी हाउस में कई परफॉर्मेंस और प्ले देखें, जिसके बाद उन्हें कला में दिलचस्पी आने लगी। फिर उन्होंने तय किया कि उन्हें कोई सिविल तैयारी व नौकरी नहीं करनी है। उन्होंने इसके बाद फिल्मों को लेकर अपना विचार बनाया।

'धर्मा' फिल्म से प्रेरणा
उन्होंने खुद कई बार बताया है कि पहली बार उन्होंने 'धर्मा' फिल्म की शूटिंग देखी जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वह फिल्मों का ही निर्माण करेंगे। पहला मौका उन्हें डॉक्यूमेंट्री के जरिए के मिला।

दर्शकों की रुचि का ख्याल
प्रकाश झा मानते हैं कि दर्शक भी समकालीन मुद्दों में रुचि रखते हैं तभी तो एंटरटेमेंट चैनल से 5 गुना ज्यादा न्यूज चैनल चलते हैं। यही वजह है कि वह तत्कालिक मुद्दों से खुद को ज्यादा जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।