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'आपकी आवाज आपका सबसे बड़ा हथियार है और आपको इसका संभल कर इस्तेमाल करना चाहिए' : भूमि पेडनेकर
इसमें कोई शक नहीं कि यंग बॉलीवुड स्टार भूमि पेडनेकर आज बॉलीवुड की सबसे सजग और सचेत सेलेब्रिटी हैं। वह अपने सोशल मीडिया एडवोकेसी प्लेटफॉर्म 'क्लाइमेट वारियर' को सफलतापूर्वक चला रही हैं, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के बारे में लोगों को शिक्षित करना है। भारत में कोविड-19 के संकट की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने 'कोविड वारियर' नामक पहल भी शुरू की है, जिसने पूरे भारत में अनगिनत लोगों की जान बचाई है। भूमि क्लाइमेट की जबर्दस्त पैरोकार हैं, जिन्होंने भारत के लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाकर पृथ्वी को बचाना अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया है।
भूमि कहती हैं कि मुझे लगता है कि मेरा जर्रा जर्रा, यहां तक कि आज मेरी जो शख्सियत है, वह भी मेरी जिंदगी के अनुभवों का कुल योग है, और इनमें से अधिकतर अनुभव वहां से निकले हैं, जो मैंने अपने घर में देखा। मुझे याद है कि जब हम बच्चे थे और मैं स्कूल में थी, तब हमारे देश पर एक प्राकृतिक आपदा आई थी।
उस वक्त हमारे माता-पिता हम लोगों को डोनेशन जमा करने के लिए भेजा करते थे ताकि हम आपदा के मारे लोगों का कर्ज उतार सकें। तो मैं यह सब बहुत छोटी उम्र में देख चुकी हूं। मैंने देखा है कि मेरे पिता हमेशा अपनी कम्युनिटी की मदद करने के लिए आगे आते थे और मैंने देखा है कि मेरी मां अपने आसपास के लोगों के साथ गहरी सहानुभूति रखती थीं।
तो मेरा खयाल है कि उनके जरिए यह चीज मुझ तक बड़े स्वाभाविक ढंग से पहुंची है, और मुझे लगता है कि यह बड़ी अहम बात है। मैं समझती हूं कि बचपन की देखी और सीखी हुई हर चीज पर ही हम बड़े होकर अमल करते हैं। मैं अपने माता-पिता की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे लिए इस दुनिया के दरवाजे खोले।
कलाकार होने के नाते आवाज ज्यादा बुलंद
भूमि पेडनेकर कहती हैं कि मुझे लगता है कि जब आप किसी सत्ता के स्थान पर होते हैं या किसी प्रभावित करने वाली जगह पर बैठे होते हैं, तो कर्ज उतारना खास तौर पर आपका कर्तव्य बन जाता है। मतलबी बनना और आपने जो भी हासिल किया है, उसे पूरा का पूरा अपने पास रख लेना उचित नहीं है।
मैं समझती हूं कि आर्टिस्ट और एक्टर, खासकर मैं आज जिस मकाम पर हूं, वहां उन अनगिनत लोगों की वजह से पहुंची हूं, जिन्होंने मेरी कला को सराहा है और जिन्होंने मेरी एक्टिंग को पसंद किया है। मैं उन लोगों को नजरअंदाज कर ही नहीं सकती। उनका कर्ज उतारना मैं अपनी जिम्मेदारी समझती हूं और अपनी पर्सनल लाइफ में विभिन्न तरीकों से यह करने की कोशिश करती हूं।
अपनी फिल्मों के माध्यम से भी मैं ऐसा ही करने का प्रयास करती हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि मेरे काम और मेरी कला में उस चीज की झलक मिलनी चाहिए, जिस पर मैं यकीन करती हूं। इसकी मुराद मुझसे या मेरे द्वारा निभाए जाने वाले किरदारों से नहीं है, लेकिन आखिरकार कहानी का नैरेटिव मेरी ऑडियंस के द्वारा चीजों को देखे जाने के नजरिए में कुछ हद तक सकारात्मक परिवर्तन लाता ही है।
क्लाइमेट चेंज जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दें
