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Breathe:Into The Shadows Season 2 Review- इस धीमी क्राइम थ्रिलर को बांधे रखते हैं अभिषेक बच्चन- नवीन कस्तूरिया
निर्देशक-
मयंक
शर्मा
स्टारकास्ट-
अभिषेक
बच्चन,
अमित
साध,
नित्या
मेनन,
सैयामी
खेर,
नवीन
कस्तूरिया,
इवाना
कौर
प्लेटफॉर्म-
अमेज़न
प्राइम
वीडियो
एपिसोड
-
8
एपिसोड/हर
एपिसोड
की
अवधि
-
45
मिनट
तीन सालों तक शांत रहने बाद, अविनाश सभरवाल (अभिषेक बच्चन) के अंदर छिपा उनका दूसरा हिंसक रूप, जे, एक बार फिर अविनाश पर हावी हो जाता है और मानसिक सुधारगृह (mental asylum) से भाग जाता है। वह उन सभी लोगों को सजा देना चाहता है, जिन्होंने कभी ना कभी जिंदगी में उसे पीड़ा दी है। लेकिन इस बार जे अकेला नहीं है, बल्कि उसके साथ है विक्टर (नवीन कस्तूरिया)। सीरीज की कहानी बिल्कुल उसी जगह से शुरु होती है, जिस सवाल के साथ पहला सीजन छोड़ा गया था।
ब्रीद के पिछले सीजन में अविनाश उर्फ जे की कहानी बताई गई थी। वह रावण के 10 सिरों को मारना चाहता है, जो एक- एक बुराई का प्रतीक है। चार हत्याएं करने के बाद अविनाश को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन अब जबकि वह एक बार फिर बाहर आ चुका है, क्या रावण के बाकी 6 सिर.. यानि की 6 और हत्याएं करने में सफल हो पाएगा? या पुलिस अफसर कबीर सावंत (अमित साध) एक बार फिर इन हत्याओं के सिलसिले को रोक पाएगा?
कहानी
चार हत्याओं के आरोप में अविनाश सभरवाल (अभिषेक बच्चन) को गिरफ्तार कर लिया जाता है। लेकिन उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए जेल की बजाए मनोचिकित्सा केंद्र में रखा जाता है। गुजरते वक्त के साथ डॉक्टरों में अविनाश में सुधार दिखता है, लेकिन एक दिन जब अविनाश की पत्नी आभा (नित्या मेनन) अपनी बेटी के साथ वहां आती है, तो एक बार फिर अविनाश का हिंसक रूप सामने आ जाता है। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद वह मनोचिकित्सा केंद्र से भाग जाता है। जे किसी भी तरह रावण के बाकी 6 सिर.. यानि की 6 और लोगों की हत्या करना चाहता है। इसके आगे हर एपिसोड में जे की साजिश, प्लानिंग और हत्याओं को दिखाया गया है। इस बार उसके साथ एक खतरनाक आदमी विक्टर भी है, जिससे इलाज के दौरान जे से पहचान हुई थी। जे की हत्याओं से विक्टर किस तरह जुड़ता है.. और इन दोनों की साजिश को कबीर सावंत नाकाम कर पाता है या नहीं.. इसी के इर्द गिर्द घूमती है पूरी सीरीज।
निर्देशन व तकनीकी पक्ष
लगभग 45 मिनट के प्रत्येक एपिसोड में जे की एक बैकस्टोरी चलती है, जहां मरने वाले के साथ उसका सामना दिखाया गया है। नवीन कस्तूरिया को छोड़कर सीरीज में लगभग सभी पुराने किरदार नजर आते हैं। लेकिन कहना गलत नहीं होगा कि सीजन का बेस्ट पार्ट नवीन के हिस्से में ही गया है। मयंक शर्मा द्वारा लिखित और निर्देशित यह क्राइम ड्रामा कुछ हिस्सों में अति नाटकीय लगती है। इसके टर्न्स एंड ट्विस्ट काफी अविश्वनीय लगते हैं। लिहाजा, कई बार आपको महसूस होता है कि निर्देशक ने अपनी सुविधा के लिए कहानी को किसी भी दिशा में मोड़ दिया है.. साथ ही जबरदस्ती का जटिल बनाया है।
शो का ट्रीटमेंट आपको बांधेगा, लेकिन लेखन थोड़ा निराश करता है। मर्डर करने के कुछ सीक्वेंस बिल्कुल ही व्यथित नहीं करते हैं। ब्रीद के क्रिएटर्स के साथ सबसे बड़ी समस्या यह दिखती है कि उन्हें खुद भी अंदाजा नहीं है कि वे कहां रुकें। साथ ही सीरीज को एडिटिंग टेबल पर कसने की काफी जरूरत थी। छोटे एपिसोड्स और एक कसी हुई पटकथा इस क्राइम थ्रिलर में जान डाल सकती थी।
अभिनय
अविनाश और जे.. दोनों ही रूपों में अभिषेक बच्चन ने अच्छा प्रदर्शन दिया है, और चूंकि इस समय जे के पास मास्क नहीं है, इसलिए अभिनेता के हाव भाव स्पष्ट रूप से सामने आते हैं। एक पल में अविनाश और अगले ही पल में जे बन जाना अभिषेक के लिए आसान नहीं रहा होगा, लेकिन अभिनेता ने यह बदलाव बखूबी दिखाया है। हालांकि इस बार उनके इमोशनल पक्ष को काफी कम दिखाया गया है। पिछले दो सीजन की तुलना में अमित साध का किरदार यहां उतना प्रभावी नहीं दिखता है। लेकिन यहां लेखन की कमी मानेंगे। नित्या मेनन और सैयामी खेर भी कमजोर लेखन का शिकार बनी हैं। वहीं, नवीन कस्तूरिया सीजन 2 के सबसे पॉजिटिव पक्ष हैं। उनका किरदार एक रहस्य की तरह खुलता जाता है, जो कहानी से आपको बांधे रखता है।
रेटिंग- 3 स्टार
कुल मिलाकर ब्रीद: इनटू द शैडोज सीजन 2 कई सवालों के साथ शुरु होती है, जिनमें से कुछ का जवाब काफी दिलचस्पी के साथ देती है, जबकि कुछ जवाब अधूरे ही छूट जाते हैं। सीरीज का पटकथा, संवाद या बैकग्राउंड स्कोर मजबूत नहीं दिखता, लेकिन कलाकार अपने परफॉमेंस से किसी तरह सीरीज को अंत तक बांधे रखते हैं। फिल्मीबीट की ओर से ब्रीद: इनटू द शैडोज सीजन 2 को 3 स्टार।
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