कमांडो- अ वन मैन आर्मी (2013)(U/A)
Release date
12 Apr 2013
genre
कमांडो- अ वन मैन आर्मी कहानी
कमांडो- अ वन मैन आर्मी वर्ष 2013 में रिलीज हुई एक्शन ड्रामा है, जिसका निर्देशन दिलीप घोष और निर्माण विपुल शाह ने किया है। फिल्म में मुख्य भूमिका में विद्युत जामवाल, पूजा चोपड़ा, और जयदीप अहलावत नजर आये थे। फिल्म को क्रिटिक्स द्वारा बेहद पॉजिटिव रिस्पांस मिला था।
कहानी
कैप्टन करनवीर डोगरा जो कि एक कमांडो है जो कि एक दिन गलती से चीन की सीमा पार करके वहां पहुंच जाता है। चीनी उसे पकड़ लेते हैं और उसे मुजरिम बनाने की कोशिश करते हैं। करन पूरी कोशिश करता है कि वो चीनी सीमा के लोगों को यकीन दिला सके कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया है और वो गलती से वहां आ गया है लेकिन करन की बात पर चीनी सीमा के लोग यकीन नहीं करते। वो लोग सोचते हैं कि करन को वो अगर हिन्दुस्तानी जासूस के तौर पर पेश करें तो हिन्दुस्तानियों को नीचा दिखा सकते हैं। दूसरी तरफ हिन्दुस्तानी आर्मी टीम सोचती है कि करन की बात नहीं सुनी जाएगी इसलिए वो करन का पूरा आर्मी रिकॉर्ड मिटा देते हैं। और कहते हैं कि करन नाम का कोई कमांडो है ही नहीं। करन किसी तरह चीनियों के कब्जे से निकलक भारत आ जाता है। वो सीधे पठानकोट पहुचंता है जहां उसकी मुलाकात सिमृत (पूजा चोपडा़) से होती है। सिमृत गुंडों से खुद के बचाती हुई भाग रही होती है कि तभी करन उसे मिलता है और वो करन से खुद को बचाने के लिए कहती है। करन गुंडो से सिमृत को बचाता है। करन को नहीं पता कि जो गुंडे सिमृत के पीछे पड़ें हैं वो उस क्षेत्र के सबसे बड़े गुंडे अमृत कंवल सिंह के गुंडे हैं। अमृत कंवल सिंह खुद को एके 47 भी बुलाता है। एके 47 सिमृत से शादी करना चाहता है लेकिन सिमतृ उससे नफरत करती है। जब पहली बार कैप्टन करनवीर सिंह सिमृत को बचाता है तो सिमृत करन को कहती है कि वो उसके साथ तबतक रहे जब तक वो पठानकोट से बाहर नहीं निकल जाती और इन गुंडों से उसका पीछा नहीं छुट जाता। करन भी सिमृत के साथ साथ रहता है। और गुंडों से सिमृत को बचाता रहता है। सिमृत के पूछने पर कि वो क्यों इस लड़ाई में उसका साथ दे रहा है करन कहता है कि वो गंदगी साफ करना चाहता है। एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हुए सिमृत और करन एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। एके 47 के गुंडे जब करन और सिमृत को पकड़ लेते हैं तो करन को गोली मारकर नदी में फेंक देते हैं। दूसरी तरफ सिमृत के माता-पिता को भी एके 47 के गुंडे मार देते हैं। सिमृत करन का इंतजार करती है। और कहती है कि वो कोई काम अधूरा नहीं छोड़ता। करन दोबारा से वापस आता है और एके 47 के गुंडों को मारकर बदला लेता है। एके 47 को भी मारकर करन सिमृत को पूरी तरह से इन गुंडों से छुटकारा दिला देता है। करन को पुलिस पकड़कर जेल ले जाती है और वो सिमृत से वापस आने का वादा करते चला जाता है।
कैप्टन करनवीर डोगरा जो कि एक कमांडो है जो कि एक दिन गलती से चीन की सीमा पार करके वहां पहुंच जाता है। चीनी उसे पकड़ लेते हैं और उसे मुजरिम बनाने की कोशिश करते हैं। करन पूरी कोशिश करता है कि वो चीनी सीमा के लोगों को यकीन दिला सके कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया है और वो गलती से वहां आ गया है लेकिन करन की बात पर चीनी सीमा के लोग यकीन नहीं करते। वो लोग सोचते हैं कि करन को वो अगर हिन्दुस्तानी जासूस के तौर पर पेश करें तो हिन्दुस्तानियों को नीचा दिखा सकते हैं। दूसरी तरफ हिन्दुस्तानी आर्मी टीम सोचती है कि करन की बात नहीं सुनी जाएगी इसलिए वो करन का पूरा आर्मी रिकॉर्ड मिटा देते हैं। और कहते हैं कि करन नाम का कोई कमांडो है ही नहीं। करन किसी तरह चीनियों के कब्जे से निकलक भारत आ जाता है। वो सीधे पठानकोट पहुचंता है जहां उसकी मुलाकात सिमृत (पूजा चोपडा़) से होती है। सिमृत गुंडों से खुद के बचाती हुई भाग रही होती है कि तभी करन उसे मिलता है और वो करन से खुद को बचाने के लिए कहती है। करन गुंडो से सिमृत को बचाता है। करन को नहीं पता कि जो गुंडे सिमृत के पीछे पड़ें हैं वो उस क्षेत्र के सबसे बड़े गुंडे अमृत कंवल सिंह के गुंडे हैं। अमृत कंवल सिंह खुद को एके 47 भी बुलाता है। एके 47 सिमृत से शादी करना चाहता है लेकिन सिमतृ उससे नफरत करती है। जब पहली बार कैप्टन करनवीर सिंह सिमृत को बचाता है तो सिमृत करन को कहती है कि वो उसके साथ तबतक रहे जब तक वो पठानकोट से बाहर नहीं निकल जाती और इन गुंडों से उसका पीछा नहीं छुट जाता। करन भी सिमृत के साथ साथ रहता है। और गुंडों से सिमृत को बचाता रहता है। सिमृत के पूछने पर कि वो क्यों इस लड़ाई में उसका साथ दे रहा है करन कहता है कि वो गंदगी साफ करना चाहता है। एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हुए सिमृत और करन एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। एके 47 के गुंडे जब करन और सिमृत को पकड़ लेते हैं तो करन को गोली मारकर नदी में फेंक देते हैं। दूसरी तरफ सिमृत के माता-पिता को भी एके 47 के गुंडे मार देते हैं। सिमृत करन का इंतजार करती है। और कहती है कि वो कोई काम अधूरा नहीं छोड़ता। करन दोबारा से वापस आता है और एके 47 के गुंडों को मारकर बदला लेता है। एके 47 को भी मारकर करन सिमृत को पूरी तरह से इन गुंडों से छुटकारा दिला देता है। करन को पुलिस पकड़कर जेल ले जाती है और वो सिमृत से वापस आने का वादा करते चला जाता है।