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    'अ थर्सडे' मूवी रिव्यू: रोमांच और इमोशन्स भरे इस थ्रिलर फिल्म की सरप्राइज पैकेज हैं यामी गौतम

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    Rating:
    3.0/5

    निर्देशक- बेहज़ाद खंबाटा
    कलाकार- यामी गौतम, अतुल कुलकर्णी, नेहा धूपिया, करणवीर शर्मा, डिंपल कपाड़िया
    प्लेटफॉर्म- डिज़्नी प्लस हॉटस्टार

    "जब तक कान में चीखकर कोई बात ना बोलो ना, लोग पलटकर तक नहीं देखते", प्लेस्कूल के 16 बच्चों का अपहरण करने वाली 30 वर्षीय टीचर नैना जैयसवाल (यामी गौतम) कहती है। बच्चों की जान के बदले वह सरकार के सामने अपने कुछ खास मांग रखती है। यह घटना न केवल मुंबई पुलिस, मीडिया और शहर को हिला देता है, बल्कि पूरे देश और राजनेताओं को भी असमंजस में डाल देता है।

    a-thursday-movie-review-yami-gautam-atul-kurkarni-film-is-high-on-thrill-and-emotions

    जबसे इस फिल्म की घोषणा हुई थी, इसे 2008 में आई नीरज पांडे निर्देशित 'ए वेडनेसडे' से जोड़ा जा रहा था। लेकिन बता दें, ये फिल्म ना उसकी सीक्वल है, ना प्रीक्वल है। दोनों बिल्कुल दो अलग फिल्में हैं, लेकिन हां 'अ थर्सडे' का मूल कथानक आपको उस फिल्म की याद दिलाता है। निर्देशक ने यहां संवादों के जरीए कई विषयों को छूआ है, जैसे कि भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, मीडिया, महिलाएं, राजनीति। फिल्म 17 फरवरी को डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो रही है।

    कहानी

    कहानी

    टीचर नैना (यामी गौतम) तीन हफ्ते की छुट्टी से वापस प्लेस्कूल आई है। वह अपने मंगेतर रोहित मीरचंदानी (करणवीर शर्मा) के घर पर ही प्लेस्कूल चलाती है। रोजाना की तरह वह सभी पैरेंट्स को एक विश्वास के साथ घर वापस भेजती है, बच्चों के साथ खेलती है, उन्हें पढ़ाती है। लेकिन जल्द ही उसके चेहरे के हाव भाव बदल जाते हैं और जाहिर हो जाता है कि यह 'थर्सडे' कोई आम थर्सडे नहीं होने वाला। घर पर बच्चों के साथ अकेले, हाथों में पिस्तौल लिए वह पुलिस इंस्पेक्टर जावेद खान (अतुल कुलकर्णी) को कॉल करती है और चेतावनी जारी करती है कि उसने 16 बच्चे, एक हेल्पर और एक ड्राइवर को बंधक बना लिया है। यदि उसकी मांगे पूरी नहीं होती है, जो हर घंटे एक बच्चा अपनी जान से हाथ धोएगा। मुंबई पुलिस, भारत की प्रधानमंत्री (डिंपल कपाड़िया) और नैना के बीच के इस एक दिन पर बनी है 'अ थर्सडे'.. उसकी क्या मांगे हैं और क्या उसे पूरा किया जाता है, इसे निर्देशक ने दो घंटों में समेटा है।

    निर्देशन

    निर्देशन

    बेहज़ाद खंबाटा फिल्म के पहले दृश्य से ही एक टोन सेट कर देते हैं। फिल्म एक संस्पेंस- थ्रिलर है जो कि धीरे धीरे जाकर एक गंभीर प्रासंगिक मुद्दे से जुड़ती है। फिल्म में एक अहम बैकस्टोरी है। निर्देशक विषय को लेकर संवेदनशील हैं, शायद इसीलिए कहीं ना कहीं फिल्म के संस्पेंस पर इमोशन्स भारी पड़ती है; खासकर सेकेंड हॉफ में। कहानी में प्रधानमंत्री के किरदार से जुड़ा कुछ हिस्सा थोड़ा अविश्वनीय लगता है। लेकिन फिल्म की पटकथा इतनी बंधी हुई है कि आपका ध्यान नहीं भटकाती। 2 घंटें तक आपको ये कहानी बांधे रखती है।

    अभिनय

    अभिनय

    नैना के रोल में यामी गौतम ने बेहतरीन काम किया है। उनके चेहरे पर हर पल बदलते हाव भाव फिल्म में कम संवाद होने की भरपाई करते हैं। बच्चों के साथ मासूमियत से बात करते करते वह कब अपनी आंखों में एक जुनून और बर्बरता ले आती हैं, देखना दिलचस्प है। निर्देशक ने यामी को यहां अपने एक्सप्रेशंस के साथ खेलने का पूरा मौका दिया है और अभिनेत्री ने किरदार के साथ पूरा न्याय भी किया है। पुलिस के रोल में अतुल कुलकर्णी दमदार हैं। उनकी अभिनय की क्षमता से सभी वाकिफ हैं। और इस फिल्म में भी उन्होंने अपने किरदार में पूरी जान डाल दी है। प्रेग्नेंट एसीपी कैथरीन अल्वारेज़ के किरदार नेहा धूपिया सराहनीय हैं। डिंपल कपाड़िया, करणवीर शर्मा, कल्याणी मुले और माया सराओ ने अपनी अपनी भूमिका में अच्छा काम किया है।

    तकनीकी पक्ष

    तकनीकी पक्ष

    एक संस्पेंस- थ्रिलर फिल्म के सबसे महत्वपूर्ण पक्षों में होता है बैकग्राउंड स्कोर, जिसे दिया है रोशन दलाल और कायज़ाद घेरदा ने। यहां फिल्म थोड़ी कमजोर पड़ती है। कुछ दृश्यों में बैकग्राउंड स्कोर शोर जैसा लगता है। सुमित कोटियान की एडिटिंग फिल्म को बांधती है। डायलॉग्स लिखे हैं विजय मौर्य ने, जो कि अच्छे हैं। हालांकि जैसा फिल्म का विषय है, इसमें कुछ और दमदार और प्रभावी संवाद डाले जा सकते थे। जो कि दर्शकों के दिमाग में लंबे समय तक टिकते। अनुजा राकेश धवन और सिद्धार्थ वसानी की सिनेमेटोग्राफी औसत है। फिल्म का ज्यादातर हिस्सा एक ही घर में गुजरता था, जिससे काफी दमदार संस्पेंस क्रिएट किया जा सकता था। लेकिन लगातार क्लोज अप शॉट्स के जरीए थ्रिल पैदा करने की कोशिश करना यहां काम नहीं करता है।

    देखें या ना देखें

    देखें या ना देखें

    यामी गौतम और अतुल कुलकर्णी के दमदार परफॉमेंस के साथ इस वीकेंड एक अच्छी संस्पेंस- थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो 'अ थर्सडे' जरूर देख सकते हैं। फिल्मीबीट की ओर से फिल्म को 3 स्टार।

    English summary
    A Thursday Movie Review: Yami Gautam and Atul Kulkarni's film is high on thrill and emotions with powerful performances. Film directed by Behzad Khambata.
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