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EXCLUSIVE INTERVIEW: हम आपके हैं कौन, गोविंदा नाम मेरा और इंडस्ट्री में 35 सालों के सफर पर रेणुका शहाणे
Renuka Shahane: "फिल्म इंडस्ट्री में एक अनुशासन आया है। जिस तरह के माहौल में आज हम काम करते हैं, वो बहुत प्रेरित करने वाला है। हमारे जमाने में सेट पर महिलाएं नहीं दिखती थीं, आज हर विभाग में महिलाएं हैं। एक- दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ा है। जेंडर इक्वालिटी बढ़ी है," अभिनेत्री रेणुका शहाणे कहती हैं, जो शशांक खेतान निर्देशित फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा' में अहम भूमिका निभा रही हैं।
धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा' में रेणुका शहाणे के साथ विक्की कौशल, भूमि पेडनेकर और कियारा आडवाणी जैसे कलाकार हैं। फिल्म 16 दिसंबर से डिज्नी +हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है।
फिल्म रिलीज के मौके पर फिल्मीबीट ने रेणुका शहाणे से खास बातचीत की है, जहां उन्होंने अपनी आगामी फिल्मों से लेकर 'हम आपके हैं कौन' के ऑडिशन तक की सारी बातें शेयर की हैं। 2022 में रेणुका शहाणे ने मनोरंजन जगत में 35 साल पूरे किये हैं। अभिनेत्री ने अपने इस सफर पर बात करते हुए कहा, "खुशनसीब हूं कि दर्शकों से इतना प्यार मिला। मैंने इस सफर से बहुत कुछ सीखा है और अभी भी सीख रही हूं।"
यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-
Q. धर्मा प्रोडक्शन के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?
A. धर्मा प्रोडक्शन के साथ काम करना बहुत ही कंफर्टेबल था। जिस तरह वो सभी कलाकारों को सम्मान से ट्रीट करते हैं और सबकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं, वो बहुत ही अच्छा लगता है। इस पूरी यूनिट के साथ काम करना बहुत दिलचस्प रहा। शशांक भी बतौर डायरेक्टर बहुत चिल रहते हैं। वो काफी सलीके से सेट पर सबकुछ व्यस्थित रखते हैं। एक एक्टर को उनके साथ किसी बात की टेंशन नहीं होती है। आपको सिर्फ जाना है, अपना काम करना है और घर वापस आना है। धर्मा हमारे इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउस में से एक है और उनका जो अनुभव है, वो उनके काम में दिखता है। जिस तरह से वो फिल्में बनाते हैं, उसमें भी एक दिलदारी है। अपने कलाकारों को इज्जत से ट्रीट करना बहुत जरूरी है और वो मुझे यहां दिखा। यही वजह से इस फिल्म में भी सबसे अपना 100 प्रतिशत दिया है।
Q. गोविंदा नाम मेरा से कैसे जुड़ना हुआ? और अपने किरदार के बारे में कुछ शेयर करना चाहेंगी?
A. गोविंदा नाम मेरा देखा जाए तो एक एक्सपेरिमेंट है। एक क्रेजी कॉमेडी फिल्म है, इस तरह की बहुत कम कॉमेडी बनती है यहां। इसमें सभी किरदार बहुत दिलचस्प हैं और सभी के अपने अपने आर्क हैं। जितना हमें इसे बनाने में मजा आया है, उम्मीद है लोगों को देखने में भी उतना ही मजा आएगा। मैं अपने किरदार के बारे में तो ज्यादा नहीं बता पाउंगी, लेकिन मैं ये जरूर कहूंगी कि ये चुनौतीपूर्ण था.. और वो इसीलिए क्योंकि फिल्म में ज्यादातर समय मैं व्हीलचेयर पर हूं। उनका एक पास्ट भी है और वर्तमान में भी वो हैं। जैसा हम हिंदी सिनेमा में मां के किरदार को देखते आए हैं, ये उसके बिल्कुल विपरीत है। वो विचित्र सी मां है।