भूमि ने कहा कि मुझे लगता है कि क्लाइमेट चेंज ऐसी चीज है, जो मेरे लिए बड़ी पर्सनल है। मेरे पास सवाल हमेशा मौजूद रहते हैं। जब मैं 8 या 9 साल की थी तो सोचा करती थी कि अगर पृथ्वी का जल-स्तर बढ़ जाए तो क्या होगा? या अगर किसी दिन हमारा प्लेनेट बहुत गर्म हो गया, तो क्या होगा? क्योंकि स्कूल में ये बातें आपको सिखाई जाती हैं, और यही वे बातें थीं जो मेरे साथ रह गईं। जब हम बड़े हो रहे थे तो हमसे कहा जाता था कि बिजली बरबाद न करें और कई बार ऐसा भी होता था कि हमें कॉल करके गीजर चालू रह जाने की याद दिलाई जाती थी।
मेरा घर जरूरत से ज्यादा खपत करने वाला घर नही था। मेरे माता-पिता हमें खाना बरबाद नहीं करने देते थे और सुनिश्चित करते थे कि हम प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल न करें। तो हमेशा जिम्मेदारी से खपत करने की आदत हमारे मन में बिठाई गई थी। मेरे खयाल से इसी आदत के चलते मैं हमेशा इस तथ्य से परिचित रही हूं कि क्लाइमेट चेंज का फिनॉमिना कई सालों से घटित हो रहा है।
लेकिन चूंकि पिछली कुछ पीढ़ियों से हमारी बुरी आदतों के चलते इसने रफ्तार पकड़ ली है और उस स्तर पर जा पहुंचा है कि जैव-विविधता का संतुलन बिगड़ गया है। कुदरत के द्वारा कायम रखी जाने वाली जैव-विविधता पूरी तरह से असंतुलित हो चुकी है। और इसी तथ्य ने मुझे सचमुच चिंतित कर रखा है। हालांकि 'क्लाइमेट वारियर' को अस्तित्व में आए 2 साल हो चुके हैं, इसके बावजूद मैं हमेशा से इस मुद्दे पर काम करती चली आ रही हूं, मैं अब भी इसकी वकालत कर रही हूं।
जलवायु संकट
भूमि ने कहा कि मुझे लगता है कि असल में हम एक सिरे की नोक पर जा बैठे हैं और अगर हम बड़े स्तर के बदलाव लाना शुरू नहीं करते तो हालात बहुत बुरे होने वाले हैं। पिछला साल अच्छा-खासा सबक सिखा कर गया है। बीते दो सालों में हमले दावानल देखे हैं, साइक्लोन देखे हैं। साइक्लोन ऐसे इलाकों में आए, जहां कभी नहीं आते थे। हमने अकाल और सूखा देखा है, हमने बाढ़ का कहर झेला है और अब हम यह महामारी भुगत रहे हैं और यह सिर्फ एक शुरुआत भर है!
मेरे खयाल से महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग इस फिनॉमिना को समझें। मिसाल के तौर पर मुझे यह देख कर बड़ी कोफ्त और पीड़ा होती है कि लोग मेडिकल कचरे को ठीक से ट्रीट नहीं करते। मुझे वाकई उम्मीद थी कि पिछले एक साल में लोग यह समझ गए होंगे कि आप कुदरत से छेड़छाड़ नहीं कर सकते। अगर आप कुदरत से छेड़खानी करेंगे तो वह आपसे बदला लेकर रहेगी। फिर इस बात से वाकई कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अमीर हैं या गरीब, क्योंकि पैसा आपको क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों से हरगिज नहीं बचा सकता। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि मैं अब भी लोगों को इधर-उधर कचरा फैलाते देखती हूं, प्लास्टिक या दूसरी चीजों का गैर जिम्मेदाराना इस्तेमाल होते हुए देखती हूं। यही सिलसिला बना रहा तो जल्द ही हमारे महासागरों में समुद्री-जीवन से कहीं ज्यादा मास्क और मेडिकल कचरा मौजूद होगा। ये चीजें मुझे दुखी और चिंतित करती हैं, क्योंकि ईमानदारी की बात तो यह है कि यह अजाब सिर्फ हमारी पीढ़ी के लिए नहीं है, यह आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा। हकीकत में हमारी जिम्मेदारी तो यह है कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को उतनी ही साफ-सुथरी पृथ्वी सौंप कर जाना चाहिए, जैसी हमारे पूर्वज हमारे लिए छोड़ कर गए थे। मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मेरे बच्चे एक ऐसी दुनिया में बड़े हों, जो प्रदूषण से भरी हो और जहां भोजन व पानी के निर्मल व गुणकारी स्रोत मौजूद न हों।
