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जयेशभाई जोरदार फिल्म रिव्यू- महत्वपूर्ण विषय और जोरदार रणवीर सिंह, लेकिन कमजोर कहानी करती है बोर
निर्देशक- दिव्यांग ठक्कर
कलाकार- रणवीर सिंह, शालिनी पांडे, रत्ना पाठक शाह, बमन ईरानी
"ये समाज सिर्फ हमारे पाप- पुण्य का हिसाब करने में लगा है.. प्यार का हिसाब कोई नहीं रखता.." महिलाओं के बीच आंखों में आंसू लिये जयेशभाई (रणवीर सिंह) कहता है। अपनी अजन्मी बेटी और पत्नी को पितृसत्तात्मक समाज के बचाने के लिए वो हर संभव कोशिश करता है। वह कोई alpha male नहीं है, ना ही सौ लोगों से एक साथ लड़ सकता है.. लेकिन दृढ़ निश्चयी है। नवोदित निर्देशक दिव्यांग ठक्कर ने भ्रूण हत्या जैसे विषय के साथ फिल्म इंडस्ट्री को एक नए तरह का हीरो देने की कोशिश की है। वह दमदार, एक्शन हीरो के खाके को बदलते नजर आए हैं।
फिल्म लैंगिक रूढ़िवादिता, असमानता और कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक मुद्दों पर सवाल उठाने के लिए हास्य और व्यंग्य का सहारा लेती है। यहां निर्माता- निर्देशक की मंशा सही है, लेकिन कमजोर लेखन फिल्म को प्रभावी बनाने में असफल रहता है। रणवीर सिंह जैसे दमदार अभिनेता भी इस कहानी को ऊपर नहीं उठा पाए हैं। कई जगहों पर कॉमिक पंच बिल्कुल काम नहीं करता, जैसे कि जयेशभाई का पप्पी (चुंबन) मोनोलॉग। कथानक को देखते हुए, आप धैर्य के साथ दिल छूने वाले क्षणों की प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता।

कहानी
गुजरात के एक काल्पनिक गांव में अपने परिवार के साथ रहता है जयेशभाई.. एक नम्र स्वभाव का असहाय पति, जो अपनी पत्नी मुद्रा (शालिनी पांडे) और 9 वर्षीय बेटी को अपने माता- पिता और पितृसत्तात्मक समाज से किसी भी हाल में बचाना चाहता है। मुद्रा गर्भवती है और परिवार वालों को किसी भी हाल में इस बार बेटा ही चाहिए। लड़के के चक्कर में 6 बार गर्भपात करा चुकी मुद्रा के लिए यह आखिरी मौका है। वह इसके लिए खुद को दोषी मानती है, लेकिन जयेशभाई हर मौके पर उसके साथ खड़ा होता है। वह एक्शन हीरो नहीं है, लेकिन इरादों का पक्का है। ऐसे में क्या वह समाज और व्यवस्था से लड़कर अपनी अजन्मी बेटी को बचाने और अपने गांव की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कुछ साहस जुटा पाएगा! इसी के इर्द गिर्द घूमती है पूरी कहानी।

अभिनय
फिल्म का मजबूत पक्ष है इसके स्टारकास्ट। रणवीर सिंह एक बेहतरीन अभिनेता हैं और उन्होंने हर फिल्म के साथ यह साबित किया है। जयेशभाई के रोल में रणवीर परफेक्ट लगे हैं। पितृसत्तात्मक समाज के रक्षक बने बमन ईरानी से आपको नफरत हो जाएगी, और यही उनकी जीत है। उनके अभिनय में एक सहजता है। वहीं, जयेश की मां के रूप में रत्ना पाठक शाह एक ही समय में पूरी तरह से मजबूत लेकिन असहाय हैं। काश उनके किरदार पर निर्देशक ने थोड़ा और काम किया होता। वहीं, नवोदित अदाकारा शालिनी पांडे ने अच्छा काम किया है, लेकिन यहां उनके अभिनय के रेंज को परखने के लिए ज्यादा कुछ है ही नहीं।

निर्देशन
यह दिव्यांग ठक्कर की पहली फिल्म है। लेकिन यहां वो कुछ खास प्रभावित करते नजर नहीं आए। फिल्म के लेखन और निर्देशन, दोनों की जिम्मेदारी दिव्यांग पर थी और दोनों ही पक्षों में वो औसत रहे। कन्या भ्रूण हत्या जैसे दमदार विषय पर बनी ये फिल्म ढ़ीली पटकथा की वजह से आपको बांधे रखने में फेल होती है। फिल्म की शुरुआत एक अच्छे सिरे से होती है, फर्स्ट हॉफ तक बढ़िया अदाकारी और विषय दिलचस्पी जगाए रखता है, लेकिन सेकेंड हॉफ में निर्देशक एक साथ इतने सारे मुद्दे डालने की कोशिश करते दिखे हैं, जो वो बोर करती है। भ्रूण हत्या, पितृसत्ता, स्त्री-पुरुष के बीच समानता, घरेलू हिंसा.. सभी टॉपिक को अलग अलग से छूने की कोशिश की गई है, जो कि फिल्म को एक उपदेश की तरह बना देता है। इन विषयों पर हमने पहले भी कई दमदार हिंदी फिल्में देखी हैं.. लिहाजा यहां नयेपन की दरकार थी.. जो मिसिंग है।

तकनीकी पक्ष
फिल्म की पटकथा काफी ढ़ीली है, लेकिन नम्रता राव की कसी हुई एडिटिंग फिल्म को थोड़ी बेहतर बनाती है। जयेशभाई जोरदार सिर्फ 2 घंटे की फिल्म है, जो फिल्म के फेवर में काम करता है। सिद्धार्थ दिवान की सिनेमेटोग्राफी भी ठीक ठाक है और एक तरह से फिल्म का मूड सेट करती है। संचित बलहारा का बैकग्राउंड स्कोर औसत है।

संगीत
फिल्म का संगीत कंपोज किया है विशाल- शेखर ने, जो कि औसत है। लेकिन अच्छी बात है कि गाने कहानी के साथ साथ चलती हैं। 'धीरे धीरे सीख जाउंगा' और 'फायरक्रैकर' कुछ समय के लिए ध्यान खींचती है, लेकिन प्रभाव नहीं छोड़ पाती। कभी यशराज बैनर की फिल्में अपनी संगीत के लिए सालों साल सुर्खियों में रहती थीं, लेकिन अब गाने कब आते हैं और जाते हैं, कोई खबर नहीं होता।

देंखे या ना देंखे
कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर और संवेदनशील विषय पर बनी ये फिल्म एक समय के बाद काफी उपदेशात्मक हो जाती है, जहां जबरदस्ती एंटरटेनमेंट ठूंसा गया लगता है। रणवीर सिंह, बमन ईरानी, रत्ना पाठक शाह और शालिनी पांडे के बेहतरीन अभिनय के बावजूद फिल्म प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं होती है। फिल्मीबीट की ओर से 'जयेशभाई जोरदार' को 2.5 स्टार।