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    EXCLUSIVE INTERVIEW: मेरी लड़ाई अच्छा एक्टर बनने से ज्यादा अच्छा इंसान बनने की है - पंकज त्रिपाठी

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    अपने अभिनय से करोड़ों दिलों में जगह बनाने वाले विनम्र स्वभाव के मालिक अभिनेता पंकज त्रिपाठी अपनी आगामी फिल्म 'शेरदिल' के साथ 24 जून को सिनेमाघरों में आ रहे हैं। फिल्म को लेकर उत्साहित, अभिनेता कहते हैं, "ये कहानी बिना लाउड हुए बहुत ही दिलचस्प तरीके से इंसान, जानवर, जंगल, गांव, शहर के बीच के रिश्ते पर बात करती है।" फिल्म में पंकज त्रिपाठी के साथ सयानी गुप्ता और नीरज काबी मुख्य किरदारों में दिखेंगे।

    अपने चर्चित किरदारों के बारे में बात करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कहा, "हम एक्टर्स को किरदारों के जरिए इंसान के मनोविज्ञान को समझने का मौका मिल जाता है, जो कि बहुत कठिन होता है। कालीन भईया को जब मैं परफॉर्म करता हूं तो मैं पॉवर को समझता हूं। जब गंगाराम (शेरदिल) का किरदार निभा रहा था तो पॉवरलेस होने का अनुभव हुआ। हम अभिनेताओं को ये सुविधा है कि हमारे काम के जरिए हमें अलग अलग रंग, वर्ग, पॉवर.. हर किस्म के इंसान को समझने का मौका मिलता है। हमारे किरदार हमेशा हमसे बड़े होते हैं। हम बतौर अभिनेता, बतौर इंसान बहुत छोटे हैं।"

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    [शिल्पा शेट्टी इंटरव्यू]

    'शेरदिल' की रिलीज से पहले पंकज त्रिपाठी ने फिल्मीबीट से विशेष बातचीत की है, जहां उन्होंने अपने आगामी फिल्मों, वेब सीरीज, किरदारों के चुनाव, सोशल मीडिया और बॉक्स ऑफिस को लेकर खुलकर बातें की हैं। अपनी सफलता पर अभिनेता कहते हैं, "लोगों का प्यार मेरे लिए बहुत मायने रखता है और हमेशा कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है।"

    यहां पढ़ें इंटरव्यू से कुछ प्रमुख अंश-

    Q. पिछले कुछ सालों में आपको फिल्मों और ओटीटी के जरिए अपार सफलता मिली है। इस सफलता को कैसे देखते हैं?

    Q. पिछले कुछ सालों में आपको फिल्मों और ओटीटी के जरिए अपार सफलता मिली है। इस सफलता को कैसे देखते हैं?

    ये सफलता, लोगों का इतना प्यार मुझे विनम्र और थोड़ा जिम्मेदार बनाता है। आज यदि मेरी आवाज ज्यादा लोगों तक पहुंच रही है तो 'मैं क्या बोलता हूं' ये बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। जरूरी है कि मेरा आचरण, मेरी कहानियां ठीक हो, जो समाज में अच्छा प्रभाव छोड़े। सफलता से जुड़े भौतिक सुखों से मेरा ज्यादा लेना- देना नहीं है। जिंदगी के लिए जितना जरूरी है, उतना करना चाहिए। पहले भी यही सोच थी, आज भी यही है कि जितना आवश्यक है उतना ही करो।

    Q. 'शेरदिल' के ट्रेलर को काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। फिल्म से जुड़ी क्या खास बात शेयर करना चाहेंगे?

    शेरदिल इंसान, शहर, जंगल, जानवर, गांव के बीच के रिश्ते को बड़े मनोरंजक तरीके से दिखाती है। जंगल में एक व्यक्ति बाघ का शिकार बनने आया है और एक शिकार करने आया है। दोनों दो दुनिया के लोग हैं, जो मिलते हैं। एक मरने की प्रतीक्षा मे है और एक मारने की प्रतीक्षा में है.. और जिसको मारना है और जिससे मरना है, वो बाघ है, जो मिल नहीं रहा है। श्रीजित मुखर्जी ने काफी दिलचस्प तरीके से इसे बनाया है। फिल्म बहुत ही सहज तरीके से एक संदेश देती है। देखते हैं दर्शक कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

