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वरूण बडोला के एक्टर पिता विश्व मोहन बडोला का निधन, स्वदेस - जॉली एलएलबी 2 जैसी फिल्मों में किया काम
थियेटर, टीवी और फिल्मों का जाना माना चेहरा एक्टर विश्व मोहन बडोला का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर उनके एक्टर बेटे वरूण बडोला ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए दी। विश्व मोहन बडोला, आखिरी बार तबू - मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म मिसिंग में दिखाई दिए थे।
वरूण बडोला के पिता विश्व मोहन बडोला 50 से ज़्यादा सालों से थियेटर जगत में सक्रिय रहे हैं और वो थियेटर की दुनिया का जाना माना चेहरा हैं। वहीं टीवी और फिल्मों में भी उनके सपोर्टिंग किरदार लोगों के ज़ेहन में बसे हुए हैं।
विश्व मोहन बडोला जहां एक तरफ, जॉली एलएलबी 2 में अक्षय कुमार के पिता की भूमिका में दिखाई दिए थे तो वहीं दूसरी तरफ स्वदेस में वो गांव के सरपंच की भूमिका में थे। वहीं टीवी पर भी वो अकसर ही सशक्त भूमिकाओं में दिखाई दिए।
उनके निधन के बाद वरूण बडोला ने अपने पिता की याद में एक बेहद भावुक पोस्ट लिखा।

पिता के नाम भावुक पोस्ट
वरूण बडोला ने अपने पिता के नाम इस पोस्ट में लिखा - बहुत लोग इस बारे में हमेशा शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं, उनके बच्चे नालायक हैं। लेकिन मेरे पिता ने कभी मुझे बैठाकर कोई भी चीज़ नहीं सिखाई। उन्होंने अपनी ज़िंदगी इस तरह जी, जिसे देखकर आप बहुत कुछ सीख सकते थे।

सही रास्ता दिखाया
उन्होंने ज़िंदगी जीने का ऐसा तरीका पेश किया कि मैं अपने आप ही उस तरीके का पालन करने लगा। मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं था। उन्होंने वही एक रास्ता दिखाया जो सही था।

मेरे पिता को सारा श्रेय
अगर आपको लगता है कि मैं एक अच्छा अभिनेता हूं तो इसका दोष मेरे पिता को दीजिए। अगर मैं लिख लेता हूं तो इसका श्रेय भी मेरे पिता को जाता है। अगर मैं गाता हूं तो उनकी संगीत की कला का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा ही मेरे अंदर आ पाया है।

मैंने उनकी छाया छोड़ी
अगर उनके जैसा थोड़ा सा भी गा पाता तो मैं आज एक गायक होता। मैंने दिल्ली छोड़ी और मुंबई रहने आ गया क्योंकि उस शहर में मेरे पिता का नाम इतना बड़ा था कि वहां उनकी छाया से अलग अपना नाम बना पाना बड़ा मुश्किल था। मैं लड़ता था कि लोग मुझे आपके बेटे की नज़रों से देखते हैं और मुझ पर मेहरबानी करने लगते हैं।

हमेशा एक ही सलाह मिली
उन्होंने तुरंत मुझसे कहा कि अगर मुझे लगता है कि उनका नाम, मेरे अस्तित्व की पहचान में बाधा बन रहा है तो मैं मुंबई चला जाऊं और वहां नए सिरे से अपनी पहचान बनाऊं। उन्होंने हमेशा मुझे सलाह दी कि वो काम करूं जो करने में मुझे दिक्कत लगती हो। उन्होंने मुझे एक अच्छा आदमी बनाया।

पेशे से पत्रकार
कम ही लोगों को पता है कि वो पेशे से पत्रकार थे। और दक्षिण पूर्वी एशियन मामलों के मास्टर थे। उन्होंने पूरी दुनिया दो बार घूमी थी और ऑल इंडिया रेडियो के लिए 400 से ज़्यादा कार्यक्रम किए थे। उनकी अभिनय क्षमता बेहतरीन थी। जब वो गाते थे तो लगता था कि समय रूक गया।

मेरे लिए केवल मेरे पिता
आप गलती मत करिएगा, मेरे पिता एक किंवदंती थे। लेकिन मेरे लिए वो केवल मेरे पिता थे। एक पिता जो हमेशा अपने बेटे का ध्यान रखते थे और उसकी बात सुनने के लिए तत्पर रहते थे।

श्री विश्व मोहन बडोला, 1936 - 2020
अब वो आदर्श पिता, वो अद्भुत इंसान, महान कलाकार, हमसे विदा ले चुका है। पर वो अपनी कला के माध्यम से हमेशा जीवित रहेंगे।
श्री विश्व मोहन बडोला, 1936 - 2020।

दो बेटियां और वरूण
श्री विश्व मोहन बडोला के बेटे वरूण बडोला को दो बहनें हैं - अलका कौशल और कालिंदी। जहां अलका कौशल भी पेशे से एक अभिनेत्री हैं वहीं दामिनी एक रेडियो जॉकी हैं।

साथ किया है काम
वरूण बडोला और विश्व मोहन बडोला, एक साथ स्टार प्लस के एक चाभी है पड़ोस में नाम के सीरियल में साथ में काम भी कर चुके हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। और वरूण बडोला - राजेश्वरी सचदेव के पूरे परिवार को इस दुख की घड़ी में हमारी पूरी सहानुभूति। ओम शांति।