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    'मद्रास कैफे': बिना चूमा-चाटी के भी फिल्म चल सकती है..

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    शुक्रवार को पर्दे पर फिल्म 'मद्रास कैफे' ने संतोषजनक ओपनिंग की है, फिल्म सार्थक सिनेमा का महत्व बताती है, जिसे कि समीक्षकों का पूरा प्यार मिला है। फिल्म के बारे में बात करते हुए फिल्म की अभिनेत्री नरगिस फाखरी ने कहा कि फिल्म देश की एक सच्ची घटना पर आधारित है। जिसके बारे में लोगों को खासा पता नहीं है, बेहद संजिदा फिल्म है मद्रास कैफे, जिसे लोग अगर समझेंगे तो समझ में आयेगा।

    फिल्म रॉकस्टार के बाद फिल्म 'मद्रास कैफे' में नजर आयीं नरगिस ने कहा कि फिल्म में उनका और जॉन के बीच में एक अनोखा रिश्ता है जिसमें कोई लवसींस और लिपलॉक सीन नहीं है जो कि यह साबित करता है कि बिना लवमेंकिग सींस और इंटिमेट सींस के भी फिल्में हिट हो सकती है। मुझे खुशी है कि लोगों ने मेरे काम को फिल्म में पसंद किया है।

    जहां नरगिस ने यह बात कही है वहीं दूसरी ओर समीक्षकों का कहना है कि फिल्म सार्थक सिनेमा औऱ अर्थपूर्ण बातों को जन्मदेती है जो कि दिन प्रतिदिन बड़े हो रहे सिनेमा का उदाहरण है। भले ही फिल्म को मॉस ना मिले लेकिन फिल्म क्लास सिनेमा को जन्म देती है। फिल्म अवार्ड और लोगों के प्यार की हकदार है तो वहीं सुजीत सरकार तारीफ के पात्र है।

    मालूम हो कि लिट्टे संगठन पर बनी फिल्म 'मद्रास कैफे' के निर्माता जॉन अब्राहम और निर्देशक सुजीत सरकार है तो वहीं फिल्म में लीड रोल जॉन अब्राहम, नरगिस फाखरी और राशि खन्ना ने निभाया है।

    English summary
    Lovemaking Scenes is not the guarantee of a Film Success and Madras Cafe is the best Example of this said Nargis Fakhiri.
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