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    फोटोग्राफ फिल्म रिव्यू - नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी चमकते तो हैं लेकिन फिल्म फीकी पड़ जाती है

    By Staff
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    2.5/5

    "सालों बाद ये फोटो देखेंगी मैडम, तो आपको आपके चेहरे पर यही धूप दिखाई देगी, आपके बालों में ये हवा, आपके कानों में हज़ारों लोगों की आवाज़ें, हमेशा के लिए, सब चला जाएगा", रफीक (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) मिलोनी (सान्या मल्होत्रा) से कहता है। रफीक, गले पर एक कैमरा टांगे, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया के सामने लोगों की तस्वीरें खींचता है। यही उसकी रोज़ी - रोटी है।

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    Photograph Movie Review: Nawazuddin Siddiqui | Sanya Malhotra | Ritesh Batra | FilmiBeat

    दूसरी तरफ, वो लड़की यानि कि मिलोनी, चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा की तैयारी कर रही है। कैमरा क्लिक होता है और लड़की बिना पैसे दिए ही कहीं चली जाती है। फोटो की एक कॉपी मिलोनी और दूसरी रफीक के पास रह जाती है।

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    इन दो अजनबियों की ये अचानक हुई छोटी सी मुलाकात, हमें उनके किरदारों और रोज़ की ज़िंदगी के अंदर खींच कर ले जाता है। रफीक एक छोटी सी कोठी में बाकी के मजदूरों के साथ रहता है वहीं मिलोनी एक ऐसी लड़की है जिसके दिल और दिमाग के बीच हमेशा बहस छिड़ी रहती है।

    जब रफीक की दादी (फर्रूख जफ्फार) उसकी शादी के लिए उसके पीछे पड़ जाती हैं तो वो मिलोनी की फोटो दिखाकर, उसे अपनी गर्लफ्रेंड जिसका नाम नूरी है, ऐसा बताकर अपना पीछा छुड़ा लेता है। रफीक किसी तरह मिलोनी से भी गुज़ारिश करता है कि उसकी दादी के लिए ये नाटक कर ले। रफी के बेहतरीन नगमें, तुमने मुझे देखा, बारिश में टहलते और चाय भजिया खाते हुए मिलोनी और रफीक अपनी रोज़ की ज़िंदगी से ऊपर उठ जाते हैं और एक दूसरे के साथ समय बिताने लगते हैं।

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    ये सारा खेल शुरू होता है एक तस्वीर से जो कि रितेश बत्रा की ताज़ा फिल्म है। डायरेक्टर दो बिल्कुल अलग दुनिया से दो किरदार उठाकर लाते हैं और एक कहानी बुनते हैं जो खामोशी से भी काफी कुछ कहना जानती है। इस फिल्म में प्यार या रोमांस की कोई जगह नहीं है। लेकिन बत्रा, इसकी कमी रोमांटिक हिंदी गानों से पूरी करते हैं। वो आपको पूरा मौका देंगे फिल्म में पूरी तरह डूब जाने के।

    लेकिन दुख की बात ये है कि बिल्कुल कम करने के चक्कर में रितेश बत्रा केवल कुछ भावनाओं की सतह छू कर रह गए और आप ये समझ ही नहीं पाएंगे कि मिलोनी और रफीक का रिश्ता आखिर था कैसा। कई कई जगह, फिल्म ज़बरदस्ती खींची हुई लगती है। खासतौर से अगर आपको हौले हौले वाला रोमांस नहीं पसंद तो आप इससे ऊब जाएंगे।

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    अगर अभिनय की बात करें तो नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपने किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाते हैं। हालांकि रितेश बत्रा अपने किरदारों को ज़्यादा गहराई देने से कतराते हुए दिखते हैं। हालांकि अगर इन किरदारों में कुछ और परतें होतीं तो उसके साथ खेलने में मज़ा आता। सान्या मल्होत्रा मिलोनी के किरदार को बड़ी समझदारी से निभाते हुए दिख जाती हैं। हालांकि उनके किरदार में थोड़ी सी और डीटेल होती तो मज़ा ही आ जाता।

    रफीक की दादी के किरदार में फर्रूख ज़फ्फार बिल्कुल किसी पटाखे से कम नहीं लगी हैं और फिल्म की धड़कन हैं। मिलोनी के टीचर की भूमिका में जिम सार्भ की कास्टिंग कहीं ना कहीं गलत लगती है।

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    टिम गिल्स और बेन कुचिन के कैमरे से शहर के दो बिल्कुल उलटे रहन सहन और जगह को देखना शानदार है। जॉन लायन की एडिटिग काफी जगह ढीली पड़ जाती है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर शानदार तरीके से फिल्म के साथ जाता है।

    कहा जाता है कि एक तस्वीर, हज़ार बातें बयान कर देती है। लेकिन रितेश बत्रा की फिल्म में ये बातें अधूरी ही छूट जाती हैं। हमारी तरफ से फिल्म को 2.5 स्टार

    English summary
    Riteish Batra's Photograph starring Nawazuddin Siddiqui and Sanya Malhotra is getting mixed reception from the audience. Some loved the film and the others couldn't understand probably.
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