    Q. स्क्रिप्ट के चुनाव के दौरान किन बातों का ख्याल रखते हैं?

    Q. स्क्रिप्ट के चुनाव के दौरान किन बातों का ख्याल रखते हैं?

    कहानी का सामाजिक सरोकार, उसमें मनोरंजन की मात्रा और कहानी को कहने के पीछे की सोच। ये मुख्य चीजें हैं। फिर मेकर्स कौन हैं इसका भी ध्यान रखता हूं। कई बार दोस्ती- यारी में भी काम करना पड़ता है। और सच कहूं तो मैं अभी तक ज्यादा सेलेक्टिव भी नहीं था। जो आता था, सब करता था। अब शायद इस साल के अंत से मैं थोड़ा थमूंगा और थोड़ा चुनिंदा काम करूंगा।

    Q. ना कहना आपके लिए मुश्किल होता है?

    (हंसते हुए) बहुत ही ज्यादा मुश्किल। मुझे व्हॉट्सएप से किसी ग्रूप को छोड़ना, किसी को ब्लॉक करना तक इतना मुश्किल लगता था कि मैंने व्हॉट्सएप का ही इस्तेमाल कम कर दिया। मैं उससे ही मुक्त हो गया।

    Q. आप एक तरफ मिर्जापुर भी करते हैं, दूसरी ओर मिमी, 83, और शेरदिल भी। किस तरह के किरदार को निभाकर आपके अंदर के अभिनेता को संतुष्टि मिलती है?

    Q. आप एक तरफ मिर्जापुर भी करते हैं, दूसरी ओर मिमी, 83, और शेरदिल भी। किस तरह के किरदार को निभाकर आपके अंदर के अभिनेता को संतुष्टि मिलती है?

    हर तरह का किरदार। गंगाराम (शेरदिल) जैसा पॉवरलेस किरदार हो या, कालीन भईया जैसा पॉवरफुल, माधव मिश्रा जैसा चतुर चालाक हो या भानू प्रताप (मिमी) जैसा मासूम साथी.. ये सभी किरदार इमोशंस पर चलते हैं, जैसे लालच, चतुराई, मासूमियत, ईमानदारी, ईर्ष्या। असल जीवन में भी तो हम इन्हीं सबसे मिलकर बने हुए लोग हैं। हम सबमें ये सब भाव हैं, लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि जो सकारात्मक भाव हैं वो बाजार में दिखे, बाकी जो खराब वाले इमोशंस हैं वो या सिर्फ खुद तक ही रहे या उसे दबाकर हम कम कर लें। अभिनय में किरादरों को निभाते हुए हम जीवन को ज्यादा समझते हैं। मेरी लड़ाई अच्छा एक्टर बनने से ज्यादा अच्छा इंसान बनने की है। मैं जैसा आदमी आज हूं, उससे अच्छा कल बन जाऊं।

    Q. आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आपको कट टू कट घंटे के हिसाब से चलना पसंद नहीं है। आज इतनी व्यस्तता के बीच क्या मनोस्थिति होती है?

    Q. आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आपको कट टू कट घंटे के हिसाब से चलना पसंद नहीं है। आज इतनी व्यस्तता के बीच क्या मनोस्थिति होती है?

    थक जाता हूं। मैं बोर हो जाता हूं। जुलाई पहले हफ्ते से मैं छुट्टी लूंगा और फोन बंद करके मैं सिर्फ सोऊंगा, खाऊंगा, घूमूंगा, गांव जाऊंगा। मैं नहीं हूं इतना भागमभाग वाला, आपाधापी वाला व्यक्ति.. जो एकदम घड़ी के हिसाब से चले।

    Q. आपके गांव में लोगों को अंदाजा है कि आप इतने चर्चित अभिनेता बन गए हैं?

    हां, अब पता है। अब मेरे गांव के हर व्यक्ति को पता है कि मैं क्या करता हूं। बहुत अच्छा लगता है जब वो बोलते हैं कि मैंने गांव का नाम रोशन कर दिया। दूसरे गांव और आसपास के जिले से लोग मेरे गांव को देखने आते हैं , कभी कभी कुछ मेरे घर भी आ जाते हैं। बहुत सारे यूट्यूबर भी आते हैं व्लॉग बनाने। तो ये सब परिवर्तन आया है। लेकिन मेरे माता- पिता को अभी भी ज्यादा आइडिया नहीं है। वो ना फोन देखते हैं, ना इंटरनेट है, बुजुर्ग हो चुके हैं, तो उन्हें ये सब का कोई एहसास नहीं है। उन्हें सिर्फ ये समझ आता है कि बेटे को लोग अब जानते हैं। लेकिन मैं क्या करता हूं, मेरी कौन सी फिल्में आती है, उसका उन्हें अनुमान नहीं है।

