twitter
    For Quick Alerts
    ALLOW NOTIFICATIONS  
    For Daily Alerts

    'शिकारा- द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित' फिल्म रिव्यू

    |

    Rating:
    3.0/5

    निर्देशक- विधु विनोद चोपड़ा

    कलाकार- आदिल खान, सादिया खान

    वर्ष 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों को घर से बाहर निकाल दिया गया था, उसी वक्त की कहानी है 'शिकारा'। फिल्म एक नवविवाहित जोड़े (शिव और शांति) के इर्द गिर्द घूमती है, जिन्हें सांप्रदायिक तनाव की वजह से रातों रात अपना घर, अपना कश्मीर छोड़कर जाना पड़ता है। वो इसी उम्मीद के साथ सालों रिफ्यूजी कैंप में गुज़ार लेते हैं कि शायद एक दिन वो वापस अपने घर जा पाएं।

    फिल्म की कहानी

    फिल्म की कहानी

    शिव कुमार धर अपनी पत्नी शांति के साथ कश्मीर में एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जी रहे होते हैं। दोनों काफी जतन से अपना घर बनाते हैं, जिसका नाम रखते हैं 'शिकारा'। इधर घाटी में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ती जा रही है। कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाने के लिए धमकाया जा रहा है, और जो नहीं जा रहे हैं उनके जलाए जा रहे हैं। दिन ब दिन तनाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में शिव और शांति को भी जिंदगी भर की कमाई, अपना घर कश्मीर में छोड़कर पलायन करना पड़ा। 19 जनवरी 1990 को लाखों कश्मीरी पंडितों को अपने घर से बाहर ढ़केल दिया गया था, जिसके बाद वह रिफ्यूजी की तरह जीवन जीने को मजबूर रहे। उन सभी के पास दो ही विकल्प थे- या तो अपनी जिंदगी बचाते और जन्मस्थान से हमेशा के लिए दूरी बना लेते.. या कश्मीर में ही रह कर सांप्रदायिक हिंसा का शिकार बनते। इन घटनाओं से गुजरते हुए शिव और शांति का प्यार किन ऊंचाइयों से गुजारता है, यही है फिल्म की कहानी।

    अभिनय

    अभिनय

    शिव और शांति के किरदार में आदिल खान और सादिया काफी परिपक्व लगे हैं। यह उनकी पहली फिल्म है, लेकिन दोनों ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। दोनों के चेहरे पर मासूमियत, डर, दर्द साफ दिखता है। निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने दोनों कलाकारों के हावभाव को प्रभावी ढ़ंग से इस्तेमाल किया है। सहायक कलाकारों ने भी बढ़िया काम किया है।

    निर्देशन

    निर्देशन

    सांप्रदायिक तनावपूर्ण माहौल के बीच एक प्यारी सी लव स्टोरी पिरोना निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के लिए आसान नहीं रहा होगा। कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्यायपूर्ण घटना को निर्देशक ने दो किरदारों के साथ साथ बुना है, जो दिल को छूती जाती है। साथ ही उन्होंने फिल्म की वास्तविकता को भी बनाए रखा है। फिल्म के पहले हॉफ में जहां फिल्म काफी तेजी से आगे बढ़ती जाती है और कई घटनाएं होती जाती हैं, वहीं सेकेंड हॉफ में शिव- शांति के रिश्ते को केंद्र बनाया गया है, जो दर्शकों को उबा सकता है।

    तकनीकि पक्ष

    तकनीकि पक्ष

    फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है संगीत और सिनेमेटोग्राफी.. जो कहानी को एक अलग स्तर देती है। फिल्म में कश्मीर की खूबसूरती बखूबी दिखाई गई है। वहीं, रिफ्यूजी कैंप का दृश्य आपकी आंखों को नम कर सकता है। निर्देशन के साथ साथ विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म के लेखन और एडिटिंग पर भी काम किया है। शिखर मिसरा के साथ विधु विनोद चोपड़ा द्वारा की गई एडिटिंग चुस्त है।

    संगीत

    संगीत

    फिल्म में संगीत दिया है संदेश शांडिल्य, अभय सपोरी और रोहित कुलकर्णी ने। कोई दो राय नहीं कि फिल्म का संगीत बहुत ही उम्दा है। इरशाद कामिल द्वारा लिखे गए सभी गीत दिल को छूकर जाते हैं। खासकर 'ए वादी शहजादी' जो दर्द बयां करती है, वह आंखें नम कर जाती है। ए आर रहमान द्वारा दिया गया बैकग्राउंड स्कोर भी दमदार है।

    देंखे या ना देंखे

    देंखे या ना देंखे

    1990 में यानि की 30 साल पहले कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को जिस तरह बाहर निकाल दिया गया था, निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने उसे बेहद मार्मिक ढ़ंग से सामने रखा है। फिल्मीबीट की ओर से शिकारा को 3 स्टार।

    English summary
    Debutants Aadil Khan and Sadia Khan starrer film Shikara is a love story centred around the mass evacuation of Kashmiri Pandits in 1990.
    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X