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    मर्द को दर्द नहीं होता कहानी

    'मर्द को दर्द नहीं होता' एक बॉलीवुड एक्शन-कॉमेडी है, जिसका निर्देशन वसन बाला ने किया है। फिल्म में अभिमन्यु दस्‍सानी और राधिका मदान मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसे  रोनी स्क्रूवाला द्वारा निर्मित द्वारा निर्मित किया गया है और इसका संगीत करण कुलकर्णी ने तैयार किया है।

    'हर माइंड ब्लोइंग कहानी के पीछे ना कुछ बहुत बुरे फैसले होते हैं'- सूर्या (अभिमन्यु दस्सानी) के इस डायलॉग के साथ फिल्म की शुरुआत होती है। कहानी फ्लैशबैक में जाती है जहां पता चलता है कि सूर्या Congenital Insensitivity to Pain (CIP) से ग्रसित है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिससे उसको किसी भी प्रकार का दर्द या चोट महसूस नहीं होता।

     जहां सूर्या के पिताजी उसे लेकर अति संवेदनशील होते हैं, वहीं उसके दादाजी (महेश मांजरेकर) उसे ब्रूसली से लेकर सुपरहीरोज की फिल्में दिखाते हैं। लिहाजा सूर्या के अंदर बचपन से ही सुपरहीरो बनने की चाहत पैदा हो जाती है। लेकिन सूर्या के लिये यह सब इतना आसान नहीं है। फिर भी सूर्या किसी तरह से अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाता है और मूसीबतों से जूझते हुए आगे बढ़ता है। 

    फिल्म की शुरुआत में ही दिखाया गया है कि कुछ चोरों की वजह से सूर्यां के मां की जान चली जाती है। जिसके कारण बड़े होने पर सूर्या के जीवन का उद्देश्य बुराई को खत्म करना होता है। ऐसे में उसकी मुलाकात कराटे मणि (गुलशन देवैया) से होती है और वो उन्हें अपना गुरु मान लेता है। मणि सूर्या को उन चोरों तक पहुंचने में मदद करता है, जो उसकी मां के मौत के जिम्मेदार होते हैं।  वहीं, साथ ही साथ इस दौरान सूर्या की मुलाकात अपनी पुरानी दोस्त सुप्रि (राधिका मदान) से होती है। बचपन में जब स्कूल के बच्चे सूर्या का मजाक उड़ाया करते थे तो सुप्रि ही उसके साथ खड़ी होती थी। लेकिन किसी गलतफहमी की वजह से दोनों दूर हो जाते हैं। बहरहाल, एक बार फिर ये एक होते हैं और मणि की मदद से अपने मंजिल की ओर बढ़ते हैं।

     
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