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    आज के भारत का दर्पण

    By Staff
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    आज के भारत का दर्पण

    पवन सिंह अतुल

    बीबीसी संवाददाता

    भारी चुनौतियों और ताक़तवर दुश्मन पर फ़तह हासिल करने वाले किरदारों की कहानियां गढ़ने वाले फ़िल्म निर्देशक एन चंद्रा इस बार एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो हमें ‘आधुनिक भारत का दर्पण’ दिखाएगी.

    फ़िल्म का नाम है- ये मेरा इंडिया.

    एन चंद्रा के विद्रोही नायक को आप तेज़ाब, अकुंश, कगार, तेजस्विनी, नरसिम्हा और प्रतिघात में देख चुके हैं.

    फ़िल्म की कहानी बारह किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है. फ़िल्म दिन के प्रमुख समाचार से शुरु होती है. इस समाचार से बारह लोगों का संबंध है. इन्हीं लोगों के जीवन के सहारे एन चंद्रा ने आज के भारत के सरोकारों पर ये कहानी बुनी है.

    ये फ़िल्म मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में लोग जिन समस्यों से हर रोज़ दो-चार होते हैं, उन्हीं समस्यों पर अपना नज़रिया पेश करेगी.

    एन चंद्रा ने बीबीसी को बताया कि वो इस फ़िल्म के ज़रिए मौजूदा भारत में उठ रहे कई ज्वलंत सवालों का जवाब ढूंढ़नें की कोशिश करेगी.

    उन्होंने कहा, "हमें मुद्दों को ठंडे बस्ते में डालने की आदत पड़ गई है.ये फ़िल्म इन मुद्दों को उठाकर, इनका हल ढूंढ़ना चाहती है. हमारे समाज में धार्मिक, सामाजिक, और क्षेत्रिय भेदभाद है. इन भेदभावों के बावजूद कैसे मुसीबत के समय सब एक हो जाते हैं ये फ़िल्म इसी कहानी को बयान करती है. ज़रुरत इस भारतीयता को आगे लाने और भेदभावों को पीछे धकेलने की है."

    एन चंद्रा ने कहा कि फ़िल्म का शीर्षक ये मेरा इंडिया इंटरवल तक एक कटाक्ष के रुप में है और फ़िल्म ख़त्म होते होते ये कटाक्ष एक गर्व में तबदील हो जाता है.

    इतने गंभीर मुद्दों के बावजूद एन चंद्रा का दावा है कि फ़िल्म काफ़ी मनोंरंजक होगी जो सभी वर्गों को भाएगी.

    अनुपम खेर ने कहा, "ये फ़िल्म एक दर्पण है जो हमें दिखाता है कि आधुनिक भारत में हम किस दौर से गुज़र रहे हैं." उन्होंने कहा कि ये हिंदुस्तान की दिल की कहानी है.

    खेर ने कहा कि ये फ़िल्म कुछ सवाल उठाती है और सबसे बड़ा सवाल ये कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए.

    ये मेरा इंडिया के दूसरे अभिनेता राजपाल यादव ने बीबीसी को बताया, "फ़िल्म की पृष्ठभूमि, भाव, सोच अहम होते हैं, चाहे हम कॉमेडी करें या गंभीर फिल्म करें. ये फ़िल्म गंभीर भले ही लग रही हो लेकिन इस फ़िल्म के किरदार हमें ये सवाल पूछने पर मजबूर कर देंगे कि क्या हम वाकई 2009 में हैं?"

    एन चंद्रा की फ़िल्म तेज़ाब की फैन अभिनेत्री पेरीज़ाद जोराबिआन भी इस फ़िल्म है.

    उन्होंने बीबीसी को बताया, "ये मेरा इंडिया एक बहुत ही हार्ड हिटिंग, इमानदार और वास्तविकता के नज़दीक फ़िल्म है. और जैसे ही मुझे पता चला कि इस फ़िल्म इतने बड़े-बड़े दिग्गज हैं तो मैं कैसे हां ना बोलती."

    सितारे नहीं कलाकार

    एन चंद्रा की इस फ़िल्म में चाहे बॉक्स ऑफ़िस पर राज़ करने वाले सितारे ना हों लेकिन ऐसे मंजे हुए कलाकार हैं जिनके अभिनय का लोहा सभी मानते हैं.

    एन. चंद्रा ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने कहानी लिखने के बाद हर किरदार के दो-तीन संभावित अभिनेताओं की सूची तैयार की थी.

    उन्होंने कहा कि सौभाग्य से उन्हें लगभग हर रोल के लिए अपनी पहली पसंद से ही स्वकृति मिल गई.

    इस फ़िल्म में अनुपम खेर, राजपाल यादव, सीमा विस्वास, रजित कपूर, सारिका,सायाजी शिंदे, विजय राज़, मिलिंद गुनाजी जैसे जाने-माने एक्टर हैं.

    सामाजिक संदेश

    एन चंद्रा की कुछ फ़िल्में अपने ज़बरदस्त सामाजिक संदेश के लिए जानी जातीं हैं. अंकुश में बेरोज़गार नौजवान ग़लत राह पर चलते-चलते, कैसे एक परिवर्तन का माध्यम बन जाते हैं ये इसका उदाहरण है.

    उन्होंने बीबीसी को बताया, "मुझे ये यक़ीन होना चाहिए कि कहानी के ज़रिए में समाज से कुछ कह रहा हूं."

    वो कहते हैं, "इसका बाप मर गया, मां मर गई, नौकरी मिल गई, फिर शादी हो गई और फिर वो मर गया…ऐसी कहानियों में कुछ संदेश नहीं है."

    उनका कहना है कि संदेश मनोंरजन के साथ बुना हुआ होना चाहिए ताकि सिनेमा की भावुकता भी बची रहे और लोग कुछ सीख भी ले सकें.

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