    Q. आपकी यात्रा बहुत लोगों को प्रेरित करती है। इस बारे में कभी सोचते हैं?

    Q. आपकी यात्रा बहुत लोगों को प्रेरित करती है। इस बारे में कभी सोचते हैं?

    हां, मैं भी मानता हूं। जब आप अनजान रास्ते पर चलते हैं तो चाहे अनचाहे फुटप्रिंट छूट जाता है.. और वो फुटप्रिंट किसी और के काम आता है। कोई बच्चा आज मुझसे भी प्रेरित हो रहा होगा, जैसे मैं मनोज भईया (मनोज बाजपेयी) से हुआ था। वो मेरी प्रेरणा हैं। उन्हें फिल्मों में देखकर मुझे भी लगा था कि मैं भी कर सकता हूं।

    Q. सोशल मीडिया आजकल एक अलग ही दुनिया है, आप एन्जॉय करते हैं?

    हां, सोशल मीडिया मुझे पसंद है। कोई महत्वपूर्ण बातचीत हो, रचनात्मक बातचीत हो, तो बिल्कुल पसंद है। लेकिन मैं उसे काफी कम समय दे पाता हूं, काफी सेलेक्टिव इस्तेमाल करता हूं। क्योंकि सच कहूं तो मेरे पास समय ही नहीं है। मुझे स्क्रिप्ट पढ़नी है, लाइनें याद करनी है, कल की तैयारी करनी है.. इसीलिए मैं स्क्रीन से थोड़ा दूरी बनाकर रखता हूं।

    Q. इंडस्ट्री में आप इतने वर्षों से हैं। अब फिल्म की आर्थिक पक्ष के बारे में सोचते हैं या बॉक्स ऑफिस कितना मायने रखता है?

    Q. इंडस्ट्री में आप इतने वर्षों से हैं। अब फिल्म की आर्थिक पक्ष के बारे में सोचते हैं या बॉक्स ऑफिस कितना मायने रखता है?

    सच कहूं तो इस बारे में मैं ज्यादा नहीं सोचता हूं। मुझे लगता है कि मेरा काम अभिनय है। अभिनय को अपना सौ प्रतिशत दे कर आ जाओ, फिर फिल्म कहां जाएगी, कहां तक पहुंचेगी, ये सोचना मेरा काम नहीं है। बीच बीच में कभी विचार आता है कि ये कितने स्क्रीन पर रिलीज होगी, कितना कमाएगी.. लेकिन फिर लगता है कि ये मेरा काम तो है नहीं। ये तो काम निर्माताओं का है, स्टूडियो का है, तो जो तुम्हारा काम ही नहीं है, उसकी क्या चिंता करना। जो तुम्हारा काम था, वो तुमने ईमानदारी से कर दिया.. बस।

    Q. दर्शकों का आपको बेशुमार प्यार मिलता रहा है। ये प्यार एक मोटिवेटिंग फोर्स के तौर पर काम करता है?

    बहुत ज्यादा। ये प्यार बहुत मायने रखता है। हम सब चाहते हैं कि अपनी मेहनत, अपने क्राफ्ट और अपनी कला से लोगों मन तक पहुंचे। मैंने अबु धाबी आईफा में जो प्यार और सम्मान देखा, वो अभूतपूर्व था। मैं बहुत विनम्र और शुक्रगुज़ार महसूस करता हूं क्योंकि अभिनेता को अभिनेता सिर्फ दर्शक ही बनाते हैं। हम लाख अच्छी बुरी जैसी भी कहानियां कर लें, वो लोगों तक पहुंचनी चाहिए और उनके दिल को छूनी चाहिए।

    Q. जाते जाते अपनी आगामी फिल्मों की कुछ अपडेट देना चाहें तो.. शेरदिल के बाद, किन प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हैं?

    अभी 'फुकरे 3' चल रही है, वो खत्म करके अगले हफ्ते से 'मिर्जापुर 3' शुरु करूंगा। उसके बाद एक ब्रेक लूंगा बीच में। इधर 'ओह माय गॉड 2' और 'क्रिमिनल जस्टिस 3' की शूटिंग पूरी हो चुकी है। तो ये सब कुछ आने वाले प्रोजेक्ट्स हैं।

    English summary
    In an exclusive interview with Filmibeat, Pankaj Tripathi talked about his film Sherdil, process of selecting scripts, social media, upcoming films and much more.
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