आपको पता ही है कि आज हर चीज दुर्लभ होती जा रही है और यह ठीक बात नहीं है! मैं अपने बच्चों को वैसी दुनिया में बड़ा करना चाहती हूं, जिसमें मैं पली-बढ़ी हूं। उस दुनिया में हर चीज की बहुतायत थी। मैं किसी जंगल में जाकर जीव-जंतु नहीं देखना चाहती, यह कोई विलासिता की चीज नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। जिस तरह से जंगल उजाड़े जा रहे हैं, जिस तरह से हम फिशिंग और हंटिंग कर रहे हैं, मुझे लगता है कि मनुष्य के तौर पर हमें अपनी खान-पान की आदतें बदल डालनी चाहिए।
बॉलीवुड की सबसे सजग सेलेब्रिटी
भूमि ने कहा, मेरे लिए सजग होने का मतलब है- समाज की बेहतरी के लिए अपनी राय सामने रखना और उस पर कायम रहना। मेरा मानना है कि यह एक दोधारी तलवार है, क्योंकि सजग होने से कभी-कभी ढेर सारी प्रतिक्रियाएं भी झेलनी पड़ सकती हैं।
मैं अक्सर सोचती हूं कि जिन विचारों पर आप यकीन करते हैं, उनको सामने आकर पेश करने के लिए आपके अंदर पर्याप्त आत्मविश्वास होना चाहिए, लेकिन इस आत्मविश्वास का जिम्मेदारी और ज्ञान के धरातल पर टिका होना जरूरी है। मेरे खयाल से यह बड़ी अहम बात है, खासकर जब आप लोगों को प्रभावित करने वाले स्थान पर बैठे ऐसे व्यक्ति हों, जिसके कई फॉलोवर हैं, तब यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आपकी आवाज आपका सबसे बड़ा हथियार है और आपको इसका संभल कर इस्तेमाल करना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है- बड़ी ताकत बड़ी जिम्मेदारियां लेकर आती है, और खासकर प्रभावित करने वाले लोगों के लिए तो यह कथन अटल सत्य है।
क्लाइमेट वारियर
भूमि का मानना है कि एक क्लाइमेट वारियर के तौर पर इस साल मेरा लक्ष्य यह है कि मैं सच्चे अर्थों में लोगों को प्लेनेट के प्रति सचेत रवैया अपनाता देखूं। मुझे लगता है कि मेरे लिए पूरा 2021 लोगों को बस बेहतर आदतें अपनाने के लिए जोर देने पर केंद्रित रहने वाला है, उन्हें बार-बार याद दिलाना और यह सुनिश्चित करना कि लोग सचमुच उस हर बात को लेकर कुछ करें, जिसके बारे में हम लगातार आवाज उठाते चले आ रहे हैं।
हमने सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने से लेकर सभी को व्यक्तिगत तौर पर अपना कार्बन फुटप्रिंट घटाने की बात की है। मैं वाकई उम्मीद करती हूं कि कुछ हद तक हमारी दुनिया खुल जाए ताकि हम जमीनी स्तर पर भी कुछ काम कर सकें। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मुझे खुशी देने वाली चीज यह होगी कि जिन बातों के लिए हम और हमारी पूरी कम्युनिटी लड़ती चली आ रही है, उनमें आज से 10 साल बाद बदलाव जरूर नजर आएं।
हम देखते हैं कि जंगलों की कटाई की तुलना में काफी वृक्षारोपण हो रहा है। मैं सचमुच आशा करती हूं कि हम विभिन्न प्राणियों के प्रति आज जितनी जीवदया रखते हैं, उसके मुकाबले आज से 10 साल बाद यह संवेदना और सहानुभूति कई गुना बढ़ जाए।
मैं पीछे मुड़कर कहना चाहती हूं- "अरे कमाल हो गया! हम उन लाखों प्राणियों के साथ सह-अस्तित्व में जी रहे हैं, जो हमारे साथ इस प्लेनेट को अधिकारपूर्वक साझा करते हैं।" मैं वाकई उम्मीद करती हूं कि विकास और हमारी प्रकृति के संरक्षण के बीच एक खूबसूरत संतुलन मौजूद हो। मैं वास्तव में आशा करती हूं कि हम एक ऐसी दुनिया में रहें, जो हमारी खूबसूरत पृथ्वी द्वारा हमें प्रदान किए जाने वाले तमाम संसाधनों का दुरुपयोग न करती हो। हम एक ऐसी दुनिया में जिएं, जो हमें इफरात में चीजें देती हो और सब लोगों के मन में व्यक्तिगत रूप से यह समझने की पर्याप्त करुणा और दया मौजूद हो कि जिन चार दीवारों के बीच हम रहते हैं, वह हमारा वास्तविक घर नहीं है। उन्हें यह समझ में आ जाना चाहिए कि पृथ्वी ही हमारा असली घर है और कोई दूसरी पृथ्वी मौजूद नहीं है। इसे फिर से खूबसूरत और प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण बनाने के लिए हमें इसका संरक्षण करना ही होगा।