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धूम ने पूरे किए 16 साल: "हम स्क्रिप्ट की स्टेज पर ही कॉन्फीडेंट थे कि धूम फिल्म एक एंटरटेनर है"
फिल्म-मेकर विजय कृष्ण आचार्य फिल्में बनाने के मामले में किसी से उन्नीस नहीं ठहरते, और इसकी वजह भी है। इस लेखक-निर्देशक ने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कामयाब फ्रेंचाइजी- रगों में खून की रफ्तार तेज कर देने वाली फिल्मों की धूम सीरीज लिखी और निर्देशित की है। विक्टर (यह इंडस्ट्री द्वारा उनको प्यार से दिया गया नाम है) का कहना है कि उनकी उपलब्धियों ने उन्हें बेहद विनम्र और एहसानमंद बना दिया है। वह बताते हैं कि फिल्म के प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा और खुद उनको उस वक्त 'सुखद आश्चर्य' हुआ, जब पहली ही फिल्म को ऑडियंस का हक्का-बक्का कर देने वाला रिएक्शन मिला! इसी फिल्म ने पूरे विश्व की ऑडियंस के लिए जनरेशन-डिफाइनिंग फ्रेंचाइजी को जन्म दिया।
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'धूम: 3' में आमिर खान को डायरेक्ट करने से पहले फ्रेंचाइजी की दो फिल्में लिख चुके विक्टर कहते हैं-"ईमानदारी की बात तो ये है कि लेखक के रूप में आप हमेशा यही चाहते हैं कि आपके काम को सराहा जाए, और मैं तो चीजों के व्यावसायिक पहलू से अक्सर अनजान ही रहता हूं। मुझे लगता है कि सभी फिल्में पहले रचनात्मक उद्यम होती हैं और कारोबार इसका एक बाय-प्रोडक्ट है। लेकिन मेरा मानना है कि फिल्म (पहली धूम) को मिले रिस्पॉन्स से हम सभी को सुखद आश्चर्य हुआ था।"
वह आगे बताते हैं, "हम स्क्रिप्ट की स्टेज पर ही कॉन्फीडेंट थे कि यह फिल्म एक इंटरटेनर है। यह एक ऐसी फिल्म थी जो खुद को बहुत सीरियसली नहीं ले रही थी और शायद इसी चीज ने युवा दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके साथ-साथ फिल्म की कामयाबी में एक्शन की एनर्जी तथा प्रीतम के 'धूम मचा ले' सॉन्ग का यकीनन बहुत बड़ा हाथ था। एक प्रकार से फिल्म के सीक्वल की संभावना देखने वाले इकलौते शख्स थे- आदि, और उन्होंने पहली फिल्म के रिलीज होने से पहले ही मुझे एक मेल भेजा और कहा था- किसी सीक्वल के बारे में सोचिए!"
धूम की यह सालगिरह मनाने के साथ वायआरएफ और आदित्य चोपड़ा के साथ विक्टर की सहभागिता के 16 वर्ष पूरे हो जाएंगे। वायआरएफ स्टूडियो के साथ अपनी रचनात्मक भागेदारी के बारे में उनकी राय है- "यह मुझे कल ही की बात लगती है। मेरे लिए हमेशा वे लोग मायने रखते आए हैं जिनसे मैं मिला और हमने आपस में जिस तरह के रिश्ते कायम किए, वह बड़ा महत्वपूर्ण रहा है। पहली धूम लिखने के समय से ही आदि के रूप में मुझे विचारों का एक महान जनक और बाउंसिंग बोर्ड मिल गया था। वह सचमुच एक ईमानदार क्रिएटिव प्रोड्यूसर हैं और चूंकि वह खुद भी लेखक-निर्देशक हैं, इसलिए वह रचनात्मक प्रक्रिया के संघर्ष को बखूबी समझते हैं। उन्हें इस बात का भी अहसास है कि डायरेक्टर के लिए किसी कल्पना को हकीकत में ढालने के लिए किस तरह के सहयोग और समर्थन की दरकार होती है। इस कथित गलाकाट स्पर्द्धा वाली दुनिया में उन्होंने शांति और सुकून का एक नखलिस्तान रच दिया है।"
एक मोरैलिटी वाला विलेन रखना विक्टर का चतुराई भरा शानदार आइडिया था, क्योंकि आप इस तरह के विलेन को जीतते हुए देखना चाहते हैं! वह बताते हैं, "धूम की दुनिया पारंपरिक अर्थों में किसी विलेन की नहीं, एक एंटी-हीरो की दुनिया है। पहली वाली धूम में एंटी-हीरो एक विद्रोही व्यक्ति है। भले ही वह चोर है, लेकिन उसका व्यक्तित्व मूल तौर पर किसी बागी का है। फिल्म में यूथ, बाइकें और इनर्जी के बारे में भी कुछ है, इनमें से कुछ भी पहले से प्लान नहीं किया गया था। मेरा अंदाजा है कि यह सब ऑर्गैनिक रूप से, सहज-स्वाभाविक बोध के चलते होता गया। बैंक डकैतों द्वारा प्रतिष्ठान का मजाक बना कर रख देने वाली बात एक ऐसा अनजाना सूत्र है, जो धूम सीरीज की सभी फिल्मों में खिंचा चला आता है।"
वह आगे कहते हैं, "फिल्म में हीरो एक एंटी-हीरो है और वह हमेशा पारंपरिक बुद्धिमत्ता व बने बनाए दस्तूरों की दुनिया से परे निकल जाता है। समाज के ताने-बाने का अंदरूनी हिस्सा होते हुए भी वह इसके बाहर स्थित है (धूम : 2), जैसे कि धूम का कबीर और धूम: 3 का साहिर। इन किरदारों की लार्जर दैन लाइफ वाला पहलू उनकी मुकाबला करने की असाधारण क्षमताओं से उभरता है और वक्त अक्सर उनकी जिंदगी को खतरे में डालता रहता है।"
विक्टर से यह पूछने पर कि अब धूम फ्रेंचाइजी की किसी फिल्म को डायरेक्ट करना उनके लिए खुशी की बात होगी या यह एक प्रेशर प्वाइंट बन जाएगा, क्योंकि अपेक्षाएं अब आसमान पर हैं, वह जवाब देते हैं- "फिल्ममेकिंग आनंद उठाने और प्रेशर झेलने का एक हेल्दी और कभी-कभार अनहेल्दी कॉम्बिनेशन होता है। यह एक किस्म का सहजीवी अस्तित्व है, जिसका तमाम खतरनाक चीजों की ही तरह अपना एक अनोखा आकर्षण और रोमांच है।
तो, फिल्म डायरेक्ट करना यकीनन मेरा सौभाग्य होगा लेकिन मुझे यह भी पता है कि फ्रेंचाइजी की हर अगली फिल्म के साथ इस जॉनर को नया रूप देना या उसे दोबारा खोजना लगातार मुश्किल होता जाएगा। इतना कहने के बावजूद मुझे आदि की वह बात याद आती है जो उन्होंने 'धूम: 2' की स्क्रिप्ट लिखे जाने के दौरान कही थी कि केवल फ्रेंचाइजी को आगे खींचने के लिए कोई धूम नहीं बनानी चाहिए। इसे तभी बनाना चाहिए जब हम इस फिल्म को किसी भी सूरत में बनाते, चाहे इसका नाम धूम होता या नहीं। मुझे लगता है कि अभी तक हम उस सिद्धांत पर टिके रहने में सफल रहे हैं।"