छपाक कहानी
छपाक वर्ष 2020 में रिलीज होने वाली है बॉलीवुड सामाजिक ड्रामा है, जिसका निर्देशन मेघना गुलजार ने किया हैं। फिल्म में दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैस्सी मुख्य भूमिका में नजर आयेंगे।
फिल्म देश में फैली हुई एसिड अटैक की समस्या को देश की सबसे बड़ी रोल मॉडल लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी के ज़रिए बताएगी। फिल्म बायोपिक न होकर, केवल एक किरदार के जीवन से प्रेरित बताई जा रही है।
फिल्म छपाक की कहानी मालती(दीपिका पादुकोण) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसपे नई दिल्ली की एक सड़क पर एसिड अटैक हो जाता है। फिल्म 'छपाक' हमें, भारत में एसिड हमले से बचने के, सफर पर ले जाती है। तेज़ाब से चेहरा पूरी तरह जलने के बाद, मालती के चेहरे को ट्रांसप्लांट किया जाता है और सामने आता है, एक नया और बेहद भयानक चेहरा, जिसे देख कर मालती ज़ोर से चीख़ती है। इसके बाद मालती की ज़िन्दगी में क्या बदलाव आता है?, वह कैसे इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ती है?... फिल्म इसी पे आधारित है।
चेहरा बदसूरत हो जाने के बाद मालती कहती है, "नाक नहीं है, कान नहीं है, झुमके कहाँ लटकाऊँ ?" यह बात, वह अपनी माँ से कहती है...
और वो काफी ज्यादा हारी हुई लगती है।
फिल्म में दीपिका का एक डायलाग है,"कितना अच्छा होता अगर एसिड बिकता ही नहीं, अगर मिलता ही नहीं तो, फेंकता भी नहीं" यह डायलाग बड़ा ही इमोशनल कर देने वाला है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ, मालती अपने इंसाफ की लड़ाई लड़ती है, जिसमे वह जीतती भी है, और इसी के साथ काफी जोश से भरा एक डायलाग भी सुनाई पड़ता है, "उन्होंने मेरी सूरत बदली है, मेरा मन नहीं" जो काफी ज्यादा हिम्मत को दर्शा रहा है, और एक सोशल मैसेज भी दे रहा है के, असली ख़ूबसूरती चेहरे से नहीं, मन से होती है।
कहानी
जिंदगी की जरूरतों से लड़ती मालती (दीपिका पादुकोण) असिड अटैक पीड़िता है और एक अच्छी नौकरी की तलाश में है। वह जानती है कि वह मेहनती और प्रतिभावान है, दुनिया मानती है कि वह बहुत कुछ कर सकती है। लेकिन उसे मौका देने से कतराती है। क्यों? क्योंकि उसका चेहरा एसिड फेंके जाने की वजह से विकृत है। वह समाज के खूबसूरती के मापदंड पर खरी नहीं उतरती। ऐसे में उसकी मुलाकात होती है अमोल (विक्रांत मेसी) से, जो पत्रकार से समाज सेवक बन चुका है और एक एनजीओ चलाता है। अमोल की एनजीओ एसिड अटैक पीड़िताओं का इलाज कराती है और बेहतर जिंदगी देने की कोशिश करती है। मालती इस एनजीओ से जुड़ जाती है। साथ ही साथ खुद पर हुए हमले के खिलाफ आवाज उठाती है और बेबाकी से अपनी लड़ाई लड़ती है। वह तेज़ाब बैन कराने के लिए कानून में बदलाव की भी मांग करती है। अपने PIL को लेकर मालती देशभर में चर्चित है। मालती 12वीं की छात्रा रहती है, जब पड़ोस का एक लड़का बशीर खान उसे शादी के लिए प्रपोज करता है। मालती का इंकार सुनते ही वह बदला लेने की ठानता है और एक दिन रास्ते में मालती पर तेज़ाब से हमला कर देता है। एक पल में मालती की ज़िंदगी बदल जाती है। एक हंसती खेलती, सपने देखती लड़की से.. मालती किस तरह एक बिलखती पीड़िता और फिर चुनौतियों का सामना करते करते आत्म विश्वासी और लाखों के लिए प्रेरणा बन जाती है.. यह सफर देखने लायक है।
यह फिल्म उन तमाम लड़कियों को हिम्मत देती है, जिनके ऊपर एसिड अटैक हुआ है।
फिल्म छपाक 10 जनवरी को बड़े परदे पर रिलीज़ हो रही ही जिसके चलते दीपिका छपाक के प्रमोशन को लेकर काफी व्यस्त चल रही है।
दिनांक 7, मंगलवार रात को दीपिका पादुकोण ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कैंपस में पहुंचकर सबको हैरान कर दिया। दीपिका ने जेएनयू में हमले के विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। दीपिका यहां करीब 10 मिनट तक रूकीं। इस कदम पर जहां कई लोगों ने दीपिका की तारीफ की और उनके हिम्मत की दाद दी। वहीं एक वर्ग दीपिका के खिलाफ भी खड़ा है.. और उनकी फिल्में बायकॉट करने की भी बातें कर रहा है।
सोशल मीडिया पर जहां विरोध के लिए #BoycottChhapaak ट्रेंड किया जाने लगा.. वहीं समर्थकों की ओर से #ISupportDeepika भी ट्रेंड किया जा रहा है..
कई बॉलीवुड सितारों ने सोशल मीडिया के जरिए दीपिका पादुकोण के इस कदम को सराहा है। अनुराग कश्यप, स्वरा भास्कर, गौहर खान, अनुभव सिन्हा आदि जैसे सितारे भी शामिल हैं।