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    कुमार सानू जीवनी

    केदारनाथ भट्टाचार्य उर्फ़ कुमार सानू एक भारतीय पार्श्व गायक हैं। कुमार शानू अकेले ऐसे भारतीय गायक हैं जिनके नाम एक दिन में 28 गाने गाने का रिकॉर्ड गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हैं।  साथ ही वह ऐसे गायक हैं जिन्हे लगातार पांच साल तक फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया हैं, साथ ही उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से नवाजा जा चुका है। 

    पृष्ठभूमि 
    कुमार शानू का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था।  उनके पिता का नाम पशुपति भट्टाचार्य हैं, जोकि एक गायक और संगीतकार हैं।  शानू एक बहुत अच्छे ही तबला वादक भी हैं। 

    पढ़ाई 
    शानू ने अपनी शुरूआती पढ़ाई कोलकाता से ही संपन की है। कुमार शानू कोलकाता यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं।  साल 1979 मे वह रेस्तरॉ और स्टेज पर में अपनी गायकी का सार्वजानिक प्रदर्शन किया करते थे।    

    शादी 
    कुमार सानू ने दो शादियां की थी। इनकी पहली पत्नी का नाम रीता भट्टाचार्य था और दूसरी पत्नी का नाम सलोनी भट्टाचार्य है। इनके तीन बेटे है जेस्सी, जीको और जान। 

    करियर 
    कुमार शानू ने अपने करियर की शुरुआत साल 1986 में बंगलादेशी फिल्म तीन कन्या से की थी।  इस फिल्म का निर्देशन शिबली सादिक ने किया था। शानू को हिंदी सिनेमा लाने का सारा श्रेय दिवंगत गायक जगजीत सिंह को जाता है।  उन्होंने कुमार शानू फिल्म आँधियाँ में गाना गाने का ऑफर दिया था।  जगजीत सिंह ने उनकी मुलाकात कल्याणजी आनंद से करायी, और उन्ही के सुझाव के बाद उन्होंने अपना नाम केदारनाथ भट्टाचार्य से कुमार शानू कर लिया।  दरअसल कुमार शानू बचपन से ही किशोरदा को कॉपी करने की कोशिश करते थे, जिससे उनकी गायकी किशोर दा से मेल खाने लगी थी।  उसके बाद उन्होंने फिल्म जादूगर में आवाज दी। 

    शानू ने अपनी फ़िल्मी करियर में कई नामचीन हस्तियोँ के साथ काम किया जिनमे नौशाद, रवींद्र जैन, हृदयनाथ मंगेशकर,कल्याणजी आनंद और उषा खन्ना जैसी हस्तियां शामिल हैं।   

    नब्बे के दशक में कुमार शानू ने कई हिट फिल्मों में अपनी आवाज दी।  उन्हें उनका पहला फिल्मफेयर पुरुस्कार फिल्म आशिकी के लिए मिला था। कुमार शानू ऐसे पहले गायक हैं, जिन्होंने पांच सालों तक लगातार फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ गायक का अवार्ड जीता।  इसके साथ ही उनके नाम एक दिन में 28 गाने का रिकॉर्ड भी दर्ज हैं।   

    कुमार शानू ने गायकी के अलावा कई हिंदी फिल्मों के संगीतकार भी रह चुके हैं।  इसके अलावा उन्हें फिल्म निर्माण में काफी रूचि है।  उन्होंने साल 2006 में फिल्म उत्थान का निर्माण किया था। इसके बाद उन्होंने राकेश भाटिया के साथ फिल्म ये संडे क्योँ आता है का निर्माण किया।  इस फिल्म की कहानी मुंबई के चार बच्चो की थी, जो बूट पोलिश कर अपना गुजारा करते थे, इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती लिड रोल में थे।  लेकिन यह फिल्म अभी किसी कारणवश रिलीज नहीं हो सकी।  

    लंबे अरसे के बाद कुमार शानू ने प्रभुदेवा निर्देशित फिल्म राऊडी राठौर से हिंदी सिनेमा में अपनी वापसी की।  इस फिल्म में उन्होंने संगीत साजिद-वाजिद के साथ छम्मक छल्लो छैन छबीली गीत श्रेया घोषाल के साथ गाया था। 

    टीवी करियर 
    बड़े पर्दे पर धमाल मचने के बाद कुमार शानू छोटे परदे पर कई सिंगिंग बेस्ड रियलिटी शोज़ में बतौर जज नजर अ चुके हैं।  

    राजीनीति 
    कुमार शानू एक गायक होने के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी हैं।  उन्होंने साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।  उसके बाद किन्ही कारणों से उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।  लेकिन एक बार फिर अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता 2014 में ग्रहण की।  

    प्रसिद्ध गाने
    तझे देखा तो ये जाना सनम, तेरी उम्मीद तेरा इंतजार, बस एक सनम चाहिए, मेरा दिल भी कितना पागल है, सोचेंगे तुम्हे प्यार करके, अब तेरे बिन, जब कोई बात बिगड़ जाए, ये काली-काली आँखें, दिल चीयर के देख, एक लड़की को देखा तो। 
     
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