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'प्यासा' के रीमेक में सोनम या विद्या
बीते ज़माने की हिंदी फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री वहीदा रहमान 1957 की फ़िल्म 'प्यासा" के रीमेक में अपने रोल में सोनम कपूर या विद्या बालन को देखना चाहेंगी. लेकिन वो ये भी मानती हैं कि 'प्यासा" जैसी क्लासिक फ़िल्मों का रीमेक नहीं बनना चाहिए. वहीदा जी ने ये बात हाल ही में अपनी फ़िल्मों के गानों की एल्बम के लॉन्च पर कही.
उन्होंने कहा, “मैं मानती हूं कि जो क्लासिक फ़िल्में हैं उनका रीमेक नहीं बनना चाहिए क्योंकि फिर तुलना शुरु हो जाती है. हो सकता है कि रीमेक बेहतर हो लेकिन जो हमारी पीढ़ी के लोग हैं जिनके दिमाग़ में उस फ़िल्म की एक छवि है, उसको हटाना मुश्किल है."
ये पूछे जाने पर कि अगर 'प्यासा" का रीमेक बनता है, तो फ़िल्म में उनके रोल के लिए वो किस हीरोइन को देखती हैं, वहीदा जी ने कहा, “मेरे रोल के लिए सिर्फ़ सोनम कपूर या विद्या बालन ही मेरे दिमाग़ में हैं."
वहीदा जी ये भी मानती हैं कि कुछ फ़िल्में ब्लैक एंड व्हाइट में ही अच्छी लगती हैं क्योंकि उनका असर ब्लैक एंड व्हाइट में ही ज़्यादा अच्छा पड़ सकता था. इनमें 'काग़ज़ के फूल", 'साहिब बीवी और ग़ुलाम", 'सुजाता", और 'ख़ामोशी" जैसी फ़िल्में शामिल हैं.
वहीदा रहमान की पहचान न सिर्फ़ एक बेहतरीन अभिनेत्री बल्कि एक डांसर के तौर पर भी थी. आजकल की फ़िल्मों की कोरियोग्राफ़ी के बारे में वो कहती हैं, “आजकल फ़िल्मों में गाने ज़्यादातर आइटम नम्बर्स होते हैं जबकि हमारे ज़माने में गाने कहानी का हिस्सा होते थे. आज ज़्यादातर फ़िल्मों की कोरियोग्राफ़ी एक सी ही लगती है. हां, मुझे संजय लीला भंसाली की 'देवदास" के नृत्य बहुत अच्छे लगे."
स्वर्गीय फ़िल्ममेकर और अभिनेता गुरु दत्त के बारे में वहीदा रहमान मानती हैं कि वो एक संवेदनशील निर्देशक थे. उन्होंने कहा, “हालांकि मैंने उनके साथ अभिनय भी किया है लेकिन मेरे दिमाग़ में उन्होंने बतौर निर्देशक ज़्यादा छाप छोड़ी है. वो बहुत संवेदनशील थे. उनके अलावा 'ख़ामोशी" के निर्देशक असित सेन भी कलाकार को देख कर ही समझ जाते थे कि उसे कोई तक़लीफ़ है. ऐसे में हमारी सहूलियत के लिए डायलॉग भी बदल देते थे. इस तरह की समझ बहुत कम निर्देशकों में होती है."
2009 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म 'दिल्ली 6" में दिखीं वहीदा रहमान का फ़िलहाल कोई और फ़िल्म करने का इरादा नहीं है.