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जुग जुग जियो फिल्म रिव्यू- इस रिलेशनशिप ड्रामा की जान हैं अनिल कपूर और नीतू कपूर
निर्देशक- राज मेहता
कलाकार- अनिल कपूर, नीतू कपूर, वरुण धवन, कियारा आडवाणी, मनीष पॉल, प्राजक्ता कोली, टिस्का चोपड़ा
"इतने सालों का रिश्ता आदत बन जाता है और आदत जैसी भी हो, उसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है.." आंखों में आंसू लिए गीता (नीतू कपूर) अपनी बहू नैना (कियारा आडवाणी) से कहती है। शादी और तलाक के बीच बंधे कच्चे डोर की कहानी इससे पहले भी हिंदी फिल्मों में दिखाई गई है, लेकिन जुग जुग जियो इस विषय को थोड़ी कॉमेडी, थोड़ी इमोशंस और काफी ड्रामा के साथ रखती है। यह बताती है कि किसी रिश्ते में प्यार के साथ साथ सम्मान और विश्वास होना भी कितना जरूरी है।
राज मेहता एक ही परिवार में दो तलाक की कहानी को कहानी को कॉमेडी में लपेटकर, लेकिन संवेदनशीलता के साथ परोसने की कोशिश करते हैं। क्या वो इस कोशिश में सफल होते हैं? हां भी और नहीं भी। फिल्म की शुरुआत इमोशंस के मामले में काफी कमजोर दिखती है, लेकिन धीरे धीरे जैसे कहानी अपनी पकड़ बनाती है, सारे भाव भी खुलकर बाहर आते हैं। इसका क्रेडिट फिल्म के कलाकारों को भी जाता है। अनिल कपूर और नीतू कपूर के बीच की केमिस्ट्री बेहद दिलचस्प है और आपको लगातार बांधे रखती है।
कहानी
बचपन से जवानी तक प्यार में रहे कूकू (वरुण धवन) और नैना की जिंदगी शादी के पांच सालों में ही बदलने लगती है। उनके बीच की समस्याएं इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि दोनों अलग होने का फैसला ले लेते हैं। लेकिन उनका संघर्ष तब शुरु होता है कि जब ये खबर उन्हें परिवार वालों के सामने बतानी होती है। वह तलाक की खबर देने के लिए कनाडा से भारत आते हैं, लेकिन उन्हें इसका अंदाजा नहीं होता है कि यहां उससे भी बड़ा झटका उनका इंतजार कर रहा है। कूकू को पता चलता है कि उसके पिता भीम (अनिल कपूर) भी अपनी पत्नी गीता (नीतू कपूर) को छोड़ने का प्लान बना रहे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि उनकी ज़िंदगी में एक दूसरी औरत भी है। इस बीच कूकू की बहन गिन्नी (प्राजक्ता कोली) की शादी होने वाली है। लेकिन जिस घर में दो- दो तलाक होने की बात चल रही हो, वहां क्या किसी नए रिश्ते की शुरुआत हो पाएगी? इसी कथानक के इर्द गिर्द घूमती है पूरी कहानी।
अभिनय
अनिल कपूर और नीतू कपूर अपने किरदारों को पूरी तरह से एन्जॉय करते नजर आए हैं। कॉमेडी सीन्स में जहां अनिल कपूर लाइमलाइट ले जाते हैं, वहीं इमोशनल सीन्स में नीतू कपूर आंखें नम कर जाती हैं। वो अपने किरदार में पूरी तरह से फिट दिखी हैं। वहीं परिवार के हेड और पितृसत्ता के जीते जागते उदाहरण बने भीम के किरदार में अनिल कपूर बहुत सहज नजर आए हैं। वरुण धवन और कियारा आडवाणी की उपस्थिति अच्छी लगती है। कूकू और नैना के किरदार में दोनों ने बढ़िया प्रदर्शन किया है, लेकिन सेकेंड हॉफ में जाकर ही इनके किरदार मजबूत हुए हैं। प्राजक्ता कोली ने इस फिल्म के साथ हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया है और इस फिल्म में वो आत्मविश्वास से भरपूर नजर आई हैं। मनीष पॉल को मुख्य तौर पर कॉमेडी सीन्स ही मिले हैं, जिनमें वो ध्यान खींचते हैं।
निर्देशन
फिल्म की कहानी औसत है, लेकिन राज मेहता रिश्तों से जुड़े कई मुद्दों को जोड़ते हुए आगे बढ़ते हैं ताकि कहानी में नयापन बना रहे। मेकर्स लगभग हर रूढ़ीवादी भारतीय समस्या को शामिल लेते हैं। कामकाजी महिला से दुखता मेल ईगो, 'शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा' वाली सोच, 'शादी तो लोग सेटल होने के लिए ही करते हैं' वाली सोच और 'खुशखबरी' देने के लिए शादीशुदा कपल को प्रताड़ित करना.. फिल्म कई मुद्दों पर हल्के से प्रकाश डालती है। इससे पहले फिल्म 'गुड न्यूज' में भी राज मेहता ने कॉमेडी के साथ काफी गंभीर विषय को सामने रखा था। लेकिन 'जुग जुग जियो' कॉमेडी से कहीं ज्यादा इमोशंस पर फोकस करती है। जो कि कहीं कहीं फिल्म के निगेटिव में भी काम करती है।
तकनीकी पक्ष
फिल्म के संवाद लिखे हैं ऋषभ शर्मा ने, जिस पर थोड़ा और काम किया जा सकता था। खास कॉमेडी वाले हिस्से को थोड़ा और मजबूत बनाने की गुजांइश थी। जय पटेल की सिनेमेटोग्राफी औसत है और कहानी में कुछ खास नहीं जोड़ पाती है। वहीं, मनीष मोरे भी एडिटिंग से कहानी को थोड़ा और चुस्त कर सकते थे।
संगीत
फिल्म में चार गाने हैं और ये पहले से ही काफी धूम मचा रहे हैं। खास बात है कि.. नाच पंजाबन, रंगीसारी, दुपट्टा और नैन ता हीरे.. चारों गाने चार अलग अलग मूड सेट करते हैं और बड़े पर्दे पर आकर्षक दिखते हैं। फिल्म का संगीत दिया है मिथुन, कविता सेठ- कनिष्क सेठ, तनिष्क बागची, विशाल शेलके ने।
देखें या ना देखें
अपने किरदारों की तरह 'जुग जुग जियो' में भी कुछ खामियां हैं। कहीं मजबूत दिखती है तो कहीं कमजोर, लेकिन यह कहानी परिवार के बारे में है और आपको अंत तक बांधे रखने से नहीं चूकती है। वो कहते हैं ना अंत भला तो सब भला.. फिल्मीबीट की ओर से 'जुग जुग जियो' को 3 स्टार।