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'शर्माजी नमकीन' रिव्यू- अपनी आखिरी फिल्म को Must Watch बना गए ऋषि कपूर, दिल छूने वाली कहानी
निर्देशक- हितेश भाटिया
स्टारकास्ट- ऋषि कपूर, परेश रावल, जूही चावला, सुहैल नैय्यर, तारुक रैना, सतीश कौशिक, शीबा चड्ढा, ईशा तलवार, आएशा रज़ा
"कभी पानी की टंकी, कभी कचरे वाला, कभी कॉलोनी का गेट.. रोज़ नया क्लेश ढूंढ़ लेते हो.. एक केजरीवाल है और एक आप.." ऑफिस के लिए तैयार होता बेटा रिटायर हुए शर्माजी से खिजाते हुए कहता है। फिल्म की कहानी इन्हीं बेटे और पिता के बीच पीढ़ी के अंतराल की है।
क्या कोई फिल्म एक साथ आपके चेहरे पर मुस्कान और आंखों में नमी ला सकती है? 'शर्माजी नमकीन' ये करती है। ये फिल्म खास है, सिर्फ इसीलिए नहीं क्योंकि ये दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म है, या इसीलिए क्योंकि शर्माजी के किरदार को बहुत ही खूबसूरती के साथ परेश रावल ने पूरा किया है.. बल्कि इस फिल्म का विषय दिल को सुकून पहुंचाने वाला है। अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म 'बागबान' की तरह यह भी अगली पीढ़ी की जिम्मेदारियों पर बात करती है.. लेकिन बहुत ही हल्के फुल्के तरीके से।
फिल्म के एक दृश्य में पार्क में बैठे शर्माजी के मित्र (सतीश कौशिक) उनसे कहते हैं, "बागबान का आखिरी सीन अनिवार्य कर देना चाहिए स्कूल, कॉलेजों में.." दोनों के बीच का संवाद सुनकर हमें हंसी आती है, लेकिन वो नहीं हंसते। वो दुखी दिखते हैं।
कहानी
बीजी शर्मा 58 वर्षीय विधुर हैं। जिस कंपनी के लिए वह काम कर रहे थे, वहां से उन्हें वीआरएस दे दी जाती है। जिसके बाद उनका जीवन ठहर सा जाता है। शर्माजी रिटायरमेंट नाम के भय से निपटने के लिए संघर्ष करते हैं। वह प्रासंगिक बने रहने के तरीके ढूंढते रहते हैं, व्यस्त रहने के लिए कुछ ना कुछ घर के काम करते रहते हैं। लेकिन उनके बेटे उनसे खुश नहीं हैं। बड़ा बेटा कहता है "रिटायरमेंट एन्जॉय करो ना पापा, जैसे सब करते हैं.. क्या जरूरत है कोई काम करने की.." जाहिर है वह पिता के दिल में चल रहे असमंजस और अकेलेपन की स्थिति के कोसों दूर है। ऐसे में एक दिन शर्माजी महिलाओं के एक किट्टी ग्रूप के संपर्क में आते हैं, जहां उन्हें अपने खाना पकाने की कला और जुनून का अहसास होता है। यह जुनून उनमें आत्म विश्वास लाता है और उम्मीद भी। लेकिन क्या इस जुनून के साथ वह अपने बेटों के नजरों में अपने लिए सम्मान देख पाएंगे?
अभिनय
यह पहली बार देखा गया है कि एक ही किरदार को दो कलाकारों ने निभाया है। शर्माजी के किरदार में ऋषि कपूर बेहद प्यारे, सच्चे और दमदार लगे हैं। हमेशा की तरह उन्होंने अपने अभिनय से किरदार को एक नई ऊंचाई दे दी है। और उसी ऊंचाई को बनाई रखने की कोशिश की है दिग्गज अभिनेता परेश रावल ने। शर्माजी के किरदार को अपनाने के लिए परेश रावल की तारीफ होनी चाहिए। कॉमेडी हो या भावुक सीन, दोनों अभिनेता शर्माजी के किरदार में गहरे उतरते दिखे हैं।
जूही चावला को स्क्रीन पर देखना बहुत ही बेहतरीन लगता है। ऋषि कपूर के साथ उनकी केमिस्ट्री आपको 90s की फिल्मों में ले जाती है। दोनों के बीच की ट्यूनिंग शानदार लगी है। शर्माजी के बेटों के किरदार में सुहैल नैय्यर, तारुक रैना ने अच्छा काम किया है। वहीं, शीबा चड्डा, आएशा रज़ा, परमीत सेठी आदि ने अपने अभिनय से कहानी को खूबसूरत बनाने में पूरा योगदान दिया है।
निर्देशन
हितेश भाटिया के लिए इस फिल्म का सफर आसान नहीं रहा है। इस फिल्म का लगभग 65-70 प्रतिशत भाग ऋषि कपूर शूट कर चुके थे, जब उनका देहांत हो गया। इसके बाद फिल्म रूक गई थी, लेकिन फिर फिल्म से जुड़े परेश रावल, जिन्होंने उतने ही प्यार से फिल्म पूरी की। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हितेश भाटिया द्वारा लिखी गई इस फिल्म की कहानी इतनी सच्ची और दिल को छूने वाली है कि दोनों कलाकारों को शर्माजी के किरदार में देखना किसी ट्रीट से कम नहीं लगता है। निर्देशक ने एक सिंपल सी कहानी के जरीए एक महत्वपूर्ण मैसेज देने की कोशिश की है.. और इस कोशिश में वो सफल भी रहे हैं। फिल्म में कई संवाद हैं जो परिवार की अहमियत को बताते हैं, जो आज़ाद होकर जीने और जिंदगी में एक पैशन होने की बात करते हैं।
तकनीकी पक्ष
फिल्म की एडिटिंग की है बोधादित्य बनर्जी ने, जो कि एक मजबूत पक्ष है। उन्होंने कहानी को इतने लय में रखा है कि कहीं भी आप बोर नहीं हो सकते। फिल्म काफी बंधी हुई सी है। वहीं, सिनेमेटोग्राफर पीयूष पुटी और हरेन्द्र सिंह ने अपने कैमरे में शर्माजी के घर से लेकर दिल्ली के गलियों और सड़कों को बेहतरीन उतारा है। फिल्म की प्रोडक्शन डिजाइन के लिए निखिल एस कोवले की तारीफ होनी चाहिए।
संगीत
फिल्म का संगीत दिया है स्नेहा खनवालकर ने, जो कि फिल्म का मूड सेट करता है। फिल्म के गाने एक बार सुनकर ही आपके दिमाग में चढ़ने वाले हैं, खासकर फिल्म का टाइटल ट्रैक और लाल टमाटर। खास बात है कि गानों को कहानी में ही बुना गया है, लिहाजा इससे फिल्म की लंबाई प्रभावित नहीं होती।
देखें या ना देखें
फिल्म 'शर्माजी नमकीन' वास्तव में पावरहाउस अभिनेता ऋषि कपूर को श्रद्धांजलि से कहीं अधिक है। जिसे प्रतिभाशाली परेश रावल और जूही चावला द्वारा खूबसूरती से समर्थित किया गया है। फिल्म की कहानी दिल को छूने वाली है, जो आपको हंसाने के साथ साथ भावुक भी करती है। कोई शक नहीं कि ये ऋषि कपूर अभिनीत Must Watch फिल्मों में शामिल होगी।
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