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    मशहूर एक्ट्रेस के पार्थिव शरीर को नसीब नहीं हो पाई जन्मभूमि की मिट्टी, ये है कारण

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    Riya Dead Body: झारखंड की क्षेत्रीय फिल्मों की अभिनेत्री रिया कुमारी उर्फ ईशा आलिया के पार्थिव शरीर को उस धरती की मिट्टी नसीब नहीं हो पाई, जहां उसका जन्म हुआ था। उसके घर के लोग चाहते थे कि उसका अंतिम संस्कार पैतृक गांव में हो, लेकिन जाति-समाज के लोगों के विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। बाद में हजारीबाग शहर के खिरगांव स्थित मुक्तिधाम श्मशान पर आंसुओं के बीच उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

    लगभग डेढ़ दशक की कड़ी मेहनत और प्रतिभा की बदौलत झारखंड की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने वाली रिया के लिए यह विडंबना ही रही कि परिवार वालों की इच्छा के विरुद्ध प्रकाश कुमार उर्फ प्रकाश अलबेला नामक जिस शख्स से उसने लव मैरिज की, वह उसे कभी दहेज तो कभी किसी दूसरी बात को लेकर प्रताड़ित करता रहा और अंतत: उसकी जान भी ले ली। मौत के बाद उसके पैतृक गांव के कुछ लोगों ने जाति-समाज की परंपरा की दुहाई हेते हुए स्थानीय श्मशान घाट पर उसके अंतिम संस्कार का विरोध किया। रिया हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड अंतर्गत महुदी गांव की रहने वाली थी।

    रिया के भाई अजय कुमार राणा ने बताया कि अंतरजातीय लव मैरिज के कारण गांव में उसकी जाति की पंचायत ने पूरे परिवार का जातीय बहिष्कार कर दिया था। बाद में परिवार का बहिष्कार तो वापस हो गया था, लेकिन रिया को जातीय समाज ने स्वीकार नहीं किया। गांव में उसके अंतिम संस्कार का भी इसी वजह से विरोध किया गया।

    बता दें कि रिया उर्फ ईशा आलिया की हत्या बुधवार को रांची-कोलकाता हाईवे पर गोली मारकर कर दी गई थी। यह वारदात तब हुई थी, जब वह अपने पति प्रकाश अलबेला और ढाई साल की पुत्री के साथ कोलकाता जा रही थी। आरोप है कि रिया के पति प्रकाश अलबेला ने ही उसकी हत्या की और पुलिस के सामने सड़क लुटेरों द्वारा हत्या किए जाने की झूठी कहानी प्लांट करने की कोशिश की। रिया उर्फ ईशा आलिया के भाई अजय कुमार राणा ने पुलिस को की गई लिखित कंप्लेन में भी यही बात कही है। पुलिस ने प्रकाश अलबेला को जेल भेज दिया है।

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    English summary
    झारखंड की क्षेत्रीय फिल्मों की अभिनेत्री रिया कुमारी उर्फ ईशा आलिया के पार्थिव शरीर को उस धरती की मिट्टी नसीब नहीं हो पाई, जहां उसका जन्म हुआ था। उसके घर के लोग चाहते थे कि उसका अंतिम संस्कार पैतृक गांव में हो, लेकिन जाति-समाज के लोगों के विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। बाद में हजारीबाग शहर के खिरगांव स्थित मुक्तिधाम श्मशान पर आंसुओं के बीच उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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