गुलाल (2009)(U/A)
Release date
2009
genre
गुलाल कहानी
गुलाल एक बॉलीवुड सोशल ड्रामा है, जिसका निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया है। फिल्म में दीपक डोबरियाल, के के मेनन आदि मुख्य भूमिका में नजर आये। यह फिल्म एक तरफ स्वार्थ, धोखाधड़ी, झूठी राजपूती शान और राजनीति के चेहरे को बेनकाब करती है तो दूसरी ओर दुनिया की खूबसूरती में यकीन रखने वाले कुछ भोले-भाले लेकिन सच्चे चेहरों को भी सामने लाती है जो नहीं चाहते हुए भी राजनीति के खेल का मोहरा बन जाते हैं और जरूरत पड़ने पर अपने हुक्मरानों पर पलटवार भी करते हैं और हमला भी ऐसा कि बचने की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती।
फिल्म की कहानी
कहानी: दिलीप सिंह ( राज सिंह चौधरी) राजपुर में कानुन की पढाई करने आता है। उसकी मुलाकात रनंजय सिंह रंसा (अभिमन्यू सिंह), जडवाल (पंकज झा), अनुजा (जेसी रंधावा) किरन (आएशा मोहन) और डुके बाना (के के मेनन) से होती है। डुके बाना रनंजय सिंह रंसा को राजपुताना दल की ओर से कालेज चुनाव में लड़ने के लिए प्रेरित करता है। रंसा और किरन एक दूसरे के प्रतिद्धंदी के रूप में सचिव के पद के लिए लड़ते है। दोनों दलो में घमासान लड़ाई होती है जिसका नतीजा रंसा के चुनाव मैदान से हटने के रूप में आता है। जिसका वो काफी विरोध करता है। इस विरोध के कारण करन (आदित्य श्रीवास्तव) के हाथो उसकी हत्या हो जाती है। अब उसके स्थान पर दिलीप को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया जाता है, वह चुनाव जीत जाता है। चुनाव हारने के बाद किरन दिलीप से नजदीकी बनाने की कोशिश करती है। उसके साथ प्रेम का इजहार करती है और उसे पूरी तरह से अपने उपर आश्रित कर लेती है। अब राज किरन के हाथों की कठपुतली बन चुका है जिसकी डोर डुके बाना के हाथ में है। इन सबके पीछे डुके बाना का हाथ होता है जो कि राजपुताना आन्दोलन को नेतृत्व कर रहा होता है। वह राज्य में स्वतंत्र रूप से राजपूतों का राज्य चाहता है। दिलीप इन सब बातो को जान जाता है। इस बीच किरन सचिव का पदभार सम्हाल लेती है और दिलीप से दूरी बरतने लगती है। इस प्रक्रिया में वह डुके के करीब जाती है। इन सब बातों से दिलीप को बहुत निराशा हाथ लगती है। वह एक बदमिजाज और हिंसक व्यक्ति में तब्दील हो जाता है।