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    'मांझी द माउंटेन मैन' फिल्म रिव्यू- शानदार, जबरदस्त!

    "कौन कहता है छेद आसमां में हो नहीं सकता..
    एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों.."

    ये पंक्तियां शायद अभी तक आपने सिर्फ सुनी होंगी या कभी किसी को थोड़ा इंसपायर करने के लिए सुनाते हुए भी देखा होगा। लेकिन फिल्म मांझी दि माउंटेन मैन की कहानी कुछ इन्हीं पंक्तियों के इर्द गिर्द बुनी गयी है जिसमें एक शख्स पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाता है।

    किक, बजरंगी भाईजान फिल्मों से कमर्शियली सक्सेस पाने के बाद बॉलिवुड के बेहतरीन एक्टर के रुप में उभरे नवाजुद्दीन सिद्दिकी की एक और बेहतरीन, अवॉर्ड विनिंग फिल्म मांझी दि माउंटेन मैन आज सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज हो रही है।

    मांझी कहानी है एक ऐसे शख्स की जो कि अपनी पत्नी को खो देता है क्योंकि उसके गांव से लेकर शहर तक का रास्ता पहाड़ों से होकर जाता है। आखिरकार अपनी पत्नी को खोने के बाद नवाजुद्दीन सिद्दिकी ये फैसला करता है कि वो पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाएगा, जिसके लिए उसे सालों लग जाते हैं।

    मांझी फिल्म बहुत ही खूबसूरत, दिल को छूने वाली और इमोशनल है। इसकी कहानी, किरदार दर्शकों के दिलों को छू जाएंगे। नवाजुद्दीन ने ये साबित कर दिया कि कमर्शियली कितनी भी सक्सेस पा लें लेकिन उनका अभिनय तो दिखता है मांझी जैसे किरदारो में।

    कहानी

    कहानी

    कहानी कुछ यूं है कि दशरथ (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) के पिता गांव के जमींदार के यहां काम करते हैं बंधुआ मजदूर हैं। दशरथ को वहां काम नहीं करना इसलिए वो भाग जाता है। सालों बाद जब वो वापस आता है। उसकी बचपन में ही फगुनिया (राधिका आप्टे) से शादी हो चुकी है। वापस आकर वो उसे भगा ले आता है। फगुनिया मां बनने वाली होती है कि वो पहाड़ों से गिर जाती है और उसे शहर तक ले जाते जाते मर जाती है। तब दशरथ ये फैसला करता है कि वो पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाएगा ताकि अगली बार किसी के साथ ऐसा ना हो।

    अभिनय
     

    अभिनय

    नवाजुद्दीन सिद्दिकी का अभिनय मांझी फिल्म को किसी भी बड़े सुपरस्टार की फिल्मों से ऊपर ही रखता है। मांझी में दशरथ के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने जैसे जान ही फूंक दी हो। वहीं राधिका आप्टे फगुनिया के किरदार में बेस्ट दिखी हैं। राधिका और नवाजुद्दीन का अभिनय फिल्म की यूएसपी है।

    निर्देशन

    निर्देशन

    केतन मेहता की मांझी- दि माउंटेन मैन फिल्म में निर्देशन के मामले में गलतियां निकालना बेहद मुश्किल है। कुछ गलतियों को नज़रअंदाज किया जा सकता है जिसके बाद मांझी एक परफेक्ट फिल्म है।

    संगीत

    संगीत

    मांझी में दो तीन गाने भी हैं जो कि बहुत ही खूबसूरत हैं। फिल्म की कहानी के साथ ये गाने भी काफी रिलेट करते हैं। म्यूसिक को लेकर किसी भी तरह का कोई एक्सपेरिमेंट नहीं किया गया है।

    लोकेशन

    लोकेशन

    मांझी फिल्म की लोकेशन के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। एक गांव पहाड़ों के साथ चाहिए था जो कि फिल्म में बखूबी दिखाया गया है और जो फिल्म की कहानी के मुताबिक बेस्ट है।

    संवाद

    संवाद

    मांझी के डायलॉग्स ऐसे हैं जो कि काफी इंसपिरेशनल और इंसान को मोटिवेट करने वाले हैं। फिल्म का एक डायलॉग कि भगवान के भरोसे मत रहो क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो। ऐसे ही कई डायलॉग्स हैं जो फिल्म देखने के बाद भी आपके जहन में बस जाएंगे।

    देखें या नहीं

    देखें या नहीं

    माझी- दि माउंटेन मैन एक ऐसी फिल्म है जिसे आप एक नहीं बल्कि कई बार देख सकते हैं। फिल्म नवाजुद्दीन सिद्दिकी के फैंन्स के लिए ट्रीट से कम नहीं है। सिनेमा लवर्स के लिए मांझी एक बेहतरीन और मस्ट वॉच फिल्म है। हमारी तरफ से मांझी को 4.5 स्टार्स

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