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    शौर्य का सही मतलब समझाती है 'शौर्य

    By Staff
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    Shaurya
    रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'कुछ मीठा हो जाए' के लगभग तीन साल बाद निर्देशक समर खान की दूसरी फिल्म 'शौर्य' सेना पर आधारित है। यह फिल्म पूरे देश में आज रिलीज की गई।

    कहानी और कलाकारों के अभिनय के मामले में यह फिल्म पिछले कुछ हफ्तों में देश में रिलीज हुई अन्य फिल्मों की तुलना में कहीं भी कमजोर ठहरती नहीं दिखती। इतना जरूर है कि 'भ्रम' के मुकाबले कहानी को बेहतर ढंग से पकड़ कर रखने में यह थोड़ी कमजोर रह गई है।

    कलाकार के.के.मेनन और जावेद जाफरी सेना की वर्दी में जितने जंचते हैं उतनी ही मजबूती से अपने-अपने किरदारों को अंत तक पकड़े हुए भी दिखते हैं। उनकी तुलना में अभिनेता राहुल बोस और अभिनेत्री मिनीषा लांबा कहीं कहीं कुछ हल्के नजर आते हैं।

    इस फिल्म के जरिए एक गंभीर विषय को बेहतर ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। श्रीनगर की खूबसूरती भी पर्दे पर देखने को मिलती है।

    'मकबूल' से लेकर '1971' तक हर फिल्म में दीपक डोबरियाल ने खुद को साबित कर दिखाया है, खासकर राजोह तिवारी की भूमिका में फिल्म 'ओमकारा' में। इस बार 'शौर्य' में भी वह बोले कम, अभिनय ज्यादा किया।

    मेहमान भूमिका में अमीषा पटेल, सीमा बिस्वास और अपनी आवाज में फिल्म के अंत में 'शौर्य' का सही अर्थ समझाते इंडस्ट्री के किंग शाहरुख खान ने इसे और भी खास बना दिया है।

    फिल्म की कहानी सेना और आम इंसान की सोच से जुड़ी कई परतें खोलती दिखती हैं। मस्तमौला मेजर सिद्धांत राय चौधरी (राहुल बोस) और ए.के. (जावेद जाफरी) दोस्त हैं जिनकी पोस्टिंग श्रीनगर की जाती है। वहां अपने सीनियर ऑफिसर वीरेंद्र राठौड़ की गोली मारकर हत्या कर देने के जुर्म में कैप्टन जावेद खान का कोर्ट मार्शल किया जाता है जहां बचाव पक्ष के वकील सिद्धांत राय होते हैं।

    शुरू में सिद्धांत मामले को हल्के-फुल्के ढंग से लेते हैं लेकिन एक अखबार की क्षेत्रीय संवाददाता काव्या शास्त्री (मिनीषा लांबा) से रूबरू होने के बाद परिस्थितियां ऐसी बनती जाती हैं कि वह न चाहते हुए भी इस मामले को गंभीरता से लेने लगते हैं।

    ब्रिगेडियर प्रताप (के. के. मेनन) को अपने अधिकारों और प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने की आदत हो चुकी है और अपने सामने वे किसी को कुछ भी नहीं समझते।

    फिल्म का सार 'शौर्य' का सही अर्थ समझाना है जो सिर्फ किसी को मार गिराने को नहीं कहा जाता बल्कि यह काफी हद तक हमारे अंदर होता है जिसे समझने की जरूरत होती है।

    कलाकार : राहुल बोस, मिनीषा लांबा, जावेद जाफरी, दीपक डोबरियाल, के. के. मेनन, सीमा बिस्वास। निर्देशक : समर खान, निर्माता : मोजर बियर इंडिया लिमिटेड, संगीत : अदनान सामी, गीतकार : जावेद अख्तर, कहानी : जयदीप सरकार, अर्पणा मल्होत्रा, समर खान।

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