सौरभ शुक्ला
सौरभ शुक्ला जीवनी
सौरभ शुक्ला भारतीय फिल्म अभिनेता, थियेटर कलाकार, टेलीविजन एक्टर, निर्देशक और स्क्रीनराइटर हैं। वे सत्या, बर्फी, जॉली एलएलबी, किक और पीके जैसी फिल्मों में निभाए गए अपने अभिनय की वजह से जाने जाते हैं। उन्हें ब्लैक कॉमेडी करना ज्यादा पसंद है।
2014 में उन्हें फिल्म जॉली एलएलबी में निभाए गए अपने सहायक अभिनेता के किरदार के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
पृष्ठभूमि-
शुक्ला का जन्म गोरखपुर में हुआ था। जब सौरभ दो साल के थे तब उनके परिवार ने दिल्ली का रूख कर लिया था।
पढ़ाई-
स्कूली पढ़ाई के बाद, उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली का खालसा कॉलेज ज्वाइन कर लिया। उनके प्रोफेशनल करियर की शुरूआत 1984 से हुई जब उन्होंने थियेटर ज्वाइन कर लिया।
थियेटर ने दिलाई पहचान:-
1986 में उन्होंने थियेटर शुरू किया और ए व्यू फ्रॉम द ब्रिज(आर्थर मिलर), लुक बैक इन एंगर(जॉन एसबॉर्न), घाशीराम कोटवाल(विजय तेंदुलकर) जैसे नाटकों में उन्होंने अभिनय किया। सन् 1991 में उन्होंने एक्टर के रूप में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ज्वाइन कर लिया। अगले ही साल उन्हें बड़ा ब्रेक मिला जब रजत कपूर उनके अभिनय से प्रभावित हुए और अपनी फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में रोल ऑफर किया। सौरभ ने 1994 में दूरदर्शन के क्राइम ड्रामा तहकीकात में विजय आनंद के साथ सह-अभिनेता के तौर पर गोपी नाम के किरदार को निभाया।
बड़ा ब्रेक:-
सौरभ को बड़ा ब्रेक तब मिला जब फिल्म 'सत्या' की कहानी में उन्होंने रामगोपाल वर्मा के साथ सह-लेखन किया और फिल्म में गैंग्सटर कल्लू मामा का किरदार निभाया। इस फिल्म के लिए उन्हें अनुराग कश्यप के साथ बेस्ट स्क्रीनप्ले का स्टारस्क्रीन अवार्ड मिला।
अभिनेता के तौर पर प्रसिद्ध फिल्में:-
बैडिंट क्वीन, सत्या, ताल, बादशाह, हे राम, मोहब्बतें, नायक: द रियल हीरो, ये तेरा घर ये मेरा घर, ये दिल, कलकत्ता मेल, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, युवा, मुंबई एक्सप्रेस, लगे रहो , मुन्नाभाई, स्लमडॉग मिलेनियर, ओ माई गॉड, पाठशाला, ये साली जिंदगी, बर्फी, जॉली एलएलबी, गुंडे, मैं तेरा हीरो, किक, पीके।
लेखक के तौर पर फिल्में-
सत्या, कलकत्ता मेल, मुंबई एक्सप्रेस, सलाम-ए-इश्क: ए ट्रिब्यूट टू लव, एसिड फैक्ट्री, पप्पू कॉन्ट डांस साला।