द बर्निंग ट्रेन (1980)
Release date
28 Mar 1980
genre
द बर्निंग ट्रेन कहानी
द बर्निंग ट्रैन 1980 में रिलीज़ हुयी एक एक्शन, थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन रवि चोपड़ा ने किया है। इस फिल्म में धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, परवीन बॉबी, जीतेन्द्र और नीतू सिंह मुख्य किरदारों में नज़र आएं थे। यह उस समय की एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। इस फिल्म का संगीत आर डी बर्मन द्वारा दिया गया है।
कहानी
ये कहानी एक सुपर फ़ास्ट ट्रैन को बनाने की है, जिसके द्वारा दिल्ली से मुंबई केवल 14 घंटो में पहुंचा जा सके। अशोक (धर्मेंद्र), विनोद (विनोद खन्ना) और रणधीर (डैनी डेन्जोंगपा) का बचपन से सिर्फ एक सपना है, भारत में एक सुपर फ़ास्ट ट्रैन को बनाना। बड़े होने के बाद उन्हें एक दिन यह पता चलता है की भारतीय रेलवे ने सुपर फ़ास्ट ट्रैन बनाने की अनुमति देदी है, जिसके बाद सब अपना अपना ट्रैन मॉडल भारतीय रेलवे में भेजते है जिसमे से विनोद का मॉडल चुन लिया जाता है। रणधीर को इस बात से गुस्सा आ जाता है और वो बदला लेने की सोचता है।
विनोद को ट्रैन बनाते-बनाते ६ साल हो जाते है, ट्रैन को पूरा करने के बाद , ट्रैन पहली बार मथुरा से, दिल्ली से मुंबई जाने के लिए निकलती है, तब अशोक को रणधीर के ट्रैन में ब्लास्ट और ब्रेक फ़ैल होने के बारे में पता चलता है, वह चिरंत विनोद को यह बात बताता है लेकिन धमाका हो चूका रहता हैं।
रेलवे में काम करने वालों को ये बात पता चलती है तो उनके होश उड़ जाते हैं। राकेश, जो मुंबई में रहता है, वो ट्रेन को धीमा करने की कोशिश करते रहता है। वहीं अशोक और राकेश की मदद से विनोद एक कार से ट्रेन में जाने की कोशिश करता है। विनोद, अशोक और रवि उस इंजन में आ जाते हैं और वहाँ रणधीर को देख कर हैरान रह जाते हैं। रणधीर उन्हें मारने की कोशिश करते रहता है, पर मारपीट के दौरान वो ट्रेन से गिर जाता है। वे लोग इंजन में देखते हैं कि सारा सिस्टम तबाह हो चुका है और उसे पूरी तरह उड़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। रवि सारे यात्रियों को सीट में अच्छी तरह कस कर बैठने बोलता है, ताकि बम के धमाके के कारण उन्हें चोट न लग जाये। इसके बाद वे लोग डाइनामाइट से विस्फोट करते हैं। आखिरकार इंजन धीमा होता और सारे यात्री बॉम्बे रेलवे स्टेशन में उतर है।