Q. विक्की, कियारा, भूमि जैसे कलाकारों के साथ ऑन सेट कैसी बॉण्डिंग रही?
A. जब भी मैं युवा कलाकारों के साथ काम करती हूं, तो मुझे नई ऊर्जा मिल जाती है। विक्की, भूमि, कियारा सभी के साथ काम करना बहुत शानदार रहा। ये सभी काम के प्रति इतने समर्पित हैं, उनकी जो लगन है, वो देखना बहुत ही अच्छा लगता है। ऐसा नहीं है कि वो सोचते हैं कि हम तो स्टार बन गए हैं.. तो घूम रहे हैं सिर्फ। वो सभी बहुत ही संजीदगी से और मेहनत से काम करते हैं। साथ ही दूसरे कलाकारों को पूरी इज्जत देते हैं। मैं कहूंगी कि ये सब दिल छूने वाला है। इन सबके साथ काम करने में मुझे बहुत मजा आया। सयाजी शिंदे मेरे बहुत ही पुराने को-एक्टर रहे हैं, उनके साथ फिर से काम करना मजेदार रहा।
Q. आपका करियर इतना लंबा रहा है। आज किरदार के चुनाव के वक्त किन बातों का ख्याल रखती हैं?
A. मैं ये देखती हूं कि कुछ ऐसा करूं जो मैंने पहले कभी नहीं किया हो.. या यदि फिल्म कुछ नया कहना चाहती है.. तो वो मेरे लिए बहुत जरूरी है। कुछ अलग बात होनी चाहिए डायरेक्टर की सोच में, राइटर की सोच में, जो मुझे आकर्षक लगे। घिसी पिटी कहानियों में मजा नहीं आता है। तो मैं जरूर देखती हैं कि किस तरह से मेरा किरदार लिखा गया है, कहानी में उसकी क्या महत्व है।
Q. साल 1987 में टीवी सीरियल पीसी और मौसी ने आपने शुरुआत की थी। लिहाजा, मनोरंजन जगत में आपको 35 साल पूरे हो चुके हैं। इस सफर को किस तरह से देखती हैं और कौन सी फिल्में या शोज आज भी आपके दिल के करीब है?
A. (हंसते हुए) हां, 35 साल हो गए। पीसी और मौसी से मेरी शुरुआत हुई थी तो वो शो तो मेरे दिल के करीब रहा है। उसमें मुझे फरीदा जलाल जी के साथ काम करने का मौका मिला। वो इतनी उम्दा कलाकार हैं, इतनी प्यारी है, उनके साथ काम करके बहुत कुछ सीखने को मिला। साथ ही मुझे लगता है कि जब आपकी उम्र कम होती है तो पता नहीं कहां से बहुत कॉफिडेंस आ जाता है। आज मुझे नर्वसनेस होती है, लेकिन उस जमाने में कुछ नहीं सोचती थी। जैसे मैं घर पर रहती थी, वैसे ही सेट पर भी होती थी। फिर लाइफलाइन में तन्वी आज्मी, इला अरूण, पंकज कपूर.. इन सबके साथ काम करने का मौका मिला। मैं उसमें असिस्टेंट भी थी, तो वो एक अलग अनुभव रहा, जहां से मेरे दिल में ये बात आई थी कि मुझे डायरेक्शन करना चाहिए। फिर काम चलता गया। दिल में खास जगह बनाने की बात करें तो वो "सुरभि" और "हम आपके हैं कौन" हैं। सुरभि की वजह से मेरा नाम घर घर में पहुंचा। दूरदर्शन के जरीए लोग मुझे जानने लगे। ज्यादातर क्या होता है कि यदि आप टेलीविजन करते हो तो आप अपने किरदारों के नाम से जाने जाते हो.. लेकिन सुरभि की वजह से मैं अपने नाम से पहचानी जाने लगी। वो बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए। फिर हम आपके हैं कौन आई और जिस तरह से विश्व भर में वो फिल्म सफल रही, उससे मिली पहचान आज तक मेरे साथ है। टेलीविजन में मैंने बहुत अलग अलग तरह के किरदार निभाए हैं, वो सब मेरे दिल के बहुत करीब है। अब उम्मीद है "गोविंदा नाम मेरा" के साथ मेरी एक अलग जर्नी शुरु हो जाएगी।
