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    माधुरी के साथ 'आजा नच ले'

    By Staff
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    इस बात मेंतो कोई दो मत नहीं हैं माधुरी की मोहनी सूरत, खूबसूरती और योग्यता का कोई जवाब नहीं है. उसकी मुस्कान पर आज भी कई दिल धड़कते हैं. एक ऐसी ऐक्ट्रेस जिसने लगभग एक दशक तक दर्शकों के दिल पर राज किया है और अब पाँच सालों के बाद इंडस्ट्री में कदम रखा है. अनिल मेहता द्वारा निर्देशित यशराज फिल्म्स की 'आजा नच ले' से माधुरी एक बार फ़िर अपना वही जादू बिखेरने के लिए तैयार हैं.
    कहानी:

    'आजा नाच ले' की कहानी एक ऐसी औरत के इर्द-गिर्द घूमती है जो न्यूयार्क से अपने गाँव शामली आती है. जिस जगह पर वो पली बढ़ी, इज्ज़त, प्यार और संस्कार के मायने सीखे. अब उसी जगह को कुछ नेता हथिया लेना चाहते हैं. किस तरह वो संघर्ष कर के और गाँव के लोगो को साथ लेकर इसका विरोध करती है. इसी पर आधारित है ये फ़िल्म 'आजा नाच ले'.

    दिया श्रीवास्तव (माधुरी) अपने गाँव शामली आती है अपने गुरु (दर्शन जरीवाला) से मिलने जो अपनी अन्तिम साँसे ले रहे हैं. जब तक वो गाँव पहुँचती हैतब तक उनकी मृत्यु हो चुकी होती है. दिया को उस वक्त एक झटका लगता है जब उसे इस बात का पता चलता है की अजन्ता थिएटर (जहाँ उसने नृत्य की शिक्षा ली थी) को गवर्नमेंट के आदेश से गिरा दिया जाएगा. अपने गुरु के डॉक्टर (रघुवीर यादव) की मदद से दिया अजन्ता थिएटर को बचाने के लिए कमर कस लेती है.

    शामली गाँव के लोगों का दिल जीतते हुए और वहाँ के नेताओं से लड़ते हुए अपने थिएटर के शो के लिए गाँव के लोगों को तैय्यार करना ही इस फ़िल्म की जान है. कैसे वो अजन्ता को बचा पाती है? कहानी इसी पर है.

    रिव्यू:

    फ़िल्म के शुरुवाती १५ मिनट बहुत ही सुस्त हैं. लेकिन जल्द ही कहानी दर्शकों पर अपनी पकड़ ले लेती है.ऑडीशन वाला हिस्सा दिलचस्प और हास्यपद है. इंटरवल के बाद कहानी ड्रामेटिक लगने लगती है और अपनी पकड़ छोड़ने लगती है. माधुरी के किरदार की अपील में कमी आने लगती है. हालांकि अनित मेहता ने अपना बेहतरीन दिया है. कुछ बातें समझ के परे दिखाई गई हैं. जैसे दिया11 सालों के बाद अपने गाँव लौटती है और अपने माँ-बाप के बारे में कुछ भी पता करने की कोशिश नहीं करती. खासकर अन्तिम20-30 मिनट दर्शकों को निरुत्साहित कर देते हैं. लैला-मजनू ड्रामातो बकवास है. दूसरे शब्दों में कहा जाएतो बोर कर देते हैं.

    'आजा नाच ले' की सिनेमाटोग्राफी,डॉयलॉग बेहतरीन हैं. वैभवी मर्चेंट द्वारा बहुत ही उम्दा कोरिओग्राफी की गई है. सलीम और सुलेमान ने फ़िल्म में जो संगीत दिया है वो अपनी छाप नहीं छोड़ पाया है.

    माधुरीपुरी फ़िल्म पर अपनी बेहतरीन एक्टिंग, डांस और खूबसूरती की वजह से छाई रहीं. कोंकोना सेन शर्मा ने अब तक जितनी फिल्में की हैं उनमे 'आजा नाच ले' में उनका सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा. रंग दे बसंती के कुनाल कपूर ने स्वाभाविक प्रदर्शन किया है. अक्षय खन्ना ने बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है. इन सबके अलावा रघुवीर यादव, रणबीर शौरी, दर्शन जरीवाला, इरफान खान, दिव्या दत्ता और दलाई (फ़िल्म मी माधुरी की बेटी) ने अच्छा अभिनय किया है.

    माधुरी की वापसी के लिए 'आजा नाच ले' को सही फ़िल्म नहीं कहा जा सकता. बॉक्स ऑफिस पर ये फ़िल्म कितना धमाल मचा पायेगी. येतो दर्शकों पर ही निर्भर है.

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