मिशन मंगल (2019)(U/A)
Release date
15 Aug 2019
genre
मिशन मंगल कहानी
मिशन मंगल एक बॉलीवुड थ्रिलर ड्रामा है, जिसका निर्देशन जगन शक्ति ने किया है। फिल्म में तापसी पन्नू, विद्या बालन, कीर्ति कुल्हारी, और सोनाक्षी सिन्हा मुख्य भूमिका में हैं। साथ ही फिल्म में अक्षय कुमार और शरमन जोशी भी इस फिल्म में सहायक भूमिका में नजर आते हैं।
फिल्म भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों के द्वारा भारत के पहले मार्स ऑर्बिटरी मिशन (मंगलयान) के सफल परिक्षण के पीछे की कहानी को सामने लाती है। वस्तुत: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना थी। इस परियोजना के अन्तर्गत 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था।
वैसे यह अभियान सफल रहा था। लेकिन इसके पीछे भारतीय वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत की थी। और बहुत कम संसाधनों के होते हुए भी भारतीय वैज्ञानिकों ने कैसे इतिहास रचा था। फिल्म इसे पर्दे पर ला रही है।
एक इंटरव्यू के दौरान अक्षय कुमार ने बताया कि फिल्म का नाम पहले महिला मंडल रखा गया था। मंगलयान मिशन महिलाओं की एक टीम की कड़ी मेहनत का नतीजा था लेकिन सच ये है कि इस टीम में पुरूषों का भी योगदान था। अक्षय का कहना था कि हमें एहसास हुआ कि फिल्म में पुरूष किरदारों का भी अहम योगदान था जिसे नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए। अत: इसका नाम बदलकर मिशन मंगल रख दिया गया।
फिल्म की कहानी
ईसरो के काबिल वैज्ञानिक राकेश धवन (अक्षय कुमार) और तारा शिंदे (विद्या बालन) को एक दंड के रूप में मंगल परियोजना में स्थानांतरित कर दिया जाता है। सभी आश्वत हैं कि मंगल मिशन एक असंभव कदम है, जो भारत भविष्य में शायद कभी लेना चाहेगा लेकिन फिलहाल दिल्ली दूर है। उस पर ना संस्थान पैसा लगाना चाहती है, ना ही सरकार.. क्योंकि अमेरिका मार्स मिशन में 4 बार फेल हो चुका है, रूस 8 बार, चीन भी कई असफल प्रयास कर चुका है। लेकिन इसी असंभव प्रोजेक्ट को संभव कर दिखाया एक टीम ने, जिसे इसे प्रोजेक्ट के लिए फंड देने से भी इंकार कर दिया गया था।
राकेश और तारा मिलकर अपनी टीम तैयार करते हैं और उन्हें इस मिशन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। खास बात है कि यह मिशन इस टीम को सामान्य से आधे समय और फंड में पूरा करना था। किस तरह 5 महिला और 2 पुरुष की यह टीम रॉकेट निर्माण से लेकर मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के लिए एक उपग्रह का संचालन करती दिखती हैं, इसे काफी मनोरंजन तरीके से दिखाया गया है।
इस मिशन को पूरा करने के दौरान उनके सामने क्या क्या समस्याएं आएंगी, कैसे कैसे प्रश्न खड़े होंगे.. ना सिर्फ प्रोफेशनल स्तर पर, बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी उनकी क्या कहानियां हैं, यह देखने के लिए आपको सिनेमाघर का रुख करना होगा। ये फिल्म आपको उस गर्वित क्षण को फिर से जीने का मौका देती है। फिल्म के अंत में जब सभी साइंटिस्ट खुशी से झूमने लगते हैं तो उनके लिए तालियां खुद ब खुद बजने लगती है।