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    विदेश: प्रवासी महिलाओं की व्‍यथा!

    By Super
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    Film Review Videsh
    निर्देशक: दीपा मेहता

    कलाकार: प्रीति जिंटा, वंश भारद्वाज

    दीपा मेहता की सभी फिल्मे संदेश प्रधान होती है। उनकी फिल्‍म 'विदेश" में भी प्रवासी भारतीय महिलाओं की स्थिति का मुद्दा उठाया गया है। फिल्‍म विदेशों में रहने वाली भारतीय महिलाओं पर किए जाने वाले घरेलू हिंसा पर आधारित है।

    कहानी: चांद (प्रीति जिंटा) शादी के बाद अपने पति के घर टोरंटो में रहने के लिए आती है। शादी के कुछ दिनों बाद उसकी सास उस पर जुल्‍म ढाने लगती है जिसमें उसका पति रॉकी (वंश भारद्धाज) भी साथ देता है। रॉकी ने अपनी मां के दबाव में शादी की थी इसलिए वह चांद को पसंद नही करता है लेकिन उसकी मासुमियत पर तरस खाता है।

    कुछ समय बाद चांद अपनी सास की चालाकी के खिलाफ आवाज उठाती है तो उसे रॉकी का भी प्रतिरोध सहने को मिलता है। चांद खुद को मजबूत बनाती है और परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाती है।

    चांद की एक सहेली उसे अपने पति को ठीक करने के लिए एक घोल देती है जिसे पीने पर रॉकी उस पर जुल्‍म करना बंद कर देगा। चांद उसे पिलाने से डरती है और उसे बाहर फेंक देती है। उस घोल को एक इच्‍छाधारी कोबरा पी लेता है और उसके पति के रूप में आकर घर में रहने लगता है।

    फिल्‍म में अगर सांप का प्रसंग न डालकर वास्‍तविकता को दिखाया जाता तो फिल्‍म ज्‍यादा प्रभावी बन सकती थी। इसके अलावा चांद पर अत्‍याचार के कारण समझ में नही आते है। दूसरा विदेशों में रहने वाली महिलाओं की समस्‍याओं को पूरी तरह रखा नही गया है। फिल्‍म में प्रीति के अभिनय ने जान डाल दी है। वही नए कलाकार वंश ने भी अच्‍छा अभिनय किया है।

    कुल मिलाकर कहा जाए तो केवल प्रीति को देखने के लिए फिल्‍म देखी जा सकती है।

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