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1962: द वॉर इन द हिल्स रिव्यू- 125 भारतीय सैनिकों की जांबाजी और बलिदान को सलाम करती है ये सीरिज
निर्देशक- महेश मांजरेकर
स्टारकास्ट- अभय देओल, माही गिल, सुमित व्यास, आकाश ठोसर, रोहन गंडोत्रा, अनूप सोनी, मियांग चांग, हेमल इंगल, रोशेल राव, सत्या मांजरेकर, गीतिका विद्या ओहल्यान आदि..
प्लेटफॉर्म- डिज़्नी प्लस हॉटस्टार
एपिसोड - 10 एपिसोड/हर एपिसोड की अवधि - 40 मिनट
"तब हमें पता नहीं था कि आने वाले समय में सरहदों के नक्शे और सिपाहियों की तकदीरें हमेशा के लिए बदलने जा रही थी.." 1962 के भारत- चीन युद्ध को याद करते हुए शगुन (माही गिल) कहती हैं। कहानी फ्लैशबैक में चलती है। कहानी 125 बहादुर भारतीय सैनिकों की, जिन्होंने युद्ध में 3 हजार चीनियों का सामना किया था। कहानी उन सैनिकों की जो कम संसाधन और हथियारों के साथ भी चीनी सेना से आखिरी सांस तक लड़ते रहे, लेकिन देश पर आंच नहीं आने दी। एक ऐसा युद्ध, जिसने दोनों देशों के बीच काफी कुछ बदलकर रख दिया। ये सेना के इतिहास में सबसे बड़े मुकाबले में से एक है।

द वॉर इन द हिल्स
डिज़्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरिज 1962: द वॉर इन द हिल्स स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध हो चुकी है। चारूदत्त आचर्या द्वारा लिखित 10 एपिसोड्स में बंटी यह सीरिज युद्ध के साथ साथ सिपाहियों के जीवन, परिवार, ख्वाहिशों को भी जोड़कर चलती है। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि, अंत तक जाते जाते यह सीरिज आखों को नम कर जाती है।

कहानी
मेजर सूरज सिंह (अभय देओल) की पत्नी पूछती है, 'हिंदी-चीनी तो भाई भाई थे ना'.. इस पर सूरज सिंह जवाब देते हैं- 'थे, अब बहुत जल्द बाय बाय होने वाले हैं'।
चीनी सेना की ओर से हो रहे लगातार हमले और घुसपैठ के बाद मेजर सूरज सिंह को इस लड़ाई का लीडर बना दिया जाता है। अपनी सी- कंपनी के साथ सूरज सिंह चीनी सेना से सारे पोस्ट वापस लेने की कोशिश करते हैं। लेकिन सीमित संधासधों की वजह से नेफा पोस्ट में उन्हें चीनियों के सामने से पीछे हटना पड़ता है। यह भारत के लिए एक झटके की तरह होता है, लेकिन सभी को अंदाजा होता है कि चीन अभी और बड़े युद्ध की तैयारी कर रहा है।
मेजर सूरज सिंह के बटालियन में ज्यादातर सैनिक रेवाड़ी गांव से थे। पहले कुछ एपिसोड्स में हमें बटालियन के सभी जवानों से मिलने का मौका मिलता है। कैंप में एक प्रतियोगिता जीतकर सभी जवान छुट्टियों में गांव आते हैं, जहां वो अपने परिवार, प्यार और जिम्मेदारियों के साथ दिन गुजारते हैं। हालांकि सरहद के युद्ध से अलग यहां भी उन्हें जीवन में अलग अलग स्तर पर संघर्ष का सामना करना पड़ता है। अपने प्यार को पाने के लिए किशन (आकाश ठोसर) जातिवाद से लड़ता है, तो रामकुमार (सुमित व्यास) अपने धैर्य और गुस्से से। परिवार के साथ कुछ ही दिन वो गुजार पाते हैं कि चीन की ओर से लगातार हो रहे हमले की वजह से जल्द ही उन्हें सरहद पर वापस बुला लिया जाता है। लद्दाख की दुर्गम घाटियों पर अनेक विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए सी- कंपनी बंदूक की आखिरी गोली तक चीन की सेना का सामना करती है।

भारत- चीन युद्ध
भारत के प्रति चीन के आक्रमक रवैये पर उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, रक्षा मंत्री, उनके सलाहकार और सेना प्रमुख ने समय पर गंभीरता के साथ सही निर्णय नहीं लिया था। जिसका नतीजा था कि 20 अक्टूबर, 1962 को भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया। चीन की सेना ने लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश पर आक्रमण किया और ये युद्ध एक महीने तक चला। बेहद कम संसाधनों और हथियारों के साथ हमारे सैनिकों ने ये युद्ध लड़ा था। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की। लेकिन इस युद्ध में हजारों भारतीय सैनिक मारे गए थे।

