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    राधे श्याम फिल्म रिव्यू: बिल्कुल बोर करती है प्रभास और पूजा हेगड़े की भव्य रोमांटिक कहानी

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    Rating:
    1.5/5

    निर्देशक- राधा कृष्ण कुमार
    कलाकार- प्रभास, पूजा हेगड़े, सत्यराज, भाग्यश्री

    "प्यार तुम्हें ढूंढ़ लेगा, लेकिन उसे पाने के लिए तुम्हें उसी से लड़ना होगा", प्रेरणा की हाथों की लकीरों को देखते हुए विक्रमादित्य उसे बताता है। फिल्म की कहानी ज्योतिष विद्या से जुड़ते हुए विज्ञान की बात करती है और बताती है कि विज्ञान कभी भी 100 प्रतिशत सटीक होता है। लोगों के पास अपने कर्म के जरीए अपने भाग्य को बदलने का हमेशा एक मौका होता है। विक्रमादित्य के गुरु महान ज्योतिषी उससे कहते हैं- "99 प्रतिशत लोग हमारी भविष्यवाणी पर विश्वास करते हैं। लेकिन एक प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जो अपनी किस्मत खुद लिखते हैं।"

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    [यहां पढ़ें- द कश्मीर फाइल्स फिल्म रिव्यू]

    विक्रमादित्य, एक विश्वप्रसिद्ध हस्तरेखाविद् (palmist) है। जिससे बड़े से बड़ा व्यक्ति भी भविष्य जानने की चाह रखता है, उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी भी। उसकी भविष्यवाणी कभी गलत नहीं होती है। ऐसे में वह अपनी प्रेमिका प्रेरणा के एक लंबे और उज्ज्वल जिंदगी की भविष्यवाणी करता है। लेकिन क्या पहली बार उसकी भविष्यवाणी गलत होने वाली है? क्या नियति ने कुछ और ही सोच रखा है?

    कहानी

    कहानी

    गुरु परमहंस विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं, जो किसी इंसान का भूत, भविष्य पढ़ सकते हैं। एक वैदिक स्कूल चलाते हैं और उनका छात्र रहा है विक्रमादित्य। उनसे मिलने आए कुछ वैज्ञानिकों को वह बताते हैं कि विक्रमादित्य 'ज्योतिष विद्या का आइंस्टीन' है और उसकी भविष्यवाणियां कभी गलत नहीं होती हैं। कहानी दर्शकों को सीधे विक्रमादित्य से मिलती है, जो भारत छोड़कर अब यूरोप में रहता है। उसका कहना है कि उसके हाथों में प्यार की रेखा नहीं है। इसीलिए वह प्यार नहीं, सिर्फ फ्लर्ट करता है। लेकिन जल्द ही उसकी मुलाकात होती है प्रेरणा से.. और ना चाहते हुए भी किस्मत उन्हें पास ले आती है। दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगते हैं, लेकिन दोनों ही जानते हैं कि उनके प्यार का कोई भविष्य नहीं। दोनों ने अपनी जिंदगी के कुछ राज़ छिपाकर रखे हैं। क्या भविष्य से लड़कर दोनों हमेशा के लिए साथ हो पाएंगे? इसी के गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी।

    निर्देशन

    निर्देशन

    राधा कृष्ण कुमार का निर्देशन निराश करता है। डायरेक्टर अपनी कहानी में खुद ही इतने कंफ्यूज दिखते हैं कि दर्शकों का फिल्म से जुड़ पाना असंभव है। कई दृश्य हैं जो लॉजिक से कोसों दूर हैं। फिल्म की कहानी कभी ज्योतिष विद्या के पक्ष में जाती है, कभी विपक्ष में। एक प्रेम कहानी होते हुए भी फिल्म की कहानी में या किरदारों में कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपके दिल को छू सके। निर्देशक ने क्लाईमैक्स को काफी ग्रैंड बनाया है, और वो वाकई भव्य दिखता भी है.. लेकिन किसी भव्यता का कोई तुक नहीं बैठता। यूं लगता है कि करोड़ों का बजट पानी की तरह बहाने का मिशन दिया गया हो। 140 मिनट लंबी यह फिल्म प्रभाव पैदा करने में विफल रहती है।

    अभिनय

    अभिनय

    प्रभास फिल्म में बेहद हैंडसम दिखे हैं। प्रभास और पूजा हेगड़े को फ्रेम दर फ्रेम एकदम परफेक्ट दिखाया गया है, खूबसूरत। दोनों कलाकारों ने अभिनय भी अच्छा किया है, लेकिन आपस में उनकी कैमिस्ट्री काफी सतही लगी है। निर्देशक ने उनके किरदारों में कोई गहराई नहीं रखी है। एक प्रेम कहानी से यदि आप भावनात्मक रूप से कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं, तो फिल्म वहीं की वहीं फेल जाती है। सत्यराज, सचिन खेडेकर, भाग्यश्री, कुणाल रॉय कपूर जैसे नामचीन कलाकारों को फिल्म में क्यों लिया गया था, पता नहीं। ना उन्हें कोई दमदार संवाद दिये गए, ना ठोस सीन।

    तकनीकी पक्ष

    तकनीकी पक्ष

    फिल्म को यूरोप के विभिन्न हिस्सों में शूट किया गया है, जो इसे एक भव्य रूप देता है। सिनेमेटोग्राफर मनोज परमहंस अपने कैमरे से यूरोप की खूबसूरती को बेहतरीन कैद करते हैं। फिल्म एक ख्वाब की तरह दिखती है। वीएफएक्स पर भी अच्छा काम किया गया है। लेकिन फिल्म लेखन और एडिटिंग के मामले में बहुत कमजोर है। हर किरदार में गहराई की कमी खलती है। यहां तक कि मुख्य किरदार भी काफी सतही लगते हैं। फिल्म का विषय दिलचस्प है, लेकिन कहानी इतनी बोरिंग और कंफ्यूजिंग यह फिल्म से जुड़ने का मौका ही नहीं देती है। नतीजतन फिल्म कोई प्रभाव नहीं छोड़ती है।

    संगीत

    संगीत

    फिल्म के हिंदी वर्जन का संगीत कंपोज किया है मिथुन, अमाल मलिक और मनन भारद्वाज ने। संगीत फिल्म के सकारात्मक पक्षों में है और कहानी की पृष्ठभूमि के साथ मेल खाता है। गानों को फिल्माया भी बेहद खूबसूरत अंदाज में गया है।

    देंखे या ना देंखे

    देंखे या ना देंखे

    यकीन मानिए, यदि आप प्रभास और पूजा हेगड़े के फैन हैं तो भी इस फिल्म को देखने का रिस्क ना लें। राधा कृष्ण कुमार की 'राधे श्याम' पर्दे पर भव्य और खूबसूरत दिखती है, लेकिन विषयवस्तु बहुत थकाऊ है। फिल्म की कहानी इतनी बिखरी और कमजोर है कि कोई प्रभाव पैदा नहीं करती है। फिल्मीबीट की ओर से 'राधे श्याम' को 1.5 स्टार।

    English summary
    Radhe Shyam Movie Review: Directed by Radha Krishna Kumar, this grand romantic saga is an absolutely bore. Prabhas and Pooja Hegde gives their best but cluttered script fails to create any impact. Film looks grand and beautiful on screen, but content is too tedious.
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