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रंगबाज फिर से Review: लंबे समय बाद दिखी ऐसी गैंगस्टर बाजी, हिंसा-राजनीति की दिलचस्प कहानी
वेब सीरीज- रंगबाज फिर से
लेखन-सिद्धार्थ मिश्रा
कलाकार- जिमी शेरगिल,सुशांत सिंह,शरद केलकर, जीशान अयूब,स्पृहा जोशी, हर्ष छाया
निर्देशन-सचिन पाठक
एक हाथ से तू ले और दूसरे हाथ से बांटे रे..है खौफ सारे राजस्थान में...रंगबाज रे..। रंगबाज फिर से के मुख्य गीत की ये लाइन इसे जाहिर करती हैं कि इस पूरी सीरीज का आलम क्या हो सकता है। गैंगस्टर की कहानी पर बेस्ड वेब सीरीज का सिलसिला इन दिनों शुरू है।
सनद रहे कि क्राइम,गाली-गलौज और जबरदस्ती के बोल्ड सीन की भरमार रंगबाज की पहचान नहीं है। सटीक कास्टिंग, डायलॉग के तीर और टू द पाइंट स्टोरी से लबरेज है रगंबाज फिर से की कहानी। ये रंगबाज की दूसरी किस्त है रंगबाज फिर से। पहली किस्त में लेखक सिद्धार्थ मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर की कहानी पेश की थी, वहीं इस बार राजस्थान के राजपूत शराब का ठेका चलाने वाले गैंगस्टर अमरपाल सिंह को दिखाने की सफल कवायद की है। कोशिश अच्छी है।
जाट और राजपूत की लड़ाई इस पूरी सीरीज की गांठ है। जिसे पूरी कहानी में दमदार तरीके से महसूस कराया गया है। सीरीज की शुरुआत होती है अमरपाल सिंह के जेल में जाने से और सफर शुरू होता है उस फिल्मी कहानी का जो अक्सर हीरो के गैंगस्टर बनने के पीछे की वजह को दिखाती है।
ऐसी कई गैंगस्टर बेस्ड फिल्में है, कंपनी,गैंग ऑफ वासेपुर से लेकर वन्स अपॅान ए टाइम इन मुंबई तक। कई बार पर्दे पर एक शरीफ इंसान के गैंगस्टर बनने की भावुक कहानी से हम रूबरू हुए हैं। लेकिन अमरपाल सिंह की कहानी को जिस तेजी से सीरीज के पहले एपिसोड में दिखाया गया है वो नयापन के साथ दिलचस्पी को बढ़ाता है।
कॅालेज का अक्ष्यक्ष अमरपाल सिंह आईपीएस बनना चाहता है। लेकिन पढ़ाई के बीच उसकी जिंदगी मे राजनीति की दबे पैर एंट्री होती है जो उसे शराब के ठेके से लेकर राजस्थान की राजनीति का मस्ट वॅाच चेहरा बना देती है।
जिमी शेरगिल, शरद केलकर,सुशांत सिंह,स्पृहा जोशी,,गुल पनाग,मोहम्मद जीशान अयूब,अमित सियाल,हर्ष छाया अपनी दमदार कलाकारी से इस बंधी हुई कहानी को पकाने में कामयाब हुए हैं। जिमी ( अमरपाल) की भूमिका में अपने चेहरे के हाव भाव और डायलॉगबाजी से खेल गए हैं।
जिमी की खूबी शुरू से यही रही है कि वह उन कलाकारों में से हैं जो चेहरे से एक्टिंग करते हैं। इस बीच अमरपाल सिंह के हनुमान बने हैं जयराम यानी कि सुशांत सिंह। सुशांत इस बार भी साबित करते हैं कि एक्टिंग में ऐसे ही 50 से अधिक फिल्मों के साथ उनके बाल नहीं पके हैं। शरद केलकर खूंखार गैंगस्टर के अंदाज में सीरीज में प्लस की भूमिका निभाते हैं।
बाकी ,स्पृहा जोशी, हर्ष छाया और गुल पनाग अपने किरदार के साथ कहानी को मजबूती देते हैं। इन सबके बीच अमित सियाल और जीशान अयूब को देखना कहानी में तड़के का काम करता है। बता दें कि सचिन पाठक ने इसका निर्देशन किया है। इससे पहले वह दृश्यम में निशांत कामत को असिस्ट कर चुके हैं। नए निर्देशक के तौर पर मजबूत कास्ट के साथ हर सीन को दर्शाने में वह पूरी तरह सफल हुए हैं।
बैकग्राउंड स्कोर सीरीज के एक्शन से लेकर इमोशनल सीन को प्रभावशाली बनाता है। साथ ही गोली के बीच में थमी हुई भावनाओं को कहानी में जिस तरह बिछाया गया है वो सराहनीय है। फिर चाहे वह अमरपाल का उसके परिवार से रिश्ता हो या फिर उसके दोस्तों से।
राजस्थान की बोली, भाषा और पहनावे के साथ लोकेशन पर भी डिटेल काम, कहानी को पकाने में पूरी तरह से सहायक है। बता दें कि वेब सीरीज की ये खूबी है कि यहां पर हर किरदार के बैंकग्राउंड को समझाने की आजादी और समय होता है।
जो कि गैंगस्टर जैसी कहानियों के लिए जरूरी हो जाता है। रंगबाज फिर से में लेखन का तरीका इतना सटीक है कि बिना उबाए हर किरदार के बैंकगाउंड को सीरीज में ट्टिस्ट के साथ जकड़ता जाता है। हालांकि सीरीज की खूबी ये होनी चाहिए कि एक एपिसोड से दूसरे एपिसोड पर जाने की उत्सुकता दर्शक में बनी रहे।
जो कि दूसरे एपिसोड में थोड़ी सी भटकती है। फिर भी जिस रफ्तार से कहानी क्लाइमेक्स पर पहुंचती है वो आपको नजर हटाने का मौका नहीं देती है। फिल्मीबीट की तरफ से रंगबाज फिर से को कास्टिंग,लेखन,डायरेक्शन और अदायगी के लिए 3.5 स्टार ।
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