रईस (2016)(U/A)
Release date
25 Jan 2016
genre
रईस कहानी
फिल्म रईस 1980 के दशक में गुजरात आधारित यह ऐक्शन-थ्रिलर फिल्म एक ऐसे शराब तस्कर की कहानी है, जिसके धंधे को एक सख्त पुलिस अधिकारी ने चौपट कर दिया। क्सेल और रेड चिलीज एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित यह फिल्म 25 जनवरी 2017 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई.
फिल्म की कहानी
कहानी गुजरात के फतेहपुर की है जहां फिल्म की शुरूआत होती है एक छोटे बच्चे रईस आलम से जो गरीबी के कारण शराब तस्करी में आ जाता है। स्कूल में उसे ब्लैकबोर्ड पर पढ़ने में दिक्कत होती है।पड़ोस का डॉक्टर उसे चश्मा लेने की सलाह देता है। चश्मा पहनने के बाद रईस आलम हर किसी को वार्निंग देता है 'बैट्री नहीं बोलने का'।शराब तस्करी के लिए पड़े छापे में उसकी अम्मी उसे बचाने जाती है और होलती हैं 'कोई धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता'। बस इसको रईस अपनी जिंदगी का मूलमंत्र बना लेता है। इसके बाद रईस शराब के बिजनस में अपने दोस्त सादिक के साथ आ जाता है और शराब तस्कर के बादशाह जयराज सेठ का दायां हाथ बन जाता है और 'बनिये का दिमाग और मियांभाई की डेयरिंग' को सब जानते हैं। जैसे जैसे समय बीतता है रईस अपना खुद का बिजनस शुरू करना चाहता है। सादिक (मो.जिशान अयूब) रईस का बेस्ट फ्रेंड है। रईस अपने Empire का बॉस बन जाता है। पुलिस, नेता हर किसी से उसकी सांठ गांठ है और उसका काम होता रहता है। लेकिन वो साथ ही साथ देसी रॉबिनहुड भी है। चाहे उसके पड़ोसी हो, मोहल्ले वाले या कोई और वो कभी मदद करने से हिटकिचाता नहीं है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसकी मुलाकात इंस्पेकटर जयदीप मजुमदार से होती है जिसका ट्रांसफर रईस के इलाके में होता है।जयदीप मजुमदार का एक ही इरादा होता है कि रईस के बिजनस को मिट्टी में मिला देना है। उसे आप कहते सुनेंगे कि 'रईस का और मेरा रिश्ता बड़ा अजीब है..पास रह नहीं सकता और साला दूर जाने नहीं देता'। इसके बाद फिल्म चुहे-बिल्ली का खेल शुरू होता है और अंत क्या होता है ये आपके लिए सीक्रेट रखना ही बेहतर होगा।
कहानी गुजरात के फतेहपुर की है जहां फिल्म की शुरूआत होती है एक छोटे बच्चे रईस आलम से जो गरीबी के कारण शराब तस्करी में आ जाता है। स्कूल में उसे ब्लैकबोर्ड पर पढ़ने में दिक्कत होती है।पड़ोस का डॉक्टर उसे चश्मा लेने की सलाह देता है। चश्मा पहनने के बाद रईस आलम हर किसी को वार्निंग देता है 'बैट्री नहीं बोलने का'।शराब तस्करी के लिए पड़े छापे में उसकी अम्मी उसे बचाने जाती है और होलती हैं 'कोई धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता'। बस इसको रईस अपनी जिंदगी का मूलमंत्र बना लेता है। इसके बाद रईस शराब के बिजनस में अपने दोस्त सादिक के साथ आ जाता है और शराब तस्कर के बादशाह जयराज सेठ का दायां हाथ बन जाता है और 'बनिये का दिमाग और मियांभाई की डेयरिंग' को सब जानते हैं। जैसे जैसे समय बीतता है रईस अपना खुद का बिजनस शुरू करना चाहता है। सादिक (मो.जिशान अयूब) रईस का बेस्ट फ्रेंड है। रईस अपने Empire का बॉस बन जाता है। पुलिस, नेता हर किसी से उसकी सांठ गांठ है और उसका काम होता रहता है। लेकिन वो साथ ही साथ देसी रॉबिनहुड भी है। चाहे उसके पड़ोसी हो, मोहल्ले वाले या कोई और वो कभी मदद करने से हिटकिचाता नहीं है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसकी मुलाकात इंस्पेकटर जयदीप मजुमदार से होती है जिसका ट्रांसफर रईस के इलाके में होता है।जयदीप मजुमदार का एक ही इरादा होता है कि रईस के बिजनस को मिट्टी में मिला देना है। उसे आप कहते सुनेंगे कि 'रईस का और मेरा रिश्ता बड़ा अजीब है..पास रह नहीं सकता और साला दूर जाने नहीं देता'। इसके बाद फिल्म चुहे-बिल्ली का खेल शुरू होता है और अंत क्या होता है ये आपके लिए सीक्रेट रखना ही बेहतर होगा।
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