अभिनय
यह एक मल्टी स्टारर सीरिज है। इसकी पटकथा इस तरह लिखी गई है कि कोई एक किरदार केंद्र में नहीं दिखता है। मेजर सूरज सिंह के किरदार में अभय देओल इमोशनल और गंभीर दृश्यों में दिल जीतते हैं। लेकिन यूनिफॉर्म में दम नहीं दिखा पाते, खासकर संवाद के दौरान। उनकी पत्नी की भूमिका में माही गिल हैं। जो कि एक बेहद प्रतिभावान अभिनेत्री हैं, लेकिन इस युद्ध आधारित सीरिज में उनके हिस्से ज्यादा कुछ नहीं आता। अभय और माही गिल पूरे 12 साल के बाद स्क्रीन शेयर करते दिखे। इससे पहले दोनों फिल्म 'देव डी' में साथ दिखे थे।
चीन की सेना के मेजर बने मियांग चांग कुछ दृश्यों में प्रभावी रहे हैं। वहीं, सी- कंपनी बटालियन में शामिल आकाश ठोसर, सुमित व्यास, रोहन गंडोत्रा जैसे कलाकारों ने कहानी को मजबूत बनाने में पूरा सहयोग दिया है। निर्देशक ने भी इन कलाकारों को पूरा मौका दिया है, कई महत्वपूर्ण संवाद दिये हैं, जिसे प्रभावी ढंग से सामने लाने में वो सफल रहे हैं। आकाश ठोसर और हेमल इंगल की लव स्टोरी शुरु से अंत तक लय में दिखती है।

निर्देशन
महेश मांजरेकर ने इस सीरिज को फिल्म की तरह ही बनाने की कोशिश की है। यहां हर एपिसोड के अंत में कोई ट्विस्ट नहीं है, कोई संस्पेंस नहीं है। लेकिन एक लय है, जो आपको अंत तक बांधे रखती है। सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों के मन- मस्तिष्क में चलती बातें और सैनिकों के पीछे उनके परिवार की क्या भूमिका होती है, ये सीरिज में बेहतरीन दिखाया गया है। निर्देशक ने कहानी में रोमांस और ड्रामा को देशभक्ति के साथ पिरोया है। वहीं, सीरिज होने की वजह से निर्देशक के पास हर किरदार को समय देने का अच्छा खास वक्त था। और यही चीज इसे बॉलीवुड वॉर फिल्मों से अलग बनाती है। बहरहाल, इस सीरिज की कहानी कहीं कहीं पर धीमी लगती है, खासकर शुरुआती तीन- चार एपिसोड में।
वहीं, जो बात सबसे ज्यादा चुभती है वह है हरयाणवी dailect.. जिसे चाहकर भी आप नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे। सभी सैनिक रेवाड़ी गांव के हैं, लेकिन किसी की बोली या पहनावे में हरयाणवी छाप नहीं दिखता है।

तकनीकि पक्ष
तकनीकि पक्ष की बात करें तो सिनेमेटोग्राफर करण बी रावत ने युद्ध क्षेत्र को स्क्रीन पर शानदार उतारा है। रेवाड़ी गांव हो या लद्दाख के दुर्गम इलाके, हर दृश्य आपको कहानी से जोड़ते जाते हैं। हालांकि, वीएफएक्स थोड़ा कमजोर रहा है और सीरिज की लंबाई थोड़ी और कसी जा सकती थी। हितेश मोदक का संगीत कहानी का अभिन्न हिस्सा है और सीरिज को मजबूत बनाता है। एक्शन कोरियोग्राफर डॉन ली ने इस सीरिज में सभी एक्शन दृश्यों को कोरियोग्राफ किया है, जो काफी शानदार रहा है।

क्या अच्छा क्या बुरा
इस सीरिज का सबसे मजबूत पक्ष है- पटकथा। सच्ची घटना पर आधारित इस सीरिज में जहां एक ओर सिपाहियों के निजी जीवन की झलक दिखाई गई है। मानवीय पक्ष दिखाया गया है। वहीं, दूसरी तरफ दिखाया है भारत- चीन का भीषण युद्ध। निर्देशक महेश मांजरेकर और लेखक चारूदत्त आचर्या दोनों कड़ी को जोड़ते हुए दिलचस्पी बनाए रखने में सफल रहे हैं।
वहीं, दो पक्ष जो कहानी को थोड़ा कमजोर करती है, वह है स्टारकास्ट और भाषा.. आकाश ठोसर, रोहन गंडोत्रा, गीतिका विद्या ओहल्यान जैसे कुछ कलाकार दमदार दिखे हैं। लेकिन मेजर की भूमिका अभय देओल में वह दम नजर नहीं आता।

देंखे या ना देंखे
बॉर्डर, एलओसी कारगिल से लेकर लक्ष्य, केसरी, उरी तक.. सच्ची घटनाओं पर आधारित कई वॉर ड्रामा फिल्में हमारे सामने आ चुकी हैं, जिसने युद्ध के मैदान में सैनिकों की हिम्मत और बहादुरी को दर्शकों के सामने रखा है।1962- द वॉर इन द हिल्स को आप इस कड़ी में जोर सकते हैं।
यदि आप वॉर ड्रामा पसंद करते हैं तो 1962- द वॉर इन द हिल्स आपको निराश नहीं करेगी। फिल्मीबीट की ओर से सीरिज को 3 स्टार।