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Kahaani 2 Movie Review: विद्या बालन की शानदार वापसी, बेहतरीन फिल्म के साथ!
क्या है हिट - शानदार अभिनय, बेहतरीन पटकथा और कसा हुआ पहला हाफ
मूड ऑफ - फिल्म का जाना पहचाना सा क्लाईमैक्स
कब लें ब्रेक - केवल इंटरवल में
हिट पॉइंट - जब विद्या बालन दीवान परिवार के बारे में सबसे बड़ा राज़ जानती हैं जो कहानी को खोलकर रख देता है।
कहानी 2 के साथ विद्या बालन एक बार फिर स्क्रीन पर हैं और इस बार वो अपने अवतार में वापस आई हैं। वो अवतार जो आपको पलकें भी झपकाने नहीं देता। सांसे रोके बस आप विद्या बालन को देखते रहना चाहते हैं।
फिल्म के हर एक सीन में विद्या बालन ऐसी ही लगी हैं। कहानी की तरह कहानी 2 भी एक शानदार फिल्म है लेकिन पिछली बार विद्या बालन को कहानी ने संभाला था और इस बार कहानी 2 को विद्या बालन ने संभाला है। कहानी 2 के साथ विद्या बालन एक बार फिर स्क्रीन पर हैं और इस बार वो अपने अवतार में वापस आई हैं। वो अवतार जो आपको पलकें भी झपकाने नहीं देता। सांसे रोके बस आप विद्या बालन को देखते रहना चाहते हैं।
जानिए पूरी फिल्म समीक्षा -

प्लॉट
कहानी 2 खुलती है रात के एक सीन के साथ, बंगाल के चंदन नगर में। सुजॉय घोष ने बिना टाइम वेस्ट किए विद्या सिन्हा से मिलवा दिया है और वो रोज़ अपना दिन कैसे बिताती है अपनी लकवाग्रस्त बेटी मिनी के साथ। जैसे पूरे घर की सफाई करना और रविवार को लूडो खेलना।

ट्विस्ट के साथ शुरू होती फिल्म
विद्या मिनी को लेकर हमेशा परेशान रहती है और उसका न्यूयॉर्क में इलाज कराना चाहती है। एक दिन उसकी दुनिया पलट जाती है जब मिनी गायब हो जाती है। थोड़ी देर बाद एक कॉल आता है और विद्या बताए हुए पते पर पहुंचती है। लेकिन वो रास्ते में एक्सीडेंट का शिकार होती है और कोमा में चली जाती है। यहीं से शुरू होती है कहानी 2।

अर्जुन रामपाल की एंट्री
अर्जुन रामपाल की एंट्री एक इंस्पेक्टर के किरदार में होती है जो ये जानकार हैरान हो जाता है कि विद्या सिन्हा दुर्गा रानी सिंह है। एक क्रिमिनल जिसे किडनैप और मर्डर के लिए ढूंढा जा रहा है। विद्या के घर से इंदरजीत को एक डायरी मिलती है जिसमें काफी राज़ लिखे हैं और वो हर कड़ी जोड़ने की कोशिश करने लगता है।

निर्देशन
पहली कहानी जहां एक प्रेगनेंट औरत के इर्द गिर्द बुनी गई थी वहीं सुजॉय की नई कहानी ऐसा टॉपिक है जिसे अनदेखा कर दिया जाता है। हालांकि उनकी कला यही है कि ऐसे विषय को इतने अच्छे ढंग से उठाया है कि कुछ भी दिखाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। हालांकि फिल्म में नॉर्मल बॉलीवुड का डोज़ है लेकिन सुजॉय का निर्देशन इसे अलग बनाता है। इस बार बॉब बिस्वास का नमस्कार...एक मिनट, एक महिला से बदल दिया गया है जो ये सेफ है बोलते ही कांड कर देतीह ै।

अभिनय
विद्या बालन ने एकदम सॉलिड अभिनय की पहचान दी है। और वो साबित कर देती हैं कि वो विद्या बालन क्यों हैं। डर, परेशानी, गुस्सा सब कुछ एक ही किरदार में बखूबी उड़ेल दिया गया है। हर फ्रेम दिलचस्प है और आप उन्हें और देखना चाहेंगे।
वहीं अर्जुन रामपाल फिल्म को बांधते हैं और उनका मुरझाया सा मज़ाकिया लहज़ा फिल्म में जान डाल देता है।

सपोर्टिंग कास्ट
जुगल हंसराज बिल्कुल चौंकाने वाले अंदाज़ में दिखेंगे और उनके पूरे करियर में पहली बार उन्हें स्क्रीन पर देखकर आपको मज़ा आ जाएगा। नाएशा खन्ना ने भी अपने किरदार में जान डाली है। खासतौर से विद्या के साथ उनकी केमिस्ट्री परदे पर बेहद खूबसूरत दिखी है।

तकनीकी पक्ष
कहानी 2 का पहला हाफ शानदार है जो आपको सांस भी नहीं लेने देगा। स्क्रीनप्ले बेहद कसा हुआ है। लेकिन दूसरे हाफ में सब खुलने लगता है और कहानी छूटने लगती है। आप सरप्राइज़ का इंतज़ार करेंगे लेकिन जो आपने सोचा वही होगा। क्लाईमैेक्स काफी ठंडा है। ऐसा लगेगा कि बिरयानी की जगह दाल चावल खाना पड़ा।

अच्छी एडिटिंग
नम्रता राव की एडिटिंग फिल्म को बचाती है। और अच्छा बनाती है। वहीं तपन बासु का फिल्मांकन कोलकाता को ऐसे दिखाता है जैसे कहानी में दिखना चाहिए था। कोलकाता जो कहानी के हिसाब से है ना कि रंगीन सा।

म्यूज़िक
फिल्म में गानों की कोई जगह नहीं थी और फिल्म में गाने नहीं है। वहीं बैकग्राउंड म्यूज़िक थोड़ा बेहतर किया जा सकता है लेकिन एक सस्पेंस थ्रिलर का पूरा डोज़ बैकग्राउंड म्यूज़िक ने दिया है।

नतीजा
फिल्म को हमारी तरफ से 3 स्टार लेकिन वो इसकी तकनीकी खामियों के लिए। आप फिल्म को ज़रूर देखिए क्योंकि अगर सस्पेंस में मज़ा आता है तो कहानी और विद्या दोनों आपका दिल जीतेंगे।