Q. खास बात है कि आपके निभाए किरदार आज भी लोगों को याद हैं..
A. बिल्कुल, और इसे में ईश्वर का आशीर्वाद ही कहूंगी। बहुत कम ऐसा होता है। जब आप स्क्रीन पर नहीं दिखते हो, तो लोग आपको भूल जाते हैं। लेकिन ये मेरे लिए एक सकारात्मक पक्ष रहा है कि लोगों का प्यार हमेशा बरकरार रहा है। जो काम मैंने किये हैं, वो आज भी उन्हें याद हैं। वो मुझे देखना पसंद करते हैं। मुझे बोलते भी हैं कि आपको और फिल्में करनी चाहिए।
Q. 35 वर्षों इंडस्ट्री के काम करने की प्रक्रिया में आपने क्या बदलाव महसूस किया?
A. मुझे लगता है कि काम करने के तरीके में बहुत सुधार हुआ है। इंडस्ट्री में एक डिसिप्लिन आ गया है। पहले तो विश्वास के ऊपर ही काम होता था। हमारे कोई कॉन्ट्रैक्ट्स वगैरह नहीं होते थे। सिर्फ शब्दों का मान होता था और उसे पूरा भी करते थे। लेकिन आजकल मुझे लगता है कि डिसिप्लिन होना भी बहुत जरूरी है। जिस के माहौल में आज हम काम करते हैं, वो बहुत प्रेरित करने वाला है। सेट पर इतनी सारी महिलाएं दिखती हैं। जो हमारे जमाने में बिल्कुल नहीं दिखती थीं क्योंकि इंडस्ट्री को लेकर लोगों के मन में बहुत कुविचार थे। लेकिन अब इंडस्ट्री खुल चुकी है। एक- दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ा है। जेंडर इक्वालिटी बढ़ी है। यहां तक कि जिस तरह के विषय हम आज दर्शकों के सामने ला रहे हैं, इतनी व्यापक है, जो हम कभी सोच भी नहीं सकते थे।
Q. मनोरंजन की दुनिया में आपकी शुरुआत कैसे हुई थी?
A. मैं सत्यदेव दुबे जी के साथ थियेटर करती थी। उस वक्त एक हॉबी ही थी। तो पीसी और मौसी के राइटर- डायरेक्टर गुलन कृपलानी और जयंत कृपलानी के साथ सत्यदेव दुबे जी का जुड़ाव था। जब उन्हें मेरे बारे में पता चला तो उन्होंने मेरा हिंदी रीडिंग लिया। फिर मुझे और पंकज बेरी को कास्ट कर लिया, फरीदा जी के साथ। और एक बार जब आप एंट्री ले लेते हो, तो फिर आगे वर्ड ऑफ माउथ से काम मिलती जाती है। जैसे सर्कस मुझे वर्ड ऑफ माउथ से ही मिली थी। अमोल गुप्ते जी ने कभी मुझे देखा नहीं था, लेकिन उन्हें मेरे बारे में किसी किसी के जरीए पता चला था। फिर उन्होंने अजीज मिर्जा को बताया। उसके बाद अजीज सर ने मुझे ऑफिस बुलाया, फिर मेरी रीडिंग ली उस किरदार के लिए और मुझे वो सीरियल मिली। तो बस इसी तरह से सफर आगे बढ़ता गया। हालांकि प्रोफेशन के तौर पर मैंने एक्टिंग को तब लिया, जब सर्कस खत्म हो गया था। उससे पहले मैं पढ़ाई के साथ साथ एक्टिंग कर रही थी।
Q. 'हम आपके हैं कौन' आप तक कैसे पहुंची?
A. पहले तो सूरज जी को मालूम नहीं था कि रेणुका कौन है। उन्होंने मेरा काम नहीं देखा था। लेकिन एक ही दिन में उन्हें तीन लोगों ने मेरा नाम सुझाया। एक थे जयंती दादा, जो राजश्री प्रोडक्शंस के मेकअप मैन हैं, दूसरे उनके प्रोडक्शन मैनेजर थे और तीसरे थे उनके आर्ट डायरेक्टर। फिर सूरज जी को लगा कि ये लड़की आखिर है कौन! तब उन्होंने सुरभि देखा, सर्कस देखा। वो फिर भी विचार कर रहे थे क्योंकि फिल्म में माधुरी की बड़ी बहन का रोल था, तो चेहरे पर थोड़ी मैच्योरिटी चाहिए थी। फिर उन्होंने मुझे बुलाया, ऑडिशन लिया और फिर फिल्म के लिए फाइनल कर लिया।
Q. आज जब 'हम आपके हैं कौन' के बारे में सोचती हैं तो क्या याद आता है?
A. सूरज जी के work ethics की याद आती है। जिस सम्मान के साथ वो सबके साथ काम करते थे। बिना कभी आवाज ऊंची किये, सबके साथ प्यार से पेश आते थे। जैसा माहौल हमें उस सेट पर मिला, वही फिल्म में रिफ्लेक्ट होकर दिखता है। सूरज ही नहीं, बल्कि राजश्री प्रोडक्शन में सभी लोग बहुत अच्छे हैं। शुरुआती दौर में ही इन जैसे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, वो मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। लेकिन फिर बाद में मैं हर किसी को उनके साथ कंपेयर करती थी, तो निराशा होती थी। राजश्री ने मेरी अपेक्षाएं बढ़ा दी थी। इसीलिए उसके बाद मैंने फिल्मों में बहुत कम ही काम किया और टेलीविजन की ओर आ गई।
Q. आपने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा है। उसका अनुभव कैसा रहा?
A. बिल्कुल अलग प्रोसेस है वो। एक एक्टर के तौर पर आप बहुत सारे लोगों पर निर्भर करते हो, लेकिन बतौर डायरेक्टर आप कप्तान होते हैं। मुझे लगता है कि यदि लोगों को फिल्म पसंद आई तो उसका श्रेय आपको जाता है, यदि नहीं पसंद आई तो खामियां भी आपकी ही हैं। डायरेक्शन की जिम्मेदारी मुझे बहुत अच्छी लगती है। एक आइडिया से लेकर पूरी फीचर फिल्म बनाने तक का सफर मुझे बहुत दिलचस्प और संतोषप्रद लगता है।
Q. कभी आपको और आशुतोष (राणा) सर को स्क्रीन शेयर करते देख पाएंगे?
A. (हंसते हुए) ये हमारा भी सपना ही है कि हम कभी एक साथ स्क्रीन शेयर करें। यदि कुछ बेहतरीन, कुछ अलग तरह की कहानी मिले.. जिससे दोनों खुश हों, तो क्यों नहीं।
Q. जाते जाते आने वाली फिल्में और शोज के बारे में कुछ शेयर करें?
A. एक मराठी वेब सीरीज और एक हिंदी फीचर फिल्म है, जिस पर मैंने काम किया है, वो अगले साल (2023) रिलीज होगी। इसके अलावा दो स्क्रिप्ट पर मैं अपना काम कर रही हूं, यदि प्रोड्यूसर मिल जाए तो वो अगले साल फ्लोर पर ले